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सुब्रमण्यम स्वामी के खिलाफ मानहानि मामले की सुनवाई पर रोक

नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के खिलाफ आपराधिक मानहानि से जुड़े एक मामले में निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर सोमवार को रोक लगा दी। यह मामला दिल्ली में भाजपा के प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा द्वारा दायर किया गया है।

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने मामले में छह अप्रैल के लिए जारी समन को चुनौती देने वाली स्वामी की याचिका पर बग्गा को नोटिस जारी किया। उन्होंने कहा कि आपराधिक मानहानि के मामले में कार्यवाही पर सुनवाई की अगली तारीख तक रोक लगाई जाती है।

22 मार्च को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट धर्मेंद्र सिंह ने मानहानि मामले में राज्यसभा सदस्य को आरोपी के रूप में तलब करने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि स्वामी के खिलाफ कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार हैं।

बग्गा ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि पिछले साल सितंबर में स्वामी ने एक ट्वीट में झूठा आरोप लगाया था कि भाजपा में शामिल होने से पहले उन्हें (बग्गा) नयी दिल्ली स्थित मंदिर मार्ग पुलिस थाने में छोटे-मोटे अपराधों के लिए कई बार जेल भेजा गया था।

स्वामी की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने तर्क दिया कि सुनवाई अदालत का आदेश त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि उनके ट्वीट का गलत मतलब निकाला गया था।

सिंह ने कहा कि सार्वजनिक मंच पर यह दिखाने के लिए पर्याप्त सामग्री है कि स्वामी द्वारा ट्वीट में लगाए गए शिकायतकर्ता को जेल होने के आरोप सही थे।

निचली अदालत के समक्ष अपनी गवाही में बग्गा ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं और इनका मकसद उनकी छवि को नुकसान पहुंचाना है।

निचली अदालत ने कहा था, “यहां तक ​​कि मंदिर मार्ग पुलिस थाने के सब-इंस्पेक्टर संदीप कुमार ने भी शिकायतकर्ता के बयान की पुष्टि की है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि स्वामी ने बयान की सत्यता की पुष्टि किए बिना ये आरोप लगाए।”

शिकायत में लगाए गए आरोपों, गवाहों की गवाही और उनके द्वारा रिकॉर्ड पर लाई गई सामग्री के मद्देनजर निचली अदालत ने कहा था कि वह ‘प्रथम दृष्टया’ इस बात को लेकर आश्वस्त थी कि स्वामी को आईपीसी की धारा 500 (मानहानि) के तहत दंडनीय अपराध के आरोपी के रूप में तलब करने के लिए पर्याप्त आधार हैं।

उच्च न्यायालय मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर को करेगा।

भाषा पारुल उमा

उमा

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