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केरल HC ने ‘सेक्शुअली उकसाने वाला ड्रेस’ टिप्पणी करने वाले जज का ट्रांसफर आदेश रद्द किया

अपनी अपील में, न्यायमूर्ति कृष्णकुमार ने तर्क दिया कि यह कानूनी तौर पर टिकाऊ नहीं है क्योंकि सिंगल जज का निष्कर्ष है कि ट्रांसफर मानदंड केवल दिशा-निर्देश हैं.

केरल हाईकोर्ट, फाइल फोटो । एएनआई

कोच्चि (केरल): केरल उच्च न्यायालय ने कोझिकोड के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश एस कृष्णकुमार के ट्रांसफर के रजिस्ट्रार जनरल के आदेश को रद्द कर दिया है, जिन्होंने कोल्लम जिले में श्रम न्यायालय के एक पीठासीन अधिकारी के तौर पर एक विवादास्पद ‘यौन उत्तेजक पोशाक’ टिप्पणी की थी.

न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सीपी की खंडपीठ ने ट्रांसफर आदेश को रद्द कर दिया. खंडपीठ का यह फैसला न्यायमूर्ति कृष्णकुमार की एक अपील के जवाब में आया, जिसमें उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें ट्रांसफर आदेश के खिलाफ उनकी अपील को खारिज कर दिया गया था. वहीं इससे पहले डिवीजन बेंच ने ट्रांसफर ऑर्डर पर रोक लगा दी थी.

अपनी अपील में, न्यायमूर्ति कृष्णकुमार ने तर्क दिया कि यह कानूनी तौर पर टिकाऊ नहीं है क्योंकि सिंगल जज का निष्कर्ष है कि ट्रांसफर मानदंड केवल दिशा-निर्देश हैं और यह ट्रांसफर किए गए कर्मचारी पर कोई अधिकार प्रदान नहीं करता. आदेश निर्धारित सिद्धांत के खिलाफ है. इसी तरह के एक मामले पर हाल के एक फैसले में शीर्ष अदालत ने तय किया था. सिंगल जज मामले के तथ्यों पर विचार करने में विफल रहे कि न्यायिक अधिकारी का तीन साल की अवधि के दौरान ट्रांसफर किया जा सकता है यदि यह न्यायिक प्रशासन के लिए जरूरी हो.

अपीलकर्ता एक विशेष ग्रेड जिला जज है और प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज के तौर पर कर्तव्य का निर्वहन कर रहा है. इसलिए अपीलकर्ता को ट्रांसफर करना और पोस्ट करना अनिवार्य रूप से पूर्वाग्रह का नतीजा होगा.

कोझीकोड सत्र न्यायालय में एस कृष्णकुमार की पीठ ने 12 अगस्त को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि अगर महिला ने ‘यौन उत्तेजक पोशाक’ पहनी है तो यौन उत्पीड़न की शिकायत मान्य नहीं होगी.

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