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कैसे चट्टानों को चीड़कर 41 मज़दूरों को निकाला गया: देखे उत्तरकाशी सुरंग के रेस्क्यू ऑपरेशन की तस्वीरें

निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 मज़दूरों को 17 दिनों के बाद मंगलवार को देर रात निकाल लिया गया. मज़दूरों को निकालने के लिए रैट होल माइनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया.

बचाव अभियान के दौरान सिल्क्यारा सुरंग के पास स्थानीय लोग इकट्ठा हुए | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा-बड़कोट सुरंग में 17 दिनों से फंसे 41 मजदूर मंगलवार रात को बाहर निकाल लिए गए. मजदूरों के निकलते ही जयकारे लगे और आतिशबाजी की गई.

कई दिनों से इलाके में डेरा डाले उनके रिश्तेदारों ने खुशी के आंसुओं के साथ उनका स्वागत किया. उनमें से कई मज़दूरों के परिवार अब दोबारा दिवाली मनाने की योजना बना रहे हैं.

यह एक चुनौतीपूर्ण बचाव अभियान था जिसमें केंद्र और राज्य सरकार की कुल 13 एजेंसियां ​​शामिल थी.

इनमें तेल और प्राकृतिक गैस निगम, बिजली कंपनियां एसजेवीएन और टीएचडीसी, रेल विकास निगम लिमिटेड और सुरंग परियोजना को लागू करने वाली इकाई राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड शामिल थे. साथ ही कई विदेशी विशेषज्ञ भी इसमें लगे हुए थे.

बचाव अभियान का अंतिम चरण रैट माइनर्स द्वारा सफलतापूर्वक पूरा किया गया, जिन्होंने 12-15 मीटर मलबे में सेंध लगाई और फंसे हुए श्रमिकों के लिए एक निकासी पाइप बिछाया.

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दिप्रिंट के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट सूरज सिंह बिष्ट – जो बचाव अभियान के शुरुआती दिनों से ही उत्तराखंड में थे – ने इन तस्वीरों को कैद किया है कि कैसे पिछले 17 दिनों में यह अभियान पूरा किया गया.

सुरंग के प्रवेश द्वार के सामने स्टैंडबाय पर एम्बुलेंस | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
बचाए गए मज़दूरों को ले जाने के लिए सुरंग के पास पार्क किए गए आपातकालीन वाहन | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
बचाए गए श्रमिकों को ले जाती एंबुलेंस | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
बचाए गए श्रमिकों को ले जाती एंबुलेंस | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
बचाए गए श्रमिकों को ले जाने वाली एम्बुलेंसें रवाना हो रही । फोटो: सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

जैसे ही स्टैंडबाय पर मौजूद एंबुलेंस मज़दूरों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक ले गईं, बाहर खड़े लोगों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘मोदी है तो मुमकिन है’ तथा ‘धामी-मोदी गंभीर है’ जैसे नारे लगाने लगे. साथ ही स्थानीय लोगों ने आपस में भी मिठाइयां बांटी. 

एम्बुलेंस में बैठे कुछ श्रमिकों के चेहरे पर मुस्कान थी जबकि अन्य के चेहरे पर थकान दिखी. उन्होंने मीडिया और भीड़ की ओर हाथ भी हिलाया.

यह भीषण ऑपरेशन, जिसे पूरे देश ने देखा और कई बाधाओं का सामना किया और उन पर काबू पाया, समाप्त हो गया था.

वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
स्थानीय लोग बचाव अभियान को देखते हुए | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
एक लड़की ने अपने फोन पर सुरंग में चल रहे बचाव अभियान का वीडियो शूट किया | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
बैठे लोग। सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
सुरंग पर एम्बुलेंस और आपातकालीन वाहन स्टैंडबाय पर | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
सीएम के टनल से लौटने के बाद हेलीकॉप्टर को देखती मेडिकल टीम | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
सुरंग पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के जवान | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
एसडीआरएफ के जवान सुरंग में प्रवेश करते हुए | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
बचाव के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी | सूरज सिंह बिष्ठ | दिप्रिंट

बचाव अभियान के दौरान ही साइट पर एक अस्थायी मंदिर बनाया गया था, जहां मजदूरों की सुरक्षित वापसी के लिए पूजा पाठ होती थी. स्थानीय लोगों ने सोमवार को वहां हवन भी किया था.

सुरंग पर एक अस्थायी मंदिर | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
मजदूरों की सुरक्षा के लिए ग्रामीण और स्थानीय लोग पूजा-हवन कर रहे हैं। सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

कई दिनों तक सूखे मेवे और मुरमुरे खाने के बाद मज़दूरों द्वारा गर्म खाने की मांग करने के बाद उन्हें चावल, रोटी और दाल भेजा गया.

मज़दूरों को दाल भेजा गया । सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
फंसे हुए मजदूरों के लिए पैक की जा रही रोटियां | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

सिल्क्यारा सुरंग नरेंद्र मोदी सरकार की प्रमुख चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना का हिस्सा है जिसका उद्देश्य उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों को जोड़ना है.

उत्तरकाशी में ध्वस्त सिल्क्यारा सुरंग के सामने रात का दृश्य | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
सुरंग स्थल पर हो रही ड्रिलिंग | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
टनल के सामने का दृश्य | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

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