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कश्मीर के वृद्धावस्था पेंशनभोगियों को ऑनलाइन पंजीकरण कराने में हो रही परेशानी

श्रीनगर, 13 नवंबर (भाषा) कश्मीर में हजारों वृद्धावस्था पेंशनभोगियों को भुगतान प्रकिया के ऑनलाइन हो जाने के कारण काफी भागदौड़ करनी पड़ रही है।

शहर के सैदा कदल क्षेत्र की रहने वाली राहती नाम की 75 वर्षीय एक विधवा ने कहा कि भगुतान प्रक्रिया का माध्यम ऑनलाइन हो जाने पर वह पिछले तीन दिन सभी दस्तावेजों के साथ यहां के समाज कल्याण कार्यालय में गईं, ताकि उन्हें प्रति माह 1000 रुपये की सरकारी वित्तीय सहायता का लाभ मिलता रहे।

कई जिलों के समाज कल्याण अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पंजीकरण काउंटर पर कर्मचारियों की कमी के कारण पेंशनभोगियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

एक और दिन बर्बाद होने के बाद अपने घर लौट रही राहती ने कहा, ‘‘कतार बहुत लंबी है, बहुत से लोग अपना ब्योरा अद्यतन कराने का इंतजार कर रहे हैं। मैं सोमवार को फिर से प्रयास करूंगी।’’

शहर के बेमिना इलाके के निवासी गुलाम रसूल ने कहा कि प्रक्रिया मुश्किल है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं दिव्यांग हूं, इसलिए काम नहीं कर सकता। पेंशन ही मेरे निर्वाह का एकमात्र जरिया है। मुझे मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) से दिव्यांगता प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए कहा गया है।’’

रसूल ने कहा कि यदि उन्होंने केवल दो बार सीएमओ कार्यालय जाकर दिव्यांगता प्रमाणपत्र हासिल कर लिया तो वह खुद को सौभाग्यशाली समझेंगे।

गांदरबल के एक गांव में रहने वाली मुघाली नाम की एक वृद्ध महिला काफी नाराज नजर आ रही थी। दरअसल, उन्हें कई घंटे कतार में इंतजार करने के बाद पंजीकरण काउंटर से लौटा दिया गया। मुघाली को ब्लॉक मेडिकल अधिकारी से उम्र संबंधी प्रमाणपत्र प्राप्त करने को कहा गया है।

पेंशन योजना में जो बदलाव हुए हैं, उसके तहत प्रतिमाह पेंशन पाने के लिए एक विधवा को शादीशुदा नहीं होने का हर तीन साल पर प्रमाणपत्र देना होगा।

इस बारे में समाज कल्याण निदेशक से संपर्क किये जाने पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन कई जिलों के समाज कल्याण अधिकारियों ने कहा कि पंजीकरण काउंटर पर कर्मचारियों की बहुत कमी है।

इसके अलावा बहुत से आवेदकों के पास ऑनलाइन भुगतान पाने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज नहीं हैं।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘उन्हें यह समझाना आसान नहीं है कि तकनीक में भावनाएं नहीं होती। सभी दस्तावेजों के पूरा होने के बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।’’

भाषा संतोष सुभाष

सुभाष

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