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गर्मियों में आपको मिलेगा शिमला जाने का एक और बहाना, अब आम जनता के लिए खुलेगा राष्ट्रपति का समर होम

173 साल पुरानी इस इमारत को 20 अप्रैल से आम जनता के लिए खोला जाएगा. राष्ट्रपति मुर्मू 18 अप्रैल को एक छोटे ट्यूलिप गार्डन सहित इसके विशाल उद्यान का उद्घाटन करेंगी.

फोटो: कॉमन्स

शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से 13 किलोमीटर की दूरी पर मनोरम मशोबरा पहाड़ियों के बीच बसा यह 173 साल पुराना भवन पूरी तरह से काठ (लकड़ी) से बना है. अपनी दज्जी पहाड़ी वास्तुकला, विशाल बगीचों और आसपास में फैले देवदार और चीड़ के जंगलों वाली यह औपनिवेशिक युग की राजसी इमारत एक रिट्रीट बिल्डिंग है, जिसका उपयोग राष्ट्रपति के समर रिट्रीट (ग्रीष्मकालीन आस्थाई आवास) के रूप में किया जाता है.

10,628 वर्ग फुट में फैली यह संरचना, जिसे राष्ट्रपति निवास भी कहा जाता है, इस वर्ष 20 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा – जो 18 से 21 तक अप्रैल तक शिमला में ही रहेंगीं- पहली बार आम जनता के लिए खोली जाएगी.

राष्ट्रपति के अतिरिक्त सचिव राकेश गुप्ता ने बताया कि यह रिट्रीट सोमवार, सरकारी छुट्टी और माननीय राष्ट्रपति महोदया के शिमला दौरे के दौरान के दिनों को छोड़कर अधिकांश दिन आम जनता के लिए खुला रहेगा.

इसकी सैर के लिए एक प्रवेश शुल्क – भारतीयों के लिए 50 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 250 रुपये होगा, मगर सरकारी स्कूलों के छात्रों को 30 जून तक मुफ्त प्रवेश की अनुमति होगी.

राष्ट्रपति निवास में एक क्लॉकरूम (अमानती समान घर), एक कैफे और एक स्मारिका वाली दुकान होगी. गुप्ता ने कहा कि इसमें दिव्यांग जनों और बुजुर्गों के लिए व्हीलचेयर की सुविधा भी उपलब्ध होगी. इसकी सैर को भारत के राष्ट्रपति की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से बुक किया जा सकता है.

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हालांकि यह इमारत 20 अप्रैल से ही आम जनता के लिए खुलेगी, मगर राष्ट्रपति मुर्मू अपने आगमन के दिन – 18 अप्रैल को – एक छोटे से ट्यूलिप उद्यान सहित इसके विशाल उद्यानों को सभी के लिए खोलने वाली हैं.

शिमला के वाइसरीगल लॉज – एक और ऐतिहासिक इमारत जो वर्तमान में भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान (इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज़ – आईआईएएस) के रूप में उपयोग में लाई जाती है – के साथ मिलकर इस इमारत में कई वायसराय और पूर्व भारतीय राष्ट्रपतियों को ठहराया जा चुका है और स्थानीय निवासियों को उम्मीद है कि नई इमारत पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेगी.

शिमला के एक टूर गाइड एस.पी. सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘पहले, यह जगह ज्यादातर समय बंद ही रहती थी. लोगों को एक ऐसी नई जगह देखने को मिलेगी जिसमें औपनिवेशिक इतिहास और महान भारतीय पहाड़ी वास्तुकला का सम्मिश्रण है.’


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लार्टी साहब की कोठी से राष्ट्रपति के रिट्रीट तक का सफ़र

‘शिमला द समर कॅपिटल ऑफ ब्रिटिश इंडिया’ नामक किताब के लेखक और इतिहासकार राजा भसीन ने दिप्रिंट को बताया कि प्रतिष्ठित राष्ट्रपति निवास, छराबरा, अपने आप में इतिहास से ओत-प्रोत है. यह समर रिट्रीट ही वह जगह है जहां साल 1972 में भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ शिमला समझौते पर हस्ताक्षर करने के दौरान रुकी थीं.

रिट्रीट बिल्डिंग के लॉन में टहलते पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी | फोटो: भारतीय राष्ट्रपति कार्यालय.

