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ISRO ने Aditya-L1 को उसकी अंतिम कक्षा में किया स्थापित, पीएम मोदी बोले- एक और शानदार उपलब्धि

यान को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ (एल 1) के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया गया है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सौर मिशन, आदित्य-एल1 लॉन्च किया था | एएनआई फोटो

नई दिल्ली: इसरो ने शनिवार को सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला, आदियता-एल1 को अपनी गंतव्य कक्षा लैग्रेंज प्वाइंट-1 में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश का पहला अंतरिक्ष आधारित मिशन ‘आदित्य एल1’ यान अपने अंतिम गंतव्य तक पहुंच गया है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसके साथ ही भारत ने एक और शानदार उपलब्धि हासिल कर ली.

यान को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ (एल 1) के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया गया है.

मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “भारत का पहला सौर अनुसंधान उपग्रह Adiyta-L1 अपने गंतव्य तक पहुंच गया. यह सबसे जटिल और कठिन अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है.”

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पीएम ने कहा, “मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ हूं. हम मानवता की भलाई के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को पार करते रहेंगे.”

ISRO के सौर मिशन आदित्य-एल1 के हेलो ऑर्बिट में प्रवेश पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “यह एक बड़ी उपलब्धि है… चंद्रयान की तरह यह भी हमारे लिए गौरव का क्षण है…”

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा था कि आदित्य एल-1 शनिवार को अपराह्न चार बजे एल1 प्वाइंट पर पहुंचेगा.

एल1 प्वाइंट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है और इस स्थान से सूर्य की दूरी भी 15 लाख किलोमीटर ही है.

आदित्य एल1 उपग्रह को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पिछले वर्ष 2 सितंबर को प्रक्षेपित किया गया था.


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