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कर्नाटक पुलिस के भगवा कपड़ों पर मचा घमासान, सिद्धारमैया बोले—ये तो ‘यूपी जैसा जंगल राज’

कर्नाटक विधानसभा में विपक्षी दल कांग्रेस के नेता सिद्धारमैया ने रविवार को इन तस्वीरों को ट्वीट करके बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधा और कर्नाटक को ‘उत्तर प्रदेश जैसे जंगल राज’ में बदलने का आरोप लगाया.

पिछले हफ्ते आयुध पूजा के दौरान उडुपी जिले में काउप पुलिस स्टेशन के बाहर पुलिसकर्मी केसरिया रंग के कपड़े पहने हुए । फोटोः ट्विटर । @siddaramaiah

बेंगलुरु: कर्नाटक में गुरुवार (14 अक्टूबर) को पुलिस थानों के बाहर भगवा कपड़े पहने पुलिसकर्मियों की तस्वीरें सामने आने और सोशल मीडिया पर वायरल हो जाने के बाद से एक नया राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है.

इन तस्वीरों में विजयपुरा ग्रामीण पुलिस स्टेशन में एसपी समेत सभी पुलिसकर्मी सफेद कपड़े पहने और ऊपर भगवा गमछा डाले नजर आ रहे हैं. उडुपी के कौप पुलिस स्टेशन में तो कर्मियों को भगवा कुर्ते और सफेद धोती पहने देखा जा सकता है.

कर्नाटक विधानसभा में विपक्षी दल कांग्रेस के नेता सिद्धारमैया ने रविवार को इन तस्वीरों को ट्वीट करके बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधा और कर्नाटक को ‘उत्तर प्रदेश जैसे जंगल राज’ में बदलने का आरोप लगाया. इसके साथ ही राज्य में राजनीतिक घमासान तेज हो गया. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बोम्मई के खिलाफ लगातार ट्विटर वार छेड़ रखी है और सीएम के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने भी सोमवार को अपने सोशल मीडिया पेज पर इस मामले को उठाया.

सिद्धारमैया ने रविवार को बोम्मई पर निशाना साधते हुए कहा, ‘आपने पुलिस की केवल वर्दी ही क्यों बदली है, मिस्टर बोम्मई? उन्हें एक-एक त्रिशूल थमा दीजिए और हिंसा की अनुमति भी दे दीजिए. इस तरह जंगल राज स्थापित करने का आपका सपना पूरा हो जाएगा.’

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सिद्धारमैया ने कहा, ‘कर्नाटक पुलिस मॉरल पुलिसिंग पर मुख्यमंत्री के बचाव को अपने लिए एक संकेत मान रही है और उसने सारे देश में लागू नियम-कानूनों को अपने पुलिस थानों के अंदर ताक पर रख दिया है. कर्नाटक में त्रुटिहीन और जनता के हितों को ध्यान में रखने वाले शासन का सम्मानजनक इतिहास रहा है. यह आपके योगी आदित्यनाथ का जंगल राज नहीं है. यदि बोम्मई संवैधानिक रूप से मजबूत सरकार प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और घर बैठना चाहिए.’

शिवकुमार ने कहा, ‘हमारे पुलिस बल हर तरह के भेदभावों से ऊपर उठकर कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक प्रावधानों से बंधे हैं. एक राजनीतिक संगठन के रंग में रंगकर कर्नाटक पुलिस किस तरह की मिसाल कायम कर रही है? क्या कर्नाटक के मुख्यमंत्री और डीजीपी इस गंभीर मामले को देखेंगे?’

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवि जैसे पार्टी नेता पुलिस कर्मियों का बचाव करते रहे हैं और कांग्रेस के हमलों पर जवाब देते हैं.

शिवकुमार के ट्वीट के जवाब में रवि ने कहा, ‘संविधान में कहां लिखा है कि हमारे पुलिसबलों को भगवा कपड़े नहीं पहनने चाहिए? कांग्रेस के नेताओं द्वारा संविधान की अपनी तरह से व्याख्या करना हास्यास्पद है. भगवा रंग हमारे राष्ट्रीय ध्वज का हिस्सा है.’

घटना के बाद पुलिसकर्मियों को भेजी गई एडवाइजरी

एक तरफ जहां इस मामले पर राजनीतिक घमासान छिड़ा है, कर्नाटक के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने तस्वीरों को लेकर उठाए जा रहे सवालों को गंभीरता से लिया है.

पुलिस महानिरीक्षक (पश्चिमी रेंज) देवज्योति रे, कौप पुलिस स्टेशन इन्हीं के अधीन आता है, ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि तस्वीरें आयुध पूजा के दिन की थीं और पुलिस कर्मियों का इरादा कोई विशेष झुकाव दिखाने का नहीं था.

आईजी ने कहा, ‘यह एक त्योहार का दिन था और सभी पुलिस स्टेशनों में शस्त्र पूजा की जाती है. पुलिस कर्मचारियों ने केवल उत्सव के लिहाज से ऐसे कपड़े पहने थे, इसके पीछे इरादा किसी भी विचारधारा या संगठन के प्रति झुकाव या निष्ठा जताने का कतई नहीं था.’

उन्होंने बताया कि इसमें शामिल सभी कर्मियों को एक एडवाइजरी भेजी गई है और भविष्य में अधिक सावधानी बरतने को कहा गया है. रे ने कहा, ‘हमने संबंधित कर्मियों को सलाह दी है कि तटस्थता दिखाने वाले कपड़े ही पहने जाने चाहिए.’

हालांकि, राज्य के पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस नेता रामलिंग रेड्डी इस पर जोर देते हैं कि भगवा कपड़े पहनकर पुलिसकर्मियों ने पुलिस मैनुअल का उल्लंघन किया है जो उन्हें तटस्थता और धर्मनिरपेक्षता का भाव रखने का निर्देश देता है.

रेड्डी ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस उल्लंघन पर दोनों पुलिस स्टेशनों के एसएचओ को तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए. संघ परिवार को खुश करने की मुख्यमंत्री की कोशिश सभी संस्थानों की गरिमा को ध्वस्त कर रही है, और इसे रोका जाना चाहिए.’

वहीं, एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा कि विवाद ‘अनावश्यक’ था. आईजीपी रैंक के इस अधिकारी ने कहा कि अन्य कार्यालयों की तरह ही पुलिस थानों में भी आयुध पूजा का उत्सव मनाया जाना आम बात है.

अधिकारी ने कहा, ‘तस्वीरों में पुलिसकर्मियों के साथ उनके परिवार के सदस्य भी हैं. मस्जिदों के बाहर भी ईद पर मुस्लिम भाइयों को बधाई देने के लिए वरिष्ठ अधिकारी टोपी पहनते हैं. पुलिस नियमावली में किसी भी रंग के कपड़े पहनने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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