होम देश कैसे मुंबई के सुस्त पड़े मोनोरेल सिस्टम को एक नई, स्वतंत्र टीम...

कैसे मुंबई के सुस्त पड़े मोनोरेल सिस्टम को एक नई, स्वतंत्र टीम बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है

स्वतंत्र मोनोरेल विभाग के लिए बनाए गए 17 नव-निर्मित पदों में से 11 पद अपनी प्रकृति में तकनीकी हैं, जिसमें से अधिकांश कार्य सिग्नलिंग, संचार, स्टेशन संचालन, सुरक्षा, विद्युत रखरखाव, स्पेयर पार्ट्स की खरीद आदि जैसी चीज़ों से संबंधित हैं.

मुंबई मोनोरेल । कॉमन्स

मुंबई: मुंबई मोनोरेल के संचालन को सुचारू बनाने के प्रयास में, मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) सार्वजनिक पारगमन प्रणाली को चलाने और अधिक कर्मचारियों को हायर करने के लिए एक स्वतंत्र विभाग स्थापित करने की योजना बना रहा है.

2014 में अपनी स्थापना के बाद से ही देश में अपनी तरह की पहली सार्वजनिक परिवहन प्रणाली कम यात्रियों और तकनीकी खामियों से ग्रस्त है.

पिछले महीने एक प्राधिकरण की बैठक में, एमएमआरडीए ने विभाग को चलाने के लिए तकनीकी, वित्तीय और प्रशासनिक पृष्ठभूमि में 17 लोगों को हायर करने का फैसला किया ताकि घरेलू तौर पर विशेषज्ञता की कमी को देखते हुए परिवहन प्रणाली के संचालन और रखरखाव को संभालने की अपनी क्षमता को बढ़ावा दिया जा सके.

मीटिंग में भाग लेने वाले एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘मोनोरेल का निर्माण करने वाले कॉन्ट्रैक्टर, भारत के लार्सन एंड टुब्रो और मलेशिया की स्कोमी इंजीनियरिंग के कंसोर्टियम, दिसंबर 2018 के बाद से ही तस्वीर से बाहर है. तब से एमएमआरडीए इस प्रोजेक्ट की देख-रेख कर रहा है. मोनोरेल की एक इकाई है, लेकिन यह एमएमआरडीए के परिवहन और संचार विभाग के नौ अधिकारियों द्वारा चलाया जाता है, जिसमें एक प्रशासन से और एक वित्त से है.

उन्होंने आगे कहा, ‘काम काफी तकनीकी प्रकृति का है. इसके अलावा, ये अधिकारी आठ घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं क्योंकि हमें मोनोरेल के संचालन और रखरखाव के लिए प्रभावी ढंग से चौबीसों घंटे सातों दिन काम करने वालों की आवश्यकता होती है. इसलिए, हमने निर्णय लिया कि इसके लिए एक स्वतंत्र विभाग होना बेहतर है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

स्वतंत्र मोनोरेल विभाग के लिए बनाए गए 17 नव-निर्मित पदों में से 11 पद अपनी प्रकृति में तकनीकी हैं, जिसमें से अधिकांश कार्य सिग्नलिंग, संचार, स्टेशन संचालन, सुरक्षा, विद्युत रखरखाव, स्पेयर पार्ट्स की खरीद आदि जैसी चीज़ों से संबंधित हैं.

 

संचालन में गड़बड़ियां

चेंबूर से वडाला होते हुए जैकब सर्कल तक चलने वाली 19.5 किलोमीटर की मोनोरेल को निर्माण शुरू होने के लगभग 10 साल बाद मार्च 2019 में यात्रियों के लिए पूरी तरह से खोला गया था. 2014 में एमएमआरडीए द्वारा चेंबूर से वडाला तक के लिए 8.8 किमी का पहला चरण खोला गया था.

हालांकि, इस मार्ग पर सवारी करने वालों की संख्या ज्यादा नहीं थी, जिससे लाइन के संचालन और रखरखाव पर असर पड़ा.

कम सवारी के पीछे कई कारण रहे. 2014 से 2019 तक, केवल एक चरण चालू था और यह भी बहुत ज्यादा यात्रा किए जाने वाला मार्ग नहीं था. 2019 के बाद, जब दूसरा चरण, जो कुछ घनी आबादी वाले क्षेत्रों से गुजरता है, खोला गया तो मोनोरेल के साथ रखरखाव, स्पेयर पार्ट्स की कमी आदि के मुद्दों की दिक्कत शुरू हो गई.

इसके बाद विकास प्राधिकरण ने अनुबंध उल्लंघनों का हवाला देते हुए अंततः मोनोरेल का निर्माण करने वाले लार्सन एंड टुब्रो और मलेशिया के स्कोमी इंजीनियरिंग के साथ अपना कॉन्ट्रैक्ट समाप्त कर दिया, इसी के पास मोनोरेल को चलाने की भी जिम्मेदारी थी और वे मोनोरेल सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने में विफल रहे.

हालांकि एमएमआरडीए के इसे अपने कब्जे में लेने के बावजूद मोनोरेल सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ. प्राधिकरण शुरू में मोनोरेल स्पेयर पार्ट्स को बनाने और इसे चलाने के क्षेत्र में कम अनुभव के कारण लगातार मोनोरेल के स्पेयर पार्ट्स को खरीदने में ही संघर्ष करता रहा.

कलपुर्जों को स्कोमी इंजीनियरिंग द्वारा सप्लाई की जाने वाली गाड़ियों के स्पेसिफिकेशंस से भी मैच करना था.

इसके बाद प्राधिकरण ने मोनोरेल सिस्टम में सुधार करने के लिए डिपो में पड़े कोच के स्पेयर पार्टस को स्थानीय स्तर पर से जुटाने की कोशिश की ताकि ज्यादा से ज्यादा सवारियों को अपनी तरफ खींचा जा सके. पिछले साल एमएमआरडीए ने स्थानीय वेंडरों से 213 स्पेयर पार्ट्स की सोर्सिंग करके ऐसी दो ट्रेनों को फिर से नया किया था.

ऊपर बताए गए अधिकारी ने कहा, ‘इस साल हम अधिक कोचों को एक साथ पूरे साल मोनोरेल के दोनों चरणों में चलाने की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि यात्रियों में वृद्धि के साथ साथ किराये के राजस्व में भी वृद्धि हो सके.

एमएमआरडीए का लक्ष्य 2021-22 में 29.25 करोड़ रुपये का किराया राजस्व एकत्र करना है, जबकि इस वित्त वर्ष में अनुमानित 8 करोड़ रुपये का अनुमान है, जब यह कोविड-19 महामारी के कारण 22 मार्च से 18 अक्टूबर तक परिचालन से बाहर था.

यह लेख अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


यह भी पढ़ेंः किसानों ने ‘भारत बंद’ कर रेल की पटरियां जाम की- 4 शताब्दी ट्रेनें रद्द, 31 रेलगाड़ियां रुकीं


 

Exit mobile version