होम देश कोविड-19 : संसदीय समिति की आक्सीजन की कमी से हुई मौत के...

कोविड-19 : संसदीय समिति की आक्सीजन की कमी से हुई मौत के मामलों का लेखापरीक्षण कराने की सिफारिश

नयी दिल्ली, 13 सितंबर (भाषा) संसद की एक समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से कोरोना महामारी खासकर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ‘‘ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौत’’ के मामलों की राज्यों के समन्वय से लेखा-परीक्षा करने की सिफारिश की है, ताकि मृत्यु के मामलों का उचित दस्तावेजीकरण हो सके। समिति ने कहा कि वह ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड-19 के मरीजों की मौत होने के मामलों से मंत्रालय के ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण इनकार’’ को लेकर व्यथित है। समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद रामगोपाल यादव की अध्यक्षता वाली स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। ‘‘टीके का विकास, वितरण, प्रबंधन एवं कोविड-19 का न्यूनीकरण’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट सोमवार को राज्यसभा के सभापति को सौंपी गई थी । संसदीय समिति ने कहा, ‘‘मंत्रालय को ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई कोविड-19 के मरीजों की मौत के मामलों की बारीकी से समीक्षा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ितों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए।’’ रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि वह सरकारी एजेंसियों से अधिक पारदर्शिता एवं जवाबदेही की उम्मीद करती है। समिति ने अपनी 137वीं रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या बढने के कारण स्वास्थ्य ढांचे पर अत्यधिक दबाव पड़ा है। इसमें कहा गया है कि मरीजों के परिवारों द्वारा ऑक्सीजन के लिए गुहार लगाने और सिलेंडर के लिए कतारों में प्रतीक्षा करने के कई मामले सामने आए थे । इसके साथ ही मीडिया ने अस्पतालों में जीवन रक्षक गैस समाप्त होने और केवल कुछ घंटों के लिए आपूर्ति शेष होने पर इसे मुहैया कराने के लिए अस्पतालों द्वारा अपील किए जाने की खबरें दी थीं। समिति ने कहा कि उसने अपनी 123वीं रिपोर्ट में अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन की आपूर्ति की संभावित कमी को लेकर सरकार को आगाह किया था। संसदीय समिति ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, ‘‘ वह इस बात से निराश है कि मंत्रालय ने 2020 में अपने प्रतिवेदन में आश्वासन दिया था कि देश ऑक्सीजन और ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति के मामले में आत्मनिर्भर है, लेकिन दूसरी लहर के दौरान उसके खोखले दावों की पूरी तरह पोल खुल गई।’’ उसने कहा, ‘‘सरकार राज्यों में ऑक्सीजन के वितरण का प्रबंधन करने में विफल रही और वह तेजी से बढ़ती मांग के बीच ऑक्सीजन के निरंतर प्रवाह को बनाए नहीं रख सकी, जिससे एक अप्रत्याशित चिकित्सकीय संकट पैदा हो गया।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड खासतौर पर विशेष रूप से दूसरी लहर के दौरान परिचालन व्यवस्था का खराब प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने में सरकार की विफलता… सरकारी तंत्र में पूर्ण अराजकता को दर्शाती है। उसने कहा, ‘‘समिति को हैरानी है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड-19 के मरीजों की मौत के मामलों का विवरण प्रस्तुत करने के केंद्र सरकार के अनुरोध का 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने जवाब दिया, लेकिन इनमें से किसी ने भी ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत होने की पुष्टि नहीं की।’’ संसदीय समिति ने नोट किया कि ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण हुई मौतों की पहचान करने के लिये कोई निश्चित दिशानिर्देश नहीं थे । समिति ने सरकार की अनभिज्ञता पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि चिकित्सकीय रिकार्ड में आक्सीजन की कमी के कारण हुई मौजों को दर्ज नहीं किया गया और अधिकांश मृत्यु को अन्य बीमारियों के कारण मौत से जोड़ दिया गया । समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि मंत्रालय को ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौत के मामलों का राज्यों के साथ समन्वय करके लेखा-परीक्षण कराना चाहिए और इन मामलों का उचित दस्तावेजीकरण करना चाहिए।भाषा दीपक .

दीपक पवनेशपवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

Exit mobile version