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कठुआ बलात्कार पीड़िता के परिवार को आरोपी के खिलाफ पठानकोट में मुकदमा शुरू होने का इंतजार

(सुमीर कौल)

नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) जम्मू कश्मीर के कठुआ में बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई आठ वर्षीय बच्ची के परिवार को चार साल से अधिक समय से न्याय का इंतजार है। परिवार अब आरोपी शुभम सांगरा के खिलाफ मुकदमा शुरु होने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद शुभम के खिलाफ अब एक वयस्क के तौर पर नए सिरे से मुकदमा चलाया जाएगा।

पीड़ित परिवार के वकील मुबीन फारूकी ने पंजाब के मलेरकोटला से पीटीआई-भाषा से कहा कि मामले में मुकदमा पंजाब में चलना चाहिए और कहीं नहीं, जैसे कि अन्य आरोपियों के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वे इस मुद्दे पर स्पष्टता के लिए फिर से उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे।

वकील ने कहा, ‘‘एक ही मामले के लिए हमारे पास दो अपीलीय अदालतें नहीं हो सकती।’’

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा था कि कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची से सामूहिक बलात्कार एवं उसकी हत्या के सनसनीखेज मामले का एक आरोपी अपराध के समय नाबालिग नहीं था और अब उसके खिलाफ वयस्क के तौर पर नए सिरे से मुकदमा चलाया जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि वैधानिक सबूत के अभाव में किसी आरोपी की उम्र के संबंध में चिकित्सकीय राय को ‘‘दरकिनार’’ नहीं किया जा सकता।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में अदालतों द्वारा लापरवाह दृष्टिकोण अपनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, ‘‘अभियुक्त की आयु सीमा निर्धारित करने के लिए किसी अन्य निर्णायक सबूत के अभाव में चिकित्सकीय राय पर विचार किया जाना चाहिए। … चिकित्सकीय साक्ष्य पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं, यह साक्ष्य की अहमियत पर निर्भर करता है।’’

बच्ची का 10 जनवरी, 2018 को अपहरण किया गया था। उसे गांव के एक छोटे से मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया था और उसके साथ दुष्कर्म किया गया था। बाद में उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।

फारूकी ने उच्चतम न्यायालय के 2018 के आदेश का हवाला दिया जिसके तहत मामले की सुनवाई पंजाब के पठानकोट में स्थानांतरित कर दी गई थी और दिन-प्रतिदिन सुनवाई का आदेश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने यह आदेश कठुआ में कुछ वकीलों द्वारा अपराध शाखा के अधिकारियों को आरोपपत्र दाखिल करने से रोकने के बाद दिया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘अब यह स्पष्ट है कि मामले की सुनवाई पठानकोट में ही की जानी है और अगर जरूरत पड़ी तो हम इस मुद्दे पर स्पष्टता के लिए फिर से उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे।’’

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ​​की तीन सदस्यीय पीठ ने मुकदमे को कठुआ से स्थानांतरित करने का आदेश दिया था और यह भी स्पष्ट किया था कि पठानकोट के जिला और सत्र न्यायाधीश खुद मुकदमे की सुनवाई करेंगे और इसे किसी अतिरिक्त न्यायाधीश को नहीं सौंपेंगे।

बंद कमरे में दैनिक आधार पर सुनवाई का आदेश देने के अलावा, पीठ ने स्पष्ट किया था कि ‘‘चूंकि यह अदालत (उच्चतम न्यायालय) इस मामले की निगरानी कर रही है, कोई भी अदालत मामले से संबंधित किसी भी याचिका पर विचार नहीं करेगी।’’

फारूकी ने कहा, ‘‘हालांकि शीर्ष अदालत ने 2018 में सांगरा को पूर्ण संरक्षण दिया था, जिसे उस समय किशोर माना गया था, बुधवार के आदेश के बाद चीजें बदल गई हैं। इसलिए, मुकदमा पठानकोट में ही शुरू होना चाहिए।’’

विशेष अदालत ने 10 जून, 2019 को देश को झकझोरने वाले इस भीषण अपराध के लिए तीन व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

‘देवस्थानम’ में जनवरी 2018 में हुए अपराध का मुख्य षड्यंत्रकर्ता और केयरटेकर सांजी राम, दीपक खजूरिया, एक विशेष पुलिस अधिकारी और एक परवेश कुमार नाम एक व्यक्ति- तीन मुख्य आरोपी मौत की सजा से बच गए थे। हालांकि अभियोजन ने मुकदमे के दौरान उनके लिए फांसी की सजा दिये जाने का अनुरोध किया था।

तीनों को रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) की धाराओं के तहत आपराधिक साजिश, हत्या, अपहरण, सामूहिक बलात्कार, सबूत नष्ट करने, पीड़िता को नशीला पदार्थ पिलाने और सामान्य इरादे का दोषी ठहराया गया था।

अन्य तीन आरोपियों – उप निरीक्षक आनंद दत्त, हेड कांस्टेबल तिलक राज और विशेष पुलिस अधिकारी सुरेंद्र वर्मा को अपराध को छुपाने के वास्ते सबूत नष्ट करने के लिए दोषी ठहराया गया और पांच साल की जेल की सजा और प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। तीनों अभी पैरोल पर जेल से बाहर हैं।

निचली अदालत ने सातवें आरोपी सांजी राम के पुत्र विशाल जंगोत्रा ​​को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। सांगरा के खिलाफ मुकदमे से जंगोत्रा ​​की रिहाई पर असर पड़ने की उम्मीद है।

मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘सांगरा का एक बयान उनकी संलिप्तता की ओर इशारा करता है और हमें यकीन है कि अदालत उस बयान को एक वयस्क का बयान मानेगी और मामले पर फिर से विचार करेगी।’’

सांगरा इस समय कठुआ के एक किशोर गृह में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की हिरासत में है।

जम्मू कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा जल्द ही उच्चतम न्यायालय के आदेश की तामील करेगी। इससे पहले कि मुकदमा कहां चलाया जाए, इस पर निर्णय लिया जाए, आरोपी को जम्मू की सामान्य जेल में स्थानांतरित किया जा सकता है।

भाषा अमित सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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