साल 1850 में निर्मित यह रिट्रीट बिल्डिंग समुद्र तल से 7,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. औपनिवेशिक युग के एक सिविल सर्वेंट और 19वीं शताब्दी में लंबे समय तक यहां रहने वाले एडवर्ड बक ने इस भवन के निर्माण का श्रेय ब्रिटिश राज में कार्यरत एक चिकित्सा अधिकारी ‘डॉ सी’ को दिया.

साल 1881 में इस संरचना में रहने आए इस सिविल सर्वेंट ने अपनी पुस्तक ‘शिमला-पास्ट एंड प्रेजेंट – जिसे इस इलाक़े के इतिहास पर सबसे प्रामाणिक पुस्तक माना जाता है – में लिखा है कि शिमला हिल स्टेट के तत्कालीन आयुक्त ने इस भवन और इसके आसपास की वन भूमि वाली 300 एकड़ जमीन को साल 1865 में स्थायी पट्टे पर ले लिया था.

इसके बाद से यह संरचना ‘लार्टी साहिब की कोठी के रूप में जानी जाने लगी. इस पुस्तक के अनुसार हे को ही लार्टी साहब कहा जाता था.

हिमाचल प्रदेश के एक सेवानिवृत्त सिविल सर्वेंट श्रीनिवास जोशी के अनुसार, जो प्रमुख लोग संरचना इस में रह चुके हैं, उनमें से एक ब्रिटिश सैन्य कमांडर और भारत के कमांडर-इन-चीफ विलियम मैन्सफील्ड और इनस्पेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट्स (वनों के महानिरीक्षक) डीट्रिच ब्रैंडिस थे.

जोशी ने बताया कि इसके बाद साल यह पट्टा 1881 तक – जब यह एक सरकारी अधिकारी लियोनेल बर्कले की विधवा के पास था- कई बार शख्स से दूसरे शख्स के पास जाता रहा.

यह उनके ही माध्यम से था कि बक, जिनके पास 15 वर्षों तक राजस्व और कृषि विभाग का प्रभार था, इस भवन में रहने के लिए आए थे.

फिर साल 1896 में, शाही परिवार ने यह सम्पदा और इसके आसपास की वन भूमि वापस ले ली.

जोशी ने दिप्रिंट को बताया, ‘साल 1896 में ब्रिटिश भारत के तत्कालीन वाइसराय लॉर्ड एल्गिन सर एडवर्ड के किराएदार बन गए. सर एडवर्ड ने इस संपत्ति को स्थायी रूप से सरकार को वाइसरेगल निवास के रूप में स्थानांतरित करने में सोचा, क्योंकि वह जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाले थे. लेकिन कोटी के राणा (रियासत के राजा) ने 35,000 रुपये में यह संपत्ति खरीद ली और फिर इसे स्थायी पट्टे पर सरकार को दे दिया.’

हालांकि, अपने शानदार अतीत के बावजूद, यह रिट्रीट बिल्डिंग मूल रूप से राष्ट्रपति निवास नहीं रही है. यह सम्मान वाइसरीगल लॉज को मिला था. हालांकि, भसीन के अनुसार, इसके बावजूद भी कई वायसराय रिट्रीट बिल्डिंग में ही रहना पसंद करते थे.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘इस इमारत (रिट्रीट) का काफी ऐतिहासिक महत्व है.’

साल 1964 में, भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन ने वाइसरीगल लॉज को उच्च शिक्षा के संस्थान में बदलने का फैसला किया. जोशी ने कहा कि यही वह समय था जब ‘समर रिट्रीट’ छराबड़ा में चला गया.

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी साल सितंबर 2021 में शिमला के अपने चार दिवसीय दौरे के दौरान रिट्रीट बिल्डिंग में रुके थे.

हालांकि, वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पिछले साल हिमाचल से ही राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी, लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद से यह उनकी इस राज्य की पहली आधिकारिक यात्रा है.

शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी ने दिप्रिंट को बताया कि उनका नेशनल एकेडमी ऑफ ऑडिट एंड अकाउंट्स के छात्रों के साथ बातचीत करने, और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एक दीक्षांत समारोह में भाग लेने का भी कार्यक्रम तय है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: अलमिना खातून) | (अनुवाद: रामलाल खन्ना)


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