होम देश ‘30 सेकेंड में सबकुछ खत्म हो गया’- प्रत्यक्षदर्शियों ने अतीक, अशरफ़ पर...

‘30 सेकेंड में सबकुछ खत्म हो गया’- प्रत्यक्षदर्शियों ने अतीक, अशरफ़ पर हुए हमले को याद करते हुए कहा

चश्मदीदों ने बताया कि अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ़ पर हमला करने वालों ने अंधाधुंध गोलियां चलाने के बाद भागे नहीं बल्कि इसके बजाय पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. साथ ही उन्होंने ‘जय श्री राम’ के नारे भी लगाए.

वह स्थान जहां अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ़ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी | फोटो: सुरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

लखनऊ: पंकज श्रीवास्तव बाल-बाल बच गए. पंकज कहते हैं, ‘मैं जमीन पर गिर गया और गोली मेरे सिर के ऊपर से निकल गई. मैं अभी भी सदमे से उबर नहीं पाया हूं. मुझे भी मार दिया गया होता.’ श्रीवास्तव उन मीडियाकर्मियों में शामिल थे जिनके सामने अतीक अहमद और अशरफ़ को मार दिया गया. वह उस क्षण को घबराहट के साथ याद करते हैं. प्रयागराज मेडिकल कॉलेज में पुलिस द्वारा मेडिकल जांच के लिए ले जाने के दौरान अतीक और उसके भाई अशरफ़ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

सीनियर कैमरा पर्सन नीरज कुमार कहते हैं, ‘यह सब 30 सेकेंड में हो गया, इससे पहले कि कोई प्रोसेस कर पाता.’ अन्य मीडियाकर्मी जो शूटिंग के चश्मदीद गवाह थे, ने दिप्रिंट को बताया कि हमलावरों ने सुरक्षा घेरा तोड़कर अतीक को पॉइंट-ब्लैंक रेंज से गोली मार दी.

तीन लोगों ने अहमद बंधुओं पर कम से कम 20 राउंड गोलियां चलाईं, इससे पहले कि घेराबंदी कर रहे पुलिसकर्मी स्थिति को संभाल पाते, उनकी मौके पर ही मौत हो गई. पुलिस ने तीनों हमलावरों की पहचान लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य के रूप में की है.

उस दिन पहले अपने बेटे असद के अंतिम संस्कार में शामिल होने में असमर्थता पर अतीक की प्रतिक्रिया जानने के लिए मीडियाकर्मी शनिवार रात मेडिकल कॉलेज के बाहर जमा हुए थे. अतीक मीडिया को सिर्फ इतना ही बोल पाया था कि ‘वे हमें नहीं ले गए, इसलिए हम नहीं गए’ की उसे गोली मार दी गई. ये अतीक के अंतिम शब्द थे.

उमेश पाल हत्याकांड में नामजद आरोपी असद और उसका साथी गुलाम गुरुवार को झांसी में उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारे गए थे.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

इस बीच, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अतीक और अशरफ़ पर घातक हमले की जांच के लिए तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है. सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया, ‘तीनों हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस जांच कर रही है.’

राज्य के सभी 75 जिलों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 144 लगा दी गई है. किसी भी स्थान पर चार से अधिक लोगों के जमा रहने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. सीएमओ की ओर से सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किया गया.

‘भागे नहीं, सरेंडर किया’

कुमार याद करते हैं कि तीनों हमलावरों ने अतीक और उसके भाई अशरफ़ पर अंधाधुंध गोलियां चलाने के बाद अपने दोनों हाथ ऊपर उठाए और चिल्लाते हुए ‘आत्मसमर्पण’ कर दिया. वो कहते हैं, ‘वे भागे नहीं. उन्होंने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया जिसके बाद उन्हें पकड़ लिया और उन्हें हिरासत में ले लिया. जब पुलिस उन्हें जीप तक ले जा रही थी तो उन्होंने जय श्री राम के नारे लगाए.’

एक अन्य पत्रकार, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से बात की, का कहना है कि घटना के बाद एक पहचान पत्र और एक माइक लावारिस हालत में फर्श पर पड़ा देखा गया था.

शनिवार रात मीडिया को संबोधित करते हुए प्रयागराज के पुलिस आयुक्त रमित शर्मा ने कहा था कि तीनों हमलावरों ने अतीक और उसके भाई के करीब जाने के लिए पत्रकार होने का नाटक किया. शर्मा ने कहा था कि तीनों अब हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ की जा रही है.

रविवार को, पुलिस ने आगे स्पष्ट किया कि घातक हमले में समाचार एजेंसी एएनआई से जुड़े एक पत्रकार और एक पुलिस कांस्टेबल के भी घायल होने की खबरों के विपरीत, पत्रकार शैलेश पांडे घबराहट में जमीन पर गिर गए और उनके पैर में चोट लग गई.

नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कहते हैं, ‘किसी भी पत्रकार को कोई गोली नहीं लगी है. पांडे के पैर में चोट लग गई है और वह थोड़ा लंगड़ा रहे हैं. लेकिन अब वह ठीक है.’

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: अतीक अहमद के हत्यारे लवलेश और सनी बेरोजगार, नशे के आदी थे, बनना चाहते थे बड़े माफिया


 

Exit mobile version