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हिंदुत्व संगठन का मुखिया था अयोध्या मस्जिद मामले का ‘मास्टरमाइंड’, सोशल मीडिया पर डाले थे सांप्रदायिक वीडियो

महेश मिश्रा के ट्विटर वीडियोज़ में ‘राष्ट्र-विरोधियों’ को मारने का आह्वान है, और हिंदुओं से मुसलमानों के साथ व्यवसाय न करने का अनुरोध है. उसे मुस्लिम धार्मिक स्थलों के बाहर कथित रूप से आपत्तिजनक चीज़ें फेंकने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

महेश मिश्रा । ट्विटर । @MVichardhara

लखनऊ: अयोध्या में एक हिंदू धार्मिक जुलूस जिन इलाक़ों से होकर गुज़रता है उनमें मांस की बिक्री बंद करने की मांग और कथित ‘राष्ट्र-विरोधियों और विधर्मियों’ को जान से मारने की धमकी- ये हैं सोशल मीडिया पर महेश मिश्रा की कुछ गतिविधियां, जो 26-27 अप्रैल के बीच की रात अयोध्या में चार मस्जिदों और एक दरगाह के बाहर, आपत्तिजनक चीज़ें फेंकने का मास्टरमाइंड है. पुलिस के अनुसार उसकी मंशा ‘दंगे भड़काने’ की थी.

मिश्रा के सोशल मीडिया प्रोफाइल में उसकी पहचान पांच साल से कम पुरानी एक हिंदुत्व संस्था, हिंदुत्व योद्धा संगठन (एचवाईएस) के प्रमुख के रूप में की गई है, और ऑनलाइन उपलब्ध वीडियोज़ में उसका परिचय बजरंग दल नेता के रूप में कराया गया है.

मिश्रा उन सात लोगों में था- जो सभी एचवाईएस के सदस्य हैं- जिन्हें पुलिस ने बृहस्पतिवार को कथित रूप से धार्मिक पुस्तकों के फाड़े गए पन्नों, अपमानजनक पत्रों, और पोर्क को मुस्लिम धार्मिक स्थलों के बाहर फेंकने के आरोप में गिरफ्तार किया. पुलिस ने बताया कि मामले के चार और अभियुक्त फरार चल रहे हैं.

अभियुक्तों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 295, 295 (ए), 304, 305 और 307 के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है.

अयोध्या पुलिस अधीक्षक (शहर) विजय पाल सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘आठ अभियुक्त मौक़े पर मौजूद थे, जबकि अन्य पर भी जिन्होंने योजना बनाने में मदद की, मुक़दमा क़ायम किया गया है’. उन्होंने आगे कहा कि अभियुक्तों की मंशा ‘शांति भंग’ करने की थी.

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ऑनलाइन उपलब्ध वीडियोज़ पर मिश्रा का परिचय एक बजरंग दल नेता के तौर पर कराया गया है, और उसके भाई विशाल का मीडिया में ये कहते हुए हवाला दिया गया है, कि वो एक पूर्ण-कालिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) सदस्य है, जिसने बजरंग दल के ज़िला संयोजक का भी काम किया है और विश्व हिंदू परिषद का पदाधिकारी भी रहा है, लेकिन सिंह ने कहा कि पुलिस अभी विवरण की जांच कर रही है.

लेकिन, पुलिस के एक सूत्र ने दावा किया कि मिश्रा को 2015 में बजरंग दल से निकाल दिया गया था.

दिप्रिंट ने बजरंग दल के अवध क्षेत्र के सह-संयोजक बीडी महेश से भी बात की, जिन्होंने कहा कि ‘मिश्रा अतीत में किसी पद पर रहा होगा, लेकिन पिछले सात-आठ वर्षों से उसका बजरंग दल से कोई जुड़ाव नहीं रहा है. शायद उन लोगों को लगा होगा कि बजरंग दल का नाम लेने से उन्हें कुछ सहायता मिल जाएगी.’

मिश्रा के एचवाईएस संगठन के बारे में बात करते हुए महेश ने कहा: ‘हमारे पास उनके संगठन के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है. अगर वो लोग कोई अच्छा काम करते हैं, तो हम उनकी सराहना करते हैं’.

