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सभी द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा के लिए भारत-नेपाल ‘जल्द’ कर सकते हैं बैठक, लेकिन कालापानी के लिए करना होगा इंतज़ार

भारत और नेपाल के बाउण्डरी वर्किंग ग्रुप की बैठक जल्द होने की संभावना है, जिसमें तकनीकी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिनमें सीमावर्ती इलाक़ों में सरहद पर लगे खंभों की मरम्मत भी शामिल है.

भारत-नेपाल सीमा, प्रतीकात्मक तस्वीर | एएनआई

नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि भारत और नेपाल के, बाउण्डरी वर्किंग ग्रुप की बैठक जल्द होने की संभावना के बीच, नई दिल्ली ने कहा है, कि वो काठमांडु के साथ द्विपक्षीय महत्व के सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है, सिवाय कालापानी सीमा विवाद के.

नेपाल में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा, फिलहाल नई दिल्ली के दौरे पर हैं, और सूत्रों के अनुसार, उन मुद्दों पर “परामर्श” कर रहे हैं, जिनमें सीमावर्ती इलाक़ों में सरहद पर लगे खंभों की मरम्मत, और लावारिस इलाक़ों पर बातचीत शामिल हैं.

सूत्रों ने आगे कहा, कि ‘जल्द’ होने वाली बीडब्लूजी बैठक में, इन चर्चाओं को वरीयता दी जाएगी, लेकिन विवादास्पद कालापानी क्षेत्र पर, द्विपक्षीय बातचीत नहीं की जाएगी, क्योंकि उस पर विदेश सचिवों की बैठक में चर्चा की जाएगी.

एक शीर्ष अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘सीमा पर चर्चा का तो सवाल ही नहीं है’.

भारत ने कहा है कि वो सीमा पर चर्चा के लिए तब बैठेगा, जब महामारी का प्रकोप कम हो जाएगा. लेकिन, नेपाल ने आगे बढ़कर 20 मई को एक नया नक़्शा जारी कर दिया, जिसमें उसने कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख के विवादास्पद क्षेत्रों को, अपने हिस्से के तौर पर दर्शाया है, जिसे भारत ने ख़ारिज कर दिया है.

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नेपाल ने ये क़दम तब उठाया जब भारत ने, कैलाश मानसरोवर के लिए एक नई सड़क का उदघाटन किया, जो लिपुलेख इलाक़े से होकर जाती है. वो पिछले साल से ही भारत पर, सीमा विवाद पर चर्चा के लिए दबाव डाल रहा है, जब नई दिल्ली ने अपना राजनीतिक नक़्शा जारी किया था. लेकिन भारत ने अभी तक कोई तारीख़ नहीं सुझाई है.

बीडब्लूजी ने, जो विज्ञान व प्रौधोगिकी मंत्रालय के तहत आने वाले, भारत के सर्वेयर जनरल के तत्वावधान में होती है, सीमा संबंधित सभी कार्य पूरे करने के लिए, पहले 2022 तक की मियाद तय की थी.

आगामी बीडब्लूजी बैठक का प्रस्ताव काठमांडू की ओर से है, और सूत्रों ने बताया कि इस पर तब भी चर्चा हुई थी, जब 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की, उनके समकक्ष केपीएस ओली के बीच बातचीत हुई थी.

17 अगस्त को, भारत और नेपाल दोनों ने ‘ओवरसाइट मिकेनिज़म’ की एक बैठक की, जिसमें वहां चल रहीं भारत-पोषित विकास परियोजनाओं का जायज़ा लिया गया. ये बैठक काठमांडू में क्वात्रा और नेपाल के विदेश सचिव, शंकर दाल बैरागी के बीच हुई.

‘ओवरसाइट मिकेनिज़म’ की ये बैठक, एक साल के अंतराल के बाद हुई, जबकि इसे हर दो-तीन महीने बाद मिलना होता है.

