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‘क्या इस देश में तानाशाही शुरू हो गई है’, प्रदर्शनकारी पहलवानों पर दंगा करने के आरोप में FIR दर्ज

पहलवानों को बसों में भरकर अलग-अलग स्थानों पर ले जाने के तुरंत बाद, पुलिस कर्मियों ने जंतर-मंतर पर धरना स्थल को साफ करना शुरू कर दिया तथा पहलवानों के खाट, गद्दे, कूलर, पंखे और तिरपाल को हटा दिया.

नई संसद भवन की ओर कूच करते समय पहलवान साक्षी मालिक को पुलिस हिरासत में ले जाते हुए | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
नई संसद भवन की ओर कूच करते समय पहलवान साक्षी मालिक को पुलिस हिरासत में ले जाते हुए | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर पहलवानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के साथ-साथ आयोजकों और उनके समर्थकों के खिलाफ दंगा करने तथा सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा डालने के आरोप में रविवार को एफआईआर दर्ज की.

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने उन्हें रविवार को सुरक्षा घेरा तोड़कर महिला ‘महापंचायत’ के लिए नए संसद भवन की ओर बढ़ने की कोशिश करने के बाद कानून-व्यवस्था के उल्लंघन को लेकर हिरासत में लिया था.

दिल्ली पुलिस ने कहा, “पहलवान बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट समेत आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. कुछ पहलवान विरोध करने के लिए रात में जंतर-मंतर आए थे, उन्हें अनुमति नहीं दी गई और वापस भेज दिया गया.”

पुलिस ने कहा कि जंतर-मंतर पर 109 प्रदर्शनकारियों सहित पूरी दिल्ली में 700 लोगों को हिरासत में लिया गया है.

घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए विनेश फोगाट ने कहा कि दिल्ली पुलिस को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में सात दिन लग गए थे, लेकिन उन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने में सात घंटे भी नहीं लगे, जो ‘शांतिपूर्वक’ विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे.

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देश के शीर्ष पहलवानों ने 23 अप्रैल को बृजभूषण को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर अपना आंदोलन फिर से शुरू किया था. प्रदर्शनकारी पहलवानों ने बृजभूषण पर एक नाबालिग सहित कई महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “नई दिल्ली जिले के तहत आने वाले संसद मार्ग थाने में पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और संगीता फोगाट तथा अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जो जंतर-मंतर पर पुलिस के साथ हुई झड़प का हिस्सा थे.”

अधिकारी के मुताबिक, पहलवानों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 (लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा), 186 (लोक सेवक के कर्तव्य निर्वहन में बाधा डालना) और 353 (सरकारी कर्मचारी पर हमला या आपराधिक बल का उपयोग) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

उन्होंने बताया कि आईपीसी की धारा 352 (गंभीर उकसावे के अलावा हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 147 (दंगा) और 149 (गैरकानूनी रूप से जमा होना) तथा सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा तीन भी इसमें शामिल है.

विनेश फोगाट ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस की आलोचना की.

उन्होंने ट्विटर पर कहा, “दिल्ली पुलिस को यौन शोषण करने वाले बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में सात दिन लगते हैं और शांतिपूर्ण आंदोलन करने पर हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में सात घंटे भी नहीं लगे. क्या इस देश में तानाशाही शुरू हो गई है? सारी दुनिया देख रही है कि सरकार अपने खिलाड़ियों के साथ कैसा बर्ताव कर रही है. एक नया इतिहास लिखा जा रहा है.”

पहलवानों को बसों में भरकर अलग-अलग स्थानों पर ले जाने के तुरंत बाद, पुलिस कर्मियों ने जंतर-मंतर पर धरना स्थल को साफ करना शुरू कर दिया तथा पहलवानों के खाट, गद्दे, कूलर, पंखे और तिरपाल को हटा दिया.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हिरासत में ली गई सभी महिला पहलवानों को रिहा कर दिया गया है और पुरुष पहलवानों को भी जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा.

वहीं, दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) प्रमुख स्वाति मालीवाल ने रविवार को दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग की है.

मालीवाल ने पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा को लिखे पत्र में कहा, “इस पत्र के माध्यम से मैं आपको सूचित करना चाहती हूं कि दिल्ली महिला आयोग को यह जानकर बहुत दुख हुआ है कि दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रही महिला पहलवानों और उनके परिवारों के साथ मारपीट की और उन्हें जबरन हिरासत में ले लिया.”

वहीं, पहलवानों के विरोध के जवाब में बृज भूषण शरण सिंह ने 5 जून को अयोध्या में एक रैली आयोजित करने की योजना बनाई है और इससे पहले मीडिया से बातचीत में दावा किया कि पोक्सो अधिनियम का “बच्चों, बुजुर्गों और संतों के खिलाफ दुरुपयोग किया जा रहा है”.


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