इसी बीच, वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं समझता हूं कि ऐसे लोगों (मिश्रा से आशय) की एक बीमार मानसिकता होती है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. एक राष्ट्रीय प्रवक्ता के नाते मैं ऐसे लोगों की कड़ी निंदा करता हूं.’

मिश्रा के बजरंग दल, वीएचपी, और आरएसएस के साथ कथित जुड़ाव के बारे में बात करते हुए, तिवारी ने आगे कहा: ‘एक विशेष विचारधारा (आरएसएस की ओर शारा) से जुड़े कपड़े पहनने मात्र से, आप आरएसएस-वीएचपी परिवार का हिस्सा नहीं बन जाते. वो तभी होता है जब आप उस विचारधारा का पालन करें. ऐसे मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए हिंदुत्व परिवार में कोई जगह नहीं है.’


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‘हिंदू जागा हुआ है’

अपने यूट्यूब चैनल- महेश मिश्रा हिंदू योद्धा संगठन- पर 1 दिसंबर 2018 को अपलोड किए गए एक वीडियो में, एक रिपोर्टर मिश्रा का परिचय बजरंग दल के सदस्य के रूप में करा रहा है.

ये वीडियो एक हिंदी समाचार चैनल पर अयोध्या मुद्दे पर एक बहस का है, जिसमें मिश्रा को एक प्रतिभागी के रूप में दिखाया गया है. बहस के दौरान वो ‘बंगाल तथा जम्मू-कश्मीर से हिंदुओं के पलायन पर बात करता है’.

दिप्रिंट ने मिश्रा का फेसबुक प्रोफाइल भी देखा, लेकिन फिलहाल उसे लॉक किया हुआ पाया.

लेकिन, पिछले साल 24 सितंबर को अपने ट्विटर अकाउंट पर अपलोड किए गए एक वीडियो में, मिश्रा को कथित ‘राष्ट्र-विरोधियों और विधर्मियों’ के खिलाफ सिलसिलेवार धमकियां जारी करते हुए देखा जा सकता है, जिनमें मौत की धमकी भी शामिल है, और वो कहता है ‘हिंदू अब जाग उठा है’. लेकिन वीडियो में स्पष्ट किया गया, ‘मैं ये हर किसी के लिए नहीं कह रहा हूं, बल्कि उनके लिए कह रहा हूं जो राष्ट्र-विरोधी हैं’.

माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर एक और वीडियो में मिश्रा लोगों (कथित रूप से हिंदुओं) से कहता है, कि वो मुसलमानों के साथ व्यापार न करें और आरोप लगाता है कि इसका इस्तेमाल ‘आतंकवादियों’ को पैसा देने में किया जाता है.

ट्विटर पर अपलोड किए गए परचों में उसे बीजेपी से मांग करते हुए देखा जा सकता है, कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए, और हिंदुत्व नेताओं तथा सदस्यों के खिलाफ कथित टिप्पणियों के लिए, कांग्रेस नेता पंकज पूनिया के खिलाफ एक आंदोलन छेड़ा जाए.

मांस बिक्री पर बैन के लिए प्रचार

मिश्रा के एचवाईएस संगठन ने पिछले साल अयोध्या में कई अभियानों की अगुवाई की थी, जिनमें मांग की गई थी कि अयोध्या के चारों ओर श्रद्धालुओं की धार्मिक वॉक, 14 कोसी परिक्रमा के समय मांस की बिक्री रुकवाई जाए.

दिसंबर 2021 में, मिश्रा ने फैज़ाबाद में चौक घंटाघर से फतेहगंज तक एक जुलूस की अगुवाई की और अपने प्रयास में स्थानीय लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए परचे बांटे.

उसी महीने मिश्रा के संगठन ने अयोध्या के शंकरगढ़ बाज़ार में भी इसी तरह का जुलूस निकाला. एक स्थानीय ख़बर के अनुसार, जब उन्हें स्थानीय लोगों का समर्थन नहीं मिला, तो उन्होंने जबरन इलाक़े की दुकानें बंद करा दीं.

ख़बर में मिश्रा का ये कहते हुए भी हवाला दिया गया, कि उसने ज़िला मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन देकर मांग की है, कि परिक्रमा जिन इलाक़ों से होकर गुज़रेगी, वहां मांस की बिक्री और बूचड़ख़ानों को बंद कराया जाए.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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