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मोदी के नेतृत्व में भारत जटिल मुद्दों पर रुख अपनाने से पीछे नहीं हटता: नड्डा

(फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत जटिल मुद्दों पर कोई रुख अपनाने से पीछे नहीं हटता है।

उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख को इसका उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने ऐसा रुख अपनाया जो सभी देशों को स्वीकार्य नहीं हो सकता लेकिन सभी इस बात की सराहना कर रहे हैं कि देश ने एक रुख अपनाया है और उस पर कायम रहा।

उन्होंने कहा कि मोदी के देश की कमान संभालने के बाद दुनिया भर में भारत की छवि बदली है जबकि इससे पूर्व भारत की छवि भ्रष्ट, कमजोर अर्थव्यवस्था, लगातार आतंकवादी हमलों और स्थिर सरकार की कमी वाले देश के रूप में थी।

नड्डा ने पुस्तक ‘‘मोदी: शेपिंग ए ग्लोबल ऑर्डर इन फ्लक्स’’ के विमोचन के अवसर पर यह बात कही।

उन्होंने केंद्र की पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि उस समय के प्रधानमंत्रियों ने वोट बैंक की राजनीति के कारण कभी भी इजराइल का दौरा नहीं किया लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में मोदी ने इजरायल के साथ फलस्तीन का दौरा कर यह साबित कर दिया कि भारत दो अलग-अलग देशों को सर्वोत्तम संभव तरीके से संभालने में सक्षम है।

नड्डा ने कहा कि यह समझना जरूरी है कि प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने से पहले भारत की छवि क्या थी।

उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था गिर रही थी, भारत की छवि एक भ्रष्ट देश की थी, बार-बार आतंकवादी हमले होते थे और एक स्थिर सरकार की कमी थी। बेहद दुखद बात यह थी कि प्रधानमंत्री के अधिकार का क्षरण हुआ।’’

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि इसके विपरीत मोदी के नेतृत्व में भारत आज अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर स्पष्ट रुख लेने में संकोच नहीं करता।

उन्होंने कहा, ‘‘लंबे समय से भारत कड़ा रुख अख्तियार करने से कतराता रहा है। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत आज अंतरराष्ट्रीय मुद्दों व जटिल मुद्दों पर एक स्पष्ट रुख ले सकता है।’’

उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

नड्डा ने कहा कि भारत, पाकिस्तान के साथ सावधानीपूर्वक संतुलन बनाने में भी सफल रहा है जबकि पहले ऐसा नहीं था।

उन्होंने दावा किया कि भारत को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान से काफी आगे देखा जा रहा है और पड़ोसी देश आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग पड़ गया है।

ज्ञात हो कि पहले की नीति से हटकर और दो प्रतिद्वंद्वियों के प्रति एक स्वतंत्र नीति का समर्थन करना भारत की विदेश नीति में डी-हाईफनेशन कहलाता है। डी-हाईफनेशन वास्तव में एक सावधानीपूर्वक संतुलन बनाने वाला कार्य है, जिसमें भारत स्थिति की मांग के अनुसार एक तरफ से दूसरी तरफ जा रहा है।

नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में मोदी ने लगभग 60 देशों का दौरा किया और उन्होंने 100 से अधिक विदेशी यात्राएं कीं।

उन्होंने कहा कि मोदी ने व्यावहारिक रूप से सभी पड़ोसी देशों का दौरा किया और संबंधों को मजबूत किया।

उन्होंने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं, लेकिन पिछली सरकारों ने उन्हें और मजबूत करने के प्रयास नहीं किए, जैसा कि मोदी ने किया।

नड्डा ने कहा कि पाकिस्तान में आतंकी शिविरों को निशाना बनाने वाले सर्जिकल स्ट्राइक जैसे प्रधानमंत्री के कड़े फैसलों की वैश्विक स्तर पर सराहना की गई।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत की सभ्यतागत ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’नीति को भी आगे बढ़ाया है और मानवीय संकट का सामना कर रहे अन्य देशों को मदद भी पहुंचाई।

उन्होंने कहा कि भारत बहुपक्षीय मंचों पर भी अधिक प्रभावी भूमिका निभा रहा है और अब वह जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर भी भारत आज नेतृत्व कर रहा है।

नड्डा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के कदमों ने दुनिया भर में भारत की छवि बदली है।’’

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत को देखने के तरीके को बदलने में प्रधानमंत्री मोदी के योगदान पर अपेक्षाकृत कम लिखा गया है और यह पुस्तक एक बहस शुरू करेगी।

पुस्तक के संपादकों में से एक भाजपा के विदेश विभाग के प्रभारी विजय चौथाईवाले ने कहा कि मोदी सरकार ने विदेश नीति के मोर्चे पर कई उपलब्धियां हासिल की हैं।

उन्होंने कहा कि उनमें से सबसे बड़ी उपलब्धि विदेश नीति का ‘‘लोकतांत्रिकरण’ रहा है और आम आदमी भी अब इस क्षेत्र में भारत की सफलताओं के बारे में बात कर रहा है।

भाषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र नरेश

नरेश

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