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भीमा कोरेगांव हिंसा पर शरद पवार ने उठाए हैं सवाल, जांच पैनल पूछताछ के लिए करेगा तलब

रकांपा प्रमुख ने आयोग के समक्ष दायर हलफनामे में पुलिस और दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं की भूमिका को बताया है संदिग्ध.

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शरद पवार की फाइल फोटो

पुणे: कोरेगांव भीमा जांच आयोग ने 2018 को हुई हिंसा के मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार को तलब करने का निर्णय किया है.

न्यायिक पैनल के वकील आशीष सतपुते ने मंगलवार को बताया कि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जेएन पटेल ने टिप्पणी की कि पवार ने पैनल के समक्ष हलफनामा दाखिल किया है और उन्हें तलब किया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘इसके लिए समन जारी किया जाएगा.’

वकील के अनुसार सुनवाई के अंतिम चरण में आयोग पवार को तलब कर सकता है.

इस माह की शुरुआत में शिवसेना नीत राज्य सरकार ने आयोग का कार्यकाल 8 अप्रैल तक बढ़ा दिया है और आयोग से रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

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सामाजिक समूह विवेक विचार मंच के सदस्य सागर शिंदे ने पिछले सप्ताह आयोग के समक्ष आवेदन दायर किया था. इस आवेदन में उन्होंने पवार को दो सदस्यीय आयोग के समक्ष गवाही देने के लिए बुलाने का अनुरोध किया है.

अपनी याचिका में शिंदे ने 18 फरवरी को पवार की तरफ से बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन का हवाला दिया है.

आवेदन के मुताबिक, संवाददाता सम्मेलन में पवार ने आरोप लगाया कि दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं- मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े ने पुणे शहर की सीमा पर स्थित कोरेगांव-भीमा और उसके आस-पास के इलाकों में एक ‘अलग’ माहौल पैदा कर दिया था.

शिंदे ने कहा, ‘इसी संवाददाता सम्मेलन में, पवार ने आरोप लगाया था कि पुणे शहर के पुलिस आयुक्त की भूमिका संदिग्ध है और इसकी जांच की जानी चाहिए. ये बयान इस आयोग के विचारार्थ विषयों के दायरे में आते हैं और इसलिए वे प्रासंगिक हैं.’

आवेदक ने कहा कि उसके पास यह विश्वास करने के कारण हैं कि पवार के पास प्रासंगिक एवं अतिरिक्त सूचनाएं हैं. ये उन सूचनाओं से अलग हैं जो उन्होंने हिंसा तथा अन्य संबंधित मामलों के संबंध में आयोग के समक्ष पूर्व में दायर हलफनामे में साझा की हैं.

पवार ने 8 अक्टूबर 2018 को आयोग के समक्ष हलफनामा दाखिल किया था.

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