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‘पूरी तरह स्वदेशी’ कोविड वैक्सीन बनाने की तरफ भारत ने बढ़ाया कदम, भारत बायोटेक के साथ मिलकर काम करेगा आईसीएमआर

भारत में इस बड़ी पहल की ओर तब कदम बढ़ाया गया है जब देश में कोरोनावायरस से संक्रमितों की संख्या बढ़कर 60,000 के पार चली गई है.

कोविड- 19 टेस्ट की प्रतिकात्मक तस्वीर फ़ोटो: पीटीआई

नई दिल्ली: भारत में कोविड 19 के इलाज से जुड़े वैक्सीन को बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है. इसके लिए इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) के साथ हाथ मिलाया है.

भारत में इस बड़ी पहल की ओर तब कदम बढ़ाया गया है जब देश में कोरोनावायरस से संक्रमितों की संख्या बढ़कर 60,000 के पार चली गई है.

इस बारे में आईसीएमआर द्वारा जारी किए गए एक बयान के मुताबिक, ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी (एनआईवी) पुणे में वायरस के जिस स्ट्रेन को अलग किया गया है उसे वैक्सीन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इस स्ट्रेन को सफलतापूर्वक एनआईवी ने बीबीआईएल को दे दिया है. इसे विकसित करने को लेकर दोनों ने काम शुरू कर दिया है.’

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक फिलहाल दुनिया भर में 100 कैंडिडेट वैक्सीन को विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसी आठ वैक्सीन क्लिनिकल जांच के स्तर पर हैं. इनमें अमेरिका स्थित बॉयोटेक कंपनी मॉर्डना और यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफर्ड द्वारा तैयार की गई वैक्सीन भी शामिल हैं.

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तेज़ी के साथ चल रहा वैक्सीन बनाने का काम

ये पहला मौका है जब भारत में वैक्सीन बनाने का काम शुरू हुआ है, जबकि यहां कोविड का पहला मामला जनवरी के अंत में आया था.

हालांकि, दिप्रिंट से बातचीत में दिल्ली में आईसीएमआर के अनुसंधान प्रबंधन, नीति नियोजन और संचार विभाग के प्रमुख और क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र, गोरखपुर के निदेशक रजनीकांत श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसे प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिहाज़ से बहुत ज़्यादा समय नहीं लिया गया है.

उन्होंने कहा, ‘मार्च तक कोविड के महज़ तीन मामले थे. हमने मार्च में काम करना शुरू कर दिया…महज़ दो महीनों में हम वायरस को अलग करने, कल्चर करने और वैक्सीन बनाने के लिए इसे ट्रांसफर करने में सफ़ल हो गए.’


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आईसीएमआर के बयान के मुताबिक कोविड-19 के लिए देश में सबसे पहले टेस्ट शुरू करने वाली एनआईवी पुणे, ‘वैक्सीन विकसित करने के लिए बीबीआईएल को पूरा समर्थन देगी.’ श्रीवास्तव ने कहा कि बीबीआईएल को ‘वैक्सीन विकसित करने में इसकी निपुणता’ के लिए चुना गया है.

उन्होंने कहा, ‘इसके पहले इन्होंने जापानी इंसेफेलाइटिस के लिए वैक्सीन विकसित की थी. इसी वजह से इन्हें चुना गया…अब वो नई वैक्सीन तैयार करेंगे.’

उन्होंने कहा कि वैक्सीन बनाने में कम के कम छह महीने से साल भर का समय लगेगा क्योंकि इसे जानवरों और इंसान पर होने वाले मानक परीक्षण की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ेगा.

भारत में रविवार को 3,277 मामलों के साथ कोविड-19 के मामलों की संख्या बढ़कर 62,939 हो गए हैं. सबसे ज़्यादा मामले महाराष्ट्र में सामने आए हैं जहां कुल मामलों की संख्या 19,063 से बढ़कर 20,228 हो गए हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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