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चीन के सरकारी ब्रॉडकास्टर का दावा- एलएसी में गतिरोध अप्रैल में शुरू हुआ, मई में 5000 सैनिक पैंगोंग भेजे

सीजीटीएन द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट भारत के साथ तनाव के बीच पैंगोंग लेक क्षेत्र में तैनात गए सैनिकों की संख्या को लेकर चीन की पहली स्वीकोरिक्त है.

प्योंगयांग झील | कॉमन्स

नई दिल्ली : चीन के मुख्य पब्लिक ब्रॉडकास्टर का दावा है कि गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव अप्रैल में शुरू हुआ था और चीन ने अगले महीने पैंगोंग झील में 5,000 अतिरिक्त सैनिक भेज दिए थे.

यह पहला मौका है जब भारत के साथ तनाव के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र में भेजे गए सैनिकों की संख्या के बारे में चीन की तरफ कोई स्वीकारोक्ति आई है.

अंग्रेजी भाषी सीजीटीएन ने शुक्रवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में पैंगोंग झील और गलवान घाटी समेत लद्दाख के कई स्थानों पर एशिया के दो दिग्गज देशों के बीच उपजे हालिया तनाव पर एक टाइमलाइन पेश की है. सीजीटीएन को पहले सीसीटीवी-9 और सीसीटीवी न्यूज के तौर पर जाना जाता था और सरकारी स्वामित्व वाले चाइना मीडिया ग्रुप का हिस्सा है.

रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल में भारतीय सैनिकों ने ‘गलवान घाटी में एलएसी के पास कुछ निर्माण किए’, जिसके बाद चीन ने ‘विरोध’ दर्ज कराया.

जैसा कि दिप्रिंट ने पहले ही जानकारी दी थी, सीमा पर चीन की आक्रामकता का उद्देश्य भारत को श्योक-गलवान नदी के संगम स्थल, जो कि गलवान घाटी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से करीब 5 किमी दूर है के पास कोई नया निर्माण करने से रोकना है. माना जाता है कि चीन एलएसी को भारतीय सीमा में और आगे खिसकाकर अपने क्षेत्र का विस्तार करना चाहता है.

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यद्यपि चीनियों ने आपत्ति श्योक नदी पर बने उस 60 मीटर लंबे पुल पर जताई है, जिसका निर्माण भारत द्वारा पिछले महीने गतिरोध के दौरान पूरा किया गया था. लेकिन, समस्या की जड़ संगम स्थल के नजदीक हो रहा भारत का ‘स्थायी निर्माण’ था.

सीजीटीएन ने 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा, ‘यद्यपि दो एशियाई दिग्गजों के बीच सीमा पर ऐसी घटनाएं नई बात नहीं हैं. लेकिन दशकों के बाद यह पहला मौका है जब सीमा विवाद जानलेवा हो गया.’

सरकारी ब्रॉडकास्टर की यह रिपोर्ट सीमा पर तनाव के बारे में पहला व्यापक ब्योरा है. अब तक, ग्लोबल टाइम्स अखबार सीमा पर तनाव के बारे में चीनी दृष्टिकोण से रिपोर्ट प्रकाशित करता रहा है.

भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश

रिपोर्ट में बताया गया है कि दोनों पक्षों के बीच ‘पहली झड़प’ 5 से 6 मई के बीच लद्दाख के पैंगोंग त्सो में हुई थी, ‘इस दौरान दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे.’

इसने 9 मई को ‘सिक्किम के नाकु ला में दूसरी झड़प’ का जिक्र किया है और बताया कि चीन ने इसके बाद 25 मई को पैंगोंग झील क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिक भेज दिए. भारतीय रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, एलएसी के नजदीक सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले रहे सैनिकों को अतिक्रमण और सैन्य जमावड़ा बढ़ाने के लिए यहां भेजा गया.

सीजीटीएन ने पैंगोंग में तैनात किए गए सैनिकों की संख्या के बारे में तो जानकारी दी, लेकिन एलएसी के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित तनाव वाले स्थलों गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग एरिया और देपसांग मैदान के संदर्भ में ऐसा कोई आंकड़ा नहीं बताया.

सैटेलाइट तस्वीरों ने यह बात साबित की है कि पैंगोंग झील में चीनी भारतीय क्षेत्र में 8 किमी अंदर आ चुका हैं और फिंगर 4 पर जमे बैठे हैं.

भारत का दावा है कि एलएसी फिंगर 8 से शुरू होती है, और यहां तक उसकी पैदल गश्त चलती रही है. हालांकि, चीन की गश्त जाहिर तौर पर फिंगर 4 तक चलती है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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