होम देश हरियाणा के गांव ने ‘शांति बनाए रखने’ के लिए मुसलमानों की एंट्री...

हरियाणा के गांव ने ‘शांति बनाए रखने’ के लिए मुसलमानों की एंट्री पर लगाया बैन, पुलिस ने बताया अवैध

प्रस्ताव में कहा गया है कि नूंह हिंसा को देखते हुए जैनाबाद पंचायत मुसलमानों को गांव में व्यापार करने की इजाजत नहीं देगी. महेंद्रगढ़ पंचायत ने भी ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया लेकिन उसे वापस ले लिया गया.

प्रतीकात्मक तस्वीर | कॉमन्स

गुरुग्राम: हरियाणा में एक ग्राम पंचायत ने एक प्रस्ताव पारित कर मुस्लिम समुदाय के किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार के व्यापार के लिए गांव में प्रवेश करने या कपड़े या अन्य वस्तुओं की फेरी लगाने से रोक दिया है.

रेवाड़ी जिले के डहीना ब्लॉक के जैनाबाद गांव की ग्राम पंचायत ने शुक्रवार को डहीना पुलिस चौकी के प्रभारी को संबोधित यह प्रस्ताव पारित किया. हिंदी में प्रस्ताव, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है, की विषय पंक्ति है: “सामाजिक सुरक्षा व शांतिप्रिय महौल बनाए रखने हेतु.

इसमें लिखा है कि नूंह में सांप्रदायिक हिंसा को देखते हुए, पंचायत के साथ-साथ ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि “शरारती तत्वों” या “मुस्लिम समुदाय के किसी भी व्यक्ति” को जैनाबाद में किसी भी तरह का व्यापार करने या सामान बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

इसमें कहा गया है कि गांव में अतीत में मवेशियों और अन्य चीजों की चोरी की घटनाएं देखी गई हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाया जा रहा है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों.

इसमें आगे कहा गया है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य किसी भी भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

प्रस्ताव के एक भाग, एंडनोट के अनुसार, 3 अगस्त को गांव में एक सार्वजनिक घोषणा की गई थी, जिसमें सभी किरायेदारों को अपने पहचान प्रमाण पंचायत के पास जमा करने के लिए कहा गया था, जिसे बाद में पुलिस सत्यापन के लिए भेजा जाएगा.

दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए जैनाबाद की सरपंच भावना यादव से संपर्क किया, लेकिन खुद को उनके ससुर के रूप में पेश करने वाले राजवीर सिंह यादव ने उन्हें बताया कि प्रस्ताव 4 अगस्त को डहीना पुलिस चौकी प्रभारी उप-निरीक्षक रण सिंह को सौंप दिया गया था.

हालांकि, सिंह ने सोमवार को दिप्रिंट को बताया कि धर्म के आधार पर गांव में लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाला प्रस्ताव अवैध और संविधान की भावना के खिलाफ है. उन्होंने कहा, “जहां तक किरायेदारों के आईडी प्रमाणों के