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‘रहस्यमयी वायरस’ के खात्मे के लिए हरियाणा के जींद में 50 जड़ी-बूटियों के साथ चल रहा है मोबाइल ‘कोरोना हवन’

जींद के गांवों में कोविड जैसे लक्षणों से हो रहीं मौतों में बढ़ोतरी के साथ, हवन के आयोजकों को लगता है कि इससे हवा में मौजूद वायरस को मारने में मदद मिलेगी और संक्रमित लोग ठीक हो जाएंगे.

जींद के गांवों से गुजरता मोबाइल 'कोरोना हवन' | रीति अग्रवाल | दिप्रिंट

जींद: एक काम चलाऊ थ्री-व्हीलर, जिस पर एक हवन कुंड फिट किया हुआ है, जिसमें लकड़ी के टुकड़े जल रहे हैं- और एक बर्तन में सामग्री रखी है, जो 50 जड़ी बूटियों से बनी है- उसे हरियाणा में जींद ज़िले के खाटकर गांव में घुमाया जा रहा है. जैसे ही वो पास से गुज़रता है, आसपास गहरा धुआं भर जाता है. ये वाहन हर दस मीटर पर रुकता है और लोग आग में सामग्री डालने, तथा मंत्रोच्चार करने के लिए जमा हो जाते हैं और गांव में अपने प्रियजनों की भलाई के लिए दुआ करते हैं.

ये एक मोबाइल ‘कोरोना हवन’ है- जो आर्य समाज गुरुकुल ने कलवा में आयोजित किया है, जो जींद के 312 गांवों में से एक है. इस हवन का उद्देश्य उस ‘रहस्यमयी वायरस’ को दूर भगाना है, जो ज़िले के ग्रामीण इलाकों में लोगों की जानें ले रहा है.

जींद के गांवों में कोविड जैसे लक्षणों से हो रहीं मौतों में बढ़ोतरी के साथ, हवन के आयोजकों को लगता है कि इससे हवा में मौजूद वायरस को मारने में मदद मिलेगी और जो लोग पहले ही संक्रमित हो चुके हैं, वो ठीक हो जाएंगे. इस तरह शुरू हुई इसकी गांव दर गांव यात्रा.

जींद में 425 मौतें दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें 141 मौतें गांवों में हुई हैं. लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि टेस्टिंग न होने की वजह से गांवों में हो रही कोविड मौतों की संख्या कम दर्ज की जा रही है.

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गुरुकुल के एक सेवक आर्य सुखदेव ने कहा, ‘इस वायरस ने, चाहे ये कोरोना है या कुछ और, इतने सारे लोगों को बीमार कर दिया है. इसलिए, इसे मारने के लिए हमने दुर्लभ जड़ी-बूटियां  जमा करके ये सामग्री बनाई है. एक बार ये आग में चली जाए, तो इससे निकलने वाले धुएं में उपचारात्मक गुण पैदा हो जाते हैं’.

उसने आगे कहा, ‘इसे यज्ञ चिकित्सा कहा जाता है. ये ऐसी बीमारियों का भी इलाज कर देती हैं, जिन्हें विज्ञान या चिकित्सा भी ठीक नहीं कर पातीं. इस यज्ञ से निकलने वाले धुएं को अंदर खींचने से वायरस या बैक्टीरिया या जो कुछ भी है, वो मारा जाता है. इसलिए हम ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि आगे आकर इसमें हिस्सा लें’.

मोबाइल हवन को चलाने के लिए गुरुकुल ने वॉलंटियर्स जुटाए हैं. यज्ञ करने के लिए खाटकर गांव के एक पुरोहित को साथ लिया गया है, जबकि गुरुकुल के अन्य सदस्य, वाहन के साथ साथ मंत्रोच्चार करते हुए चलते हैं.

आग जलाने के लिए लकड़ियों पर घी डालते हुए पुरोहित करमपाल ने कहा, ‘मुझे गुरुकुल के सदस्यों ने बुलाया था और मैंने उनसे कहा कि मैं हवन कराने के लिए खुशी-खुशी उनके साथ चलूंगा. हमें अपने ऊपर मंडराती इस बला को दूर भगाने की ज़रूरत है और इससे बेहतर उसका कोई दूसरा तरीका नहीं है’.


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‘वातावरण को साफ करने और मौतों को रोकने के लिए’

एक अन्य गुरुकुल सदस्य विश्वास ने, जो सिर्फ अपना पहला नाम लिखते हैं, कहा कि उन्होंने कई दिन काम करके सामग्री जुटाई, जिससे ‘संक्रमित वातावरण को शुद्ध करने में मदद मिलेगी, जिससे इतनी मौतें हो रही हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘इस हवन सामग्री में 50 से अधिक जड़ी-बूटियां हैं, जिनमें जावित्री, मखाना, गाय का शुद्ध घी, दूध, मनक्का और अन्य चीज़ें हैं, जिनमें औषधीय गुण होते हैं. ये हमारी ओर से योगदान है, ताकि ग्रामीण लोग उन बीमारियों से ठीक हो जाएं जिनसे वो पीड़ित हो सकते हैं. ये वातावरण को साफ करती हैं’.

विश्वास ने कहा, ‘कितने सारे लोग बुखार, सीने में दर्द, सांस फूलने आदि से मर रहे हैं, इसलिए हमने तय किया कि हवन के लिए इन जड़ी बूटियों को एकत्र किया जाए. जड़ी बूटियों का सही मिश्रण जुटाने में हमें कई दिन लग गए और हमें उम्मीद है कि इससे गांव वालों को जल्द ठीक होने में सहायता मिलेगी’.

उन्होंने आगे कहा, ‘हमने इसे मोबाइल रखा जिससे कि हम हर गांव में पहुंच सकें और एक जगह जमा होने की बजाय, हर कोई इसमें शरीक हो सके’.

हवन में सामग्री डालते लोग | रीति अग्रवाल | दिप्रिंट

इस पहल से ग्रामीण बेहद खुशी महसूस कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि इससे उनकी मुसीबतें दूर हो जाएंगी.

खाटकर गांव की एक निवासी शांति ने कहा, ‘इस वायरस या बीमारी से छुटकारा पाने के लिए, ये हवन बहुत ज़रूरी है, इसीलिए जब भी ये आता है, हम बाहर निकलकर चढ़ावा चढ़ाते हैं और प्रार्थना करते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि ये धुआं इस रहस्यमयी बुराई को दूर भगा देगा, जो हमें इस मुसीबत में डाल रही है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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