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पुलिस पर भारी प्रदर्शनकारी, सबरीमाला मंदिर में नहीं मिला किसी महिला को प्रवेश

सबरीमाला मंदिर ​(फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दी थी, लेकिन विरोध प्रदर्शन के कारण अभी तक कोई महिला मंदिर में दाखिल नहीं हो पाई है.

सबरीमाला (केरल): केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश को लेकर बवाल जारी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अभी तक 10 से 50 साल की कोई भी महिला श्रद्धालु सबरीमाला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई हैं. बुधवार को मंदिर खुलने के बाद से कई महिलाओं ने सबरीमाला पहाड़ी की चढ़ाई करने का प्रयास भी किया लेकिन भारी विरोध के चलते उन्हें लौटने पर मजबूर कर दिया गया.

शुक्रवार को भी भारी विरोध प्रदर्शनों के बीच लगभग 100 पुलिसकर्मियों के सुरक्षा घेरे के बीच दो महिलाएं सबरीमाला मंदिर की ओर आगे बढ़ी लेकिन उन्हें भी मंदिर में बिना दर्शन के वापस लौटना पड़ा. इसमें हैदराबार की पत्रकार कविता और एक अन्य महिला शामिल थी.

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केरल आईजी एस श्रीजीत ने कहा कि हमलोग पत्रकार कविता जक्कल और महिला कार्यकर्ता रेहाना फातिमा को मंदिर प्रांगण तक लेकर आए थे. लेकिन तंत्री और पुजारी ने मंदिर के कपाट खोलने से मना कर दिया. जब हम इंतजार कर रहे थे तब बताया गया कि अगर हम उन्हें मंदिर में प्रवेश कराने का प्रयास करेंगे तो वे मंदिर को लॉक कर देंगे.

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आईजी श्रीजीत ने कहा, यह एक रीति रिवाज से संबंधित आपदा है. हम लोग उन्हें सुरक्षा के बीच यहां तक ले आए लेकिन दर्शन पुजारियों के सहमति के बगैर नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि दोनों महिलाओं को जिस तरह की भी सुरक्षा चाहिए होगी. हम देने को तैयार हैं.

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वहीं, सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुजारी ने कहा कि हमने फैसला किया है कि मंदिर को बंद कर दें और चाबी किसी को सौंप कर चले जाएं. मैं श्रद्धालुओं के साथ हूं. मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है.

इनके बाद एक और महिला मैरी स्वीटी को प्रदर्शनकारियों के विरोध के बाद बीच से ही लौटना पड़ा है.

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समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि मुझे महिला पत्रकार और कार्यकर्ता के बारे में नहीं पता लेकिन अगर महिलाओं को लौटाया जा रहा है तो यह त्रुटि है. मैं वहां जाना चाहती हूं. प्रदर्शनकारियों के विरोध के बाद मैरी स्वीटी को पुलिस कंट्रोल रूम ले जाया जा रहा है.

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तमिलनाडु भाजपा की अध्यक्ष सुंदराराजन ने कहा है कि सबरीमाला मंदिर विश्वासियों के लिए पूजा की जगह है, अविश्वासियों और कार्यकर्ताओं के लिए नहीं. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग दशकों से बने विश्वास को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं. अन्य धर्मों के कट्टरपंथियों के बारे में सुनना चौंकाने वाला था. धर्मनिरपेक्षता और सक्रियता की आड़ में मंदिर में प्रवेश कर हिंदुओं पर चोट पहुंचाने की कोशिश ठीक नहीं है.

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वहीं, कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने कहाकि हमने गर्वनर से मुलाकात कर उन्हें ताजा हालात की जानकारी दी है. सिर्फ हिंदू ही नहीं सभी धर्मों के लोग वहां जाते हैं. सभी चिंतित हैं. महिला कार्यकर्ता रेहाना फातिमा को पुलिस यूनिफॉर्म दी गई. यह गलत है. सबरीमाला पर्यटन स्थल नहीं है केवल भक्त ही वहां जाएं. अब केरल पुलिस जो कर रही है वह गलत है.

सूत्रों के मुताबिक, मंदिर का तांत्री परिवार और पांडलम शाही परिवार के सदस्य महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकने के लिए मंदिर को बंद करने पर विचार कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के फैसले के बाद पहली बार बुधवार को मंदिर के कपाट खुले थे. कोर्ट ने अपने फैसले में 10 से 50 आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की मंजूरी दी थी.

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