मोदी-ओली फोन कॉल ने आगे की बातचीत का रास्ता साफ किया

सूत्रों के अनुसार, 15 अगस्त को दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच फोन पर चली लंबी बातचीत ने, तकनीकी स्तर की बैठकों का ‘रास्ता साफ कर दिया’, जो दोनों पड़ोसियों के बीच हालिया तरकार के बावजूद, अब एक के बाद एक हो रही हैं.

कॉल के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय मुद्दों, और कोविड-19 पर एक दूसरे के साथ सहयोग पर चर्चा की. नेपाल के विवादास्पद राजनीतिक मानचित्र जारी करने के बाद, ये पहला मौक़ा था जब दोनों नेताओं ने अधिकारिक रूप से बातचीत की.

सूत्रों ने बताया कि महामारी के अलावा, पीएम ओली देश के भीतर गंभीर राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहे थे, इस हद तक, कि एक समय लगा कि सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी टूटकर दो गुटों में बंट जाएगी.

इस बीच भारत नेपाल के नक़्शे के क़दम को, घरेलू स्तर पर सामने आ रही मुश्किलों से ध्यान बंटाने की, ओली की योजना के रूप में देख रहा था, चूंकि उनके इस्तीफे की मांग तेज़ हो रही थी.

नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत रंजीत राय ने कहा, ‘अब जब बातचीत शुरू हो गई है, तो हमें नेपाल के साथ अपना एंगेजमेंट फिर से शुरू कर देना चाहिए, और कम विवादास्पद मुद्दों को शायद पहले उठाना चाहिए. इसकी शुरूआत हम बहुत सी तकनीकी समितियों, और संयुक्त कार्य समूहों की बैठकों से कर सकते हैं, और उचित समय पर, विदेश सचिव-स्तर की वार्ताओं का रास्ता साफ कर सकते हैं’.

सूत्रों ने ये भी कहा कि दोनों पक्ष विदेश मंत्री स्तर पर, संयुक्त आयोग की बैठक भी कर सकते हैं, जिससे सीमा मुद्दे पर होने वाली, विदेश सचिव-स्तर की चर्चाओं को दिशा मिल सकती है. संयुक्त आयोग की बैठक साल में एक बार होती है. इस साल के लिए ये अभी तक नहीं हुई है.

इस हफ्ते के शुरू में दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में, भारत में नेपाल के राजदूत नीलाम्बर आचार्य ने कहा, कि ये एक ‘सकारात्मत संकेत’ है, कि दोनों प्रधान मंत्रियों ने आख़िरकार बात कर ली है.

आचार्य ने दिप्रिंट से कहा था, ‘भारत और नेपाल को जल्द ही बातचीत शुरू करनी चाहिए. अगर निरंतर संवाद स्थापित हो जाए, तो भारत और नेपाल सारे मसले शांतिपूर्वक सुलझा लेंगे’.

नेपाल के साथ एयर ट्रांसपोर्ट बबल

बृहस्पतिवार को विदेश मंत्रालय ने कहा, कि भारत जल्द ही नेपाल और दूसरे पड़ोसी देशों के साथ, एक एयर ट्रांसपोर्ट बबल भी शुरू करने जा रहा है, क्योंकि ज़मीनी सीमाओं के रास्ते दोनों देशों के बीच, लोगों की आवाजाही अभी भी प्रतिबंधित है.

एयर ट्रैवल बबल्स दो देशों के बीच अस्थाई बंदोबस्त होता है, जिसका मक़सद व्यवसायिक यात्री सेवाओं को फिर से शुरू करना होता है, जब नियमित अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें स्थगित हों- जैसा कि इस मामले में कोविड-19 की वजह से हैं.

भारत ने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, और यूएई के साथ एयर ट्रांसपोर्ट बबल्स बनाए हैं. पड़ोस में मॉलडीव्ज़ के साथ ये व्यवस्था पहले ही शुरू हो गई है, जबकि दूसरों के साथ की जा रही है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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