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कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण पर भारतीय अमेरिकी डॉक्टरों का देश को बंद करने का अनुरोध

विदेश सचिव ने कोरोना वायरस पर कुछ हिंद-प्रशांत देशों के बीच चर्चा के लिए अमेरिका द्वारा की गई कांफ्रेंस कॉल में भाग लिया बताया कैसी है कोविड-19 से निपटने की भारत की तैयारी.

आगरा में संक्रमण से बचने के लिए पर्यटक मास्क लगाकर ताजमहल देखने पहुंचे/ फाइल फोटो: एएनआई

नई दिल्ली: अमेरिका में जानलेवा कोरोना वायरस के तेजी से फैलने को लेकर चिंतित भारतीय-अमेरिकी डॉक्टरों के एक प्रभावशाली समूह ने संघीय और राज्य सरकारों से शहरों एवं संस्थानों को पूरी तरह से बंद करने और देशवासियों को स्वत: पृथक रहने के लिए कहने का अनुरोध किया. अमेरिका में संक्रमित मामलों की संख्या 14,299 है और 218 लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना वायरस के मामले सभी 50 राज्यों और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया तथा प्युर्तो रिको में दर्ज किए गए हैं.

दुनिया को बताया भारत क्या कर रहा है

वहीं दूसरी तरफ भारत के विदेश सचिव ने कोरोना वायरस पर कुछ हिंद-प्रशांत देशों के बीच चर्चा के लिए अमेरिका द्वारा की गई कांफ्रेंस कॉल में भाग लिया.

विदेश मंत्रालय ने बताया इस कांफ्रेंस में भारत, अमेरिका के अलावा कोरोना वायरस पर टेलीकांफ्रेंस में ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, न्यूजीलैंड, जापान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत द्वारा उठाए सक्रिय कदमों पर जानकारी दी. विदेश सचिव ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए एक साथ मिलकर काम करने और क्षेत्र में साझेदारों के साथ विभिन्न पहलुओं को साझा करने की भारत की इच्छा से अवगत कराया.

एएपीआई के अध्यक्ष सुरेश रेड्डी ने कहा, ‘अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडियन ऑरिजिन या एएपीआई संघीय, राज्य और स्थानीय सरकारों तथा नीति निर्माताओं से इस संकट को अनियंत्रित होने से रोकने के लिए तत्काल और गंभीर कदम उठाने का अनुरोध करती है.’

अमेरिका में भारतीय मूल के करीब 100,000 डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली एएपीआई देश में सबसे बड़ा जातीय चिकित्सा संघ है.

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रेड्डी ने कहा कि एएपीआई के सदस्य कोविड-19 वैश्विक महामारी के बढ़ने और समाज, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तथा अर्थव्यवस्था पर इसके असर को लेकर चिंतित हैं.

उन्होंने कहा, ‘डॉक्टरो, नर्सों, ईएमएस पराचिकित्सकों, चिकित्सा सहायकों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर समेत स्वास्थ्य देखभाल के अपने साथी कर्मचारियों की प्रशंसा करने के साथ ही हम दुखी है कि इनमें से कई लोग मरीजों का इलाज करते हुए संक्रमित हो रहे हैं तथा अक्सर उनके पास निजी सुरक्षा उपकरण नहीं होते जिससे उनकी सुरक्षा तथा उनके परिवार को खतरा है.’

एएपीआई की उपाध्यक्ष अनुपमा गोटीमुकुला ने आगाह किया कि अगर प्रभावी कार्रवाई के बिना मौजूदा प्रवृत्ति बनी रहती है तो हमें पांच से छह दिनों में संक्रमण के तीन गुना मामले और मौत देखने को मिल सकते हैं.

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