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कश्मीर यात्रा करने वाले यूरोपीय सांसदों में कई दक्षिणपंथी और इस्लाम विरोधी पार्टियों के हैं

28 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मंगवलार को श्रीनगर की यात्रा करेगा. वो वहां डल झील भी जा सकते हैं और सैन्य अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे. सभी सांसद अनंतनाग भी जा सकते हैं.

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पीएम मोदी यूरोपीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के साथ, फाइल फोटो | एएनआई

नई दिल्ली/श्रीनगर : नरेंद्र मोदी सरकार ने यूरोपियन संसद के 28 सदस्यों को जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति देने से अपनी नीति में बदवाल के संकेत दिए हैं. मंगलवार को सभी सदस्य जम्मू-कश्मीर जाएंगे.

लेकिन अब पता चला है कि जो सदस्य कश्मीर जाएंगे वो सभी दक्षिणपंथी हैं और इटली, जर्मनी और फ्रांस के कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी से हैं.

इटली की लीगा नोर्ड, रैसेम्बलमेंट नेशनल ऑफ फ्रांस और अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी में एक बात समान है. ये सभी एंटी इमिग्रेशन, एंटी इस्लाम और एंटी यूरो दिखते हैं.

जर्मनी की एफडी पार्टी के नेता एलिस विडेल जो कि 2017 में चुनाव लड़ रहे थे उन्होंने कहा था कि लाखों रिफ्यूजी लोगों के आने से ये देश क्रिमिनल और आतंकवादियों के लिए पनागाह हो जाएगा.

लेगा नॉर्ड, या बस लेगा, जिसे सितंबर तक इटली के पूर्व उप प्रधानमंत्री और आंतरिक मंत्री माटेओ साल्विनी द्वारा नेतृत्व किया गया था, सुरक्षा और प्रवासन पर वियना में 2018 सम्मेलन में अफ्रीकी प्रवासियों की तुलना दासों से की थी.

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रैसेम्बलमेंट नेशनल के नेता मैरिन ले पेन ने 2018 में अपनी पार्टी का नाम बदलकर फिर से उसे खड़ा करने की कोशिश की थी. उसने लोकलुभावन और एंटी इमिग्रेंट स्थिति बनाए रखी थी. वो साल्विनी का दोस्त माना जाता है.


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एक स्थानीय एनजीओ डब्ल्यूईएसटीटी यूरोपियन सांसदों का भारतीय होस्ट है. इस प्रतिनिधिमंडल में ब्रिटेन और पोलैंड के सांसद भी शामिल हैं.

निजी यात्रा

सूत्रों के अनुसार विदेश मंत्रालय का इस यात्रा से कोई लेना-देना नहीं है. यह एक निजी यात्रा है.

दिल्ली स्थित यूरोपियन यूनियन के राजनयिकों ने भी यही बात कही. एक ईयू डिप्लोमेट ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘इन सभी लोगों की यात्रा निजी है.’

यूरोपियन सांसदों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ हुई मुलाकात निजी नहीं थी.

प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से आए एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पीएम मोदी को आशा है कि इन सभी लोगों की देश के विभिन्न हिस्सों में होने वाली यात्रा अच्छी होगी. इसमें जम्मू-कश्मीर शामिल है. जम्मू-कश्मीर की इन सभी लोगों की यात्रा से उन्हें जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की सांस्कृतिक और धार्मिक विभिन्नताओं के बारे में अच्छी समझ बनेगी.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यूरोपियन सांसदों ने एनएसए अजीत डोभाल से आधे घंटे तक मुलाकात की. डोभाल ने उन्हें पाकिस्तान की तरफ से फैलाए जा रहे प्रौपेगेंडा के बारे में बताया.

डोभाल ने कहा वहां आवाजाही पर किसी प्रकार की पाबंदी नहीं है. 100 फीसदी लैंडलाइन और टेलीफोन सेवाएं जम्मू-कश्मीर में चल रही हैं. सभी अस्पताल काम कर रहे हैं. आतंकी लोगों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सरकार सामान्य स्थिति बनाने की कोशिश कर रही है.

एनएसए की ब्रीफिंग भी ऐतिहासिक थी: जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ के एक राज्य के रूप में शामिल किए जाने पर पाकिस्तान ने कभी आपत्ति नहीं जताई थी, कैसे अनुच्छेद 370 हमेशा ‘अस्थायी’ था और संविधान में 395 लेखों में से केवल एक. कैसे जम्मू और कश्मीर 1947 में भारत में इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसेशन पर हस्ताक्षर किए थे.

कश्मीर में नई शूरुआत

यूरोपियन सांसद मंगलवार को श्रीनगर की यात्रा करेंगे और वहीं रात भर रुकेंगे. सांसदों का प्रतिनिधिमंडल डल झील भी घूम सकता है. वो सभी वहां के लोगों और पुलिस प्रशासन की तरफ से होने वाले एक कार्यक्रम में शामिल होंगे और राज्य की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी लेंगे.


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सूत्रों के अनुसार प्रतिनिधिमंडल बादामी बाग में भारतीय सेना के अधिकारियें के साथ लंच भी करेगी.

पुलिस सूत्रों ने बताया कि सांसदों की तरफ से आतंक प्रभावित दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले की यात्रा करने को लेकर भी मांग की गई है. लेकिन प्रशासन ने उन्हें अनंतनाग जाने की सलाह दी है. हालांकि अनंतनाग भी आतंक प्रभावित इलाका है. इस जिले में काफी संख्या में सुरक्षाबल मौजूद हैं. यह योजना अभी तक तय नहीं है.

प्रतिनिधिमंडल अगर अनंतनाग जाता है तो वो वहां सिविल सोसाइटी के सदस्यों से मुलाकात कर सकता है. सांसद एक प्रेस कांफ्रेंस भी करेंगे जिसमें वो कुछ पत्रकारों से बात करेंगे. प्रेस कांफ्रेंस पूरी तरह से सुरक्षित जगह श्रीनगर में होगी.

इस यात्रा का महत्व

यूरोपियन सांसदों की श्रीनगर यात्रा पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण के काउंटर के तौर पर देखा जा रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन की मदद से संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा ले गए लेकिन भारत इस मसले का बंद दरवाजे के भीतर बात कराने में सफल हो गया.

एक सप्ताह पहले पाकिस्तान स्थित राजनयिकों और मीडिया को एलओसी के पास ले जाया गया और कहा गया कि भारत का ये दावा कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकी भेजता है वो झूठ है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(स्नेहेश एलेक्स फिलिप के इनपुट के साथ)

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