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इस बार चुनाव में भ्रष्टाचार नहीं, रोजगार होगा सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा: एडीआर रिपोर्ट

ये सर्वे अक्टूबर से दिसंबर के बीच आयोजित किया गया है. एडीआर के मुताबिक इस बार यह सबसे बड़ा मुद्दा होने वाला है. हेल्थ दूसरा बड़ा मुद्दा होगा.

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एक व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र | ब्लूमबर्ग
लखनऊ: अन्ना आंदोलन के बाद साल 2014 लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार अहम मुद्दा था, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में रोजगार सबसे अहम मुद्दा होने वाला है. इसका दावा चुनावी आंकड़ों पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फाॅर डेमोक्रेटिक रिफाॅर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट में किया गया है. इस रिपोर्ट में यूपी में भी इस मुद्दे को सबसे अहम मुद्दा बताया गया है. लखनऊ में शुक्रवार को एडीआर की रिपोर्ट जारी की गई.
यह सर्वे यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर लगभग 40 हजार मतदाताओं के बीच हुआ है. इसे अक्टूबर से दिसंबर के बीच आयोजित किया गया था. एडीआर के मुताबिक इस बार रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा बनने वाला है. हेल्थ दूसरा बड़ा मुद्दा होगा. इसी क्रम में लाॅ एंड आर्डर तीसरा सबसे बड़ा मुद्दा होने वाला है. एडीआर के स्टेट कोऑर्डिनेटर संजय सिंह ने बताया कि हैरानी की बात ये है कि सर्वे में भ्रष्टाचार अहम मुद्दों की लिस्ट में सबसे आखिरी स्थान पर है. यानी जनता भ्रष्टाचार से ज्यादा रोजगार को लेकर फिक्रमंद है.
सर्वे में ये भी सामने आया कि अहम मुद्दों को लेकर जनता मौजूदा सरकार के परफाॅर्मेंस से संतुष्ट नहीं है. यूपी में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है. शहरी क्षेत्रों में ये अहम मुद्दा बनने वाला है. वहीं ग्रामीण इलाकों में किसानों की कर्जमाफी बड़ा मुद्दा साबित हो सकता है. किसान लगातार इसकी मांग करते आए हैं. इसके अलावा सिंचाई का पानी भी उन अहम मुद्दों में है जिनको ध्यान में रखते हुए ग्रामीण इस बार वोट करेंगे.

आपराधिक व आर्थिक रूप से मजबूत लोग बढ़े

एडीआर की रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि राजनीतिक पार्टियों में आपराधिक व आर्थिक रूप से मजबूत लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है. सभी दलों ने ऐसे लोगों को अपनाया है. उत्तर प्रदेश के 34 एमएलए की आय में 300 गुना की वृद्धि दर्ज की गई. कई विधायकों की औसत संपति 2007 में एक करोड़ रुपये थी. वह 2017 में बढ़कर सात करोड़ रुपये हो गई है. साथ ही फिर से चुनाव लड़ने वालों की आय में करीब 60 गुना बढ़ोत्तरी दर्ज की गई.
यह भी बताया गया कि उत्तर प्रदेश में जो चार प्रमुख दल हैं, चारों ने अपराधियों को अपनाया है. इन सबने उन्हीं को टिकट दिया है जो आर्थिक रूप से मजबूत थे. वहीं फिर से चुने गए विधायकों में देखा जाए तो 31 विधायकों की 2007 में औसत संपत्ति 1.4 करोड़ थी. जो 2012 में जा कर 3.78 करोड़ हो गई. वहीं 2017 में यह संपत्ति बढ़कर 7.74 करोड़ हो गई. खास बात यह है कि यह संपत्ति उनके ही द्वारा घोषित की गई है.

इन पांच सांसदों की संपत्ति सबसे ज्यादा बढ़ी

एडीआर के मुताबिक 2004 से 2014 लोकसभा चुनाव के बीच यूपी के इन पांच पुन:निर्वाचित सांसदों की संपत्ति सबसे अधिक बढ़ी है.
– राहुल गांधी (कांग्रेस)- 1597% बढ़ोत्तरी
– मुलायम सिंह यादव ( सपा) -1283% बढ़ोत्तरी
– सोनिया गांधी (कांग्रेस) -984%बढ़ोत्तरी
– मेनका गांधी (बीजेपी) -460%बढ़ोत्तरी
– ब्रज भूषण शरण सिंह (बीजेपी) -72%बढ़ोत्तरी

समय पर होंगे लोकसभा चुनाव

मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने साफ किया कि देश में लोकसभा चुनाव 2019 समय से ही होंगे. लखनऊ में उन्होंने मीडिया से बातचीत की. उन्होंने कहा कि देश में लोकसभा के चुनाव समय से होंगे. उन्होंने चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया.
चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस | सुमित कुमार
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि लोकसभा के साथ ही साथ विधानसभा चुनावों में ईवीएम को फुटबॉल बना दिया गया है. अगर रिजल्ट अच्छा है तो ईवीएम अच्छी है, अगर रिजल्ट खराब है तो ईवीएम खराब है.

‘सी—विजिल’ मोबाइल एप्लीकेशन पर दर्ज करा सकते हैं शिकायत

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे देश में ‘सी—विजिल’ मोबाइल ऐप शुरू की जा रही है, जिस पर कोई भी नागरिक चुनाव से सम्बन्धित शिकायत दर्ज करा सकता है. चुनाव से पहले ‘सी-विजिल’ लॉन्च किया जाएगा. इस ऐप में हर नागरिक शिकायत दर्ज करा सकेगा. उन्होंने बताया कि यूपी में इस ऐप का पहली बार इस्तेमाल होगा. जिनका नाम मतदाता सूची से छूट गया है वो अपना नाम इस ऐप की सहायता से पंजीकृत करा सकते हैं. इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है.

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