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जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी ने कहा- बडगाम में सीआरपीएफ ने भतीजे को ‘सामने से’ गोली मारी, झूठ बोल रही पुलिस

सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस का दावा है कि दो सुरक्षा पॉइंट छोड़कर भाग जाने के बाद महराजुद्दीन शाह को गोली मार दी गई थी, लेकिन उसके चाचा, (एक पुलिस अधिकारी) ने विरोध किया है.

कश्मीर में बुधवार को सीआरपीएफ का एक जवान गश्त पर । प्रतीकात्मक तस्वीर , फोटो : दिप्रिंट

श्रीनगर: कश्मीर के बडगाम जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान के हाथों एक 25 वर्षीय व्यक्ति की मौत ने बुधवार को एक विवाद पैदा कर दिया है. एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि वह बेवजह गोलीबारी का शिकार हो गया था.

जब शाह को कावोसा में एक सुरक्षा चौकी पर सीआरपीएफ के एक जवान ने गोली मारी थी, तो अपने चाचा गुलाम हसन शाह के साथ कार चला रहा था. सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बाद में बयान जारी कर दावा किया कि मेहराजुद्दीन को दो सुरक्षा केंद्रों से भागने के बाद गोली मार दी गई थी.

हालांकि, जम्मू और कश्मीर पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) शाह ने कहा, ‘बिना किसी चेतावनी के मेहराजुद्दीन को सामने से गोली मार दी गई. शाह ने कहा कि उन्होंने चेकिंग टीम को बताया कि वह एक पुलिस अधिकारी हैं, बावजूद इसके मेहराजुद्दीन को गोली मारी गई.

दिप्रिंट ने शाह के आरोपों पर टिप्पणी के लिए जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. इस बीच, श्रीनगर में तैनात सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि बल ने पहले ही एक बयान जारी कर दिया है.

‘अस्पताल पहुंचाने में भी उसकी मदद नहीं की’

जम्मू-कश्मीर बैंक की खिदमत सहायता केंद्रों में काम करने वाले मेहराजुद्दीन की बुधवार सुबह गोली मारकर हत्या कर दी गई. शाह, जो कि श्रीनगर में पुलिस नियंत्रण कक्ष में तैनात हैं, ने कहा कि उनका भतीजा घटना के समय काम कर रहा था.

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शाह ने दिप्रिंट को बताया कि सुबह में जब मैं ऑफिस के लिए निकल रहा था, मेरे भतीजे ने मुझे छोड़ने की पेशकश की. उन्होंने कहा, ‘जब हमें नाका (सुरक्षा चौकी) पर रोका गया, तो मैंने कांस्टेबल को बताया कि मैं पुलिस नियंत्रण कक्ष में तैनात एक एएसआई हूं. मैंने उससे कहा कि मुझे देर हो गई और उससे हमें जाने देने का अनुरोध किया.

उन्होंने कहा, कांस्टेबल ने हमें बताया कि हम जा सकते हैं लेकिन उसने सीआरपीएफ के एक जवान को कुछ संकेत दिया, जिसने मेरे भतीजे को सीने में सामने से गोली मार दी. बिना किसी चेतावनी के ऐसा किया गया.

शाह ने कहा, वह घबरा गया और कार से बाहर आया और कॉन्स्टेबल और सीआरपीएफ के जवान पर चिल्लाया.

‘फिर मैं अपने भतीजे की ओर वापस भागा, उसका खून बह रहा था. मैंने वहां मौजूद अधिकारियों से एक वाहन उपलब्ध कराने की विनती की ताकि मैं उसे अस्पताल ले जा सकूं लेकिन उन्होंने मदद नहीं की. उन्होंने वहां से जाने वाली किसी भी कार से मदद के लिए नहीं पूछा, 20 मिनट के बाद मैंने पूरी तरह से धैर्य खो दिया और सड़क के बीच में चिल्लाना शुरू कर दिया. एक स्थानीय निवासी ने हमें रोका और अस्पताल ले गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.’

मेहराजुद्दीन को पास के एक अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया. इससे पहले सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस दोनों ने दावा किया था कि मेहराजुद्दीन को दो सुरक्षा चौकियों से भागने के लिए गोली मारी गयी थी.

वह वाहन… संदिग्ध हालत में दो नाका पॉइंट से भाग गया था, नाका पार्टी ने भागने के प्रयास को विफल करने के लिए गोली मारी. वाहन का चालक घटना में घायल हो गया और उसकी पहचान मखमहा बीरवाह बडगाम के निवासी गुलाम नबी पीर के पुत्र मेहराजुद्दीन पीर के रूप में की गई. सीआरपीएफ ने कहा कि एक ‘जवान’ ने पहली बार मेहराजुद्दीन को रोकने के लिए चेतावनी दी थी, सेना के काफिले के पास एक संभावित ‘तोड़फोड़’ को लेकर हैरान थे.

सेना का एक काफिला, उस समय, बगल की सड़क से गुजर रहा था और तोड़फोड़ की आशंका थी, सी/ 141 के सीआरपीएफ के जवान ने इस नाके को निशाना बनाते हुए चेतावनी भरे शॉट्स लगाए. यह नागरिक कार सड़क की गलत दिशा में चल रहा था और यह और भी भयावह था. जब चेतावनी के बावजूद कार नहीं रुकी, तो जवान ने कार पर गोली चलाई और चालक को उसके बाएं कंधे पर चोट लगी.

हालांकि, शाह ने उनके दावे की खिलाफत की और कहा कि ‘मेरे भतीजे की हत्या के बारे में अधिकारियों द्वारा दिए गए बयान पूरी तरह से झूठ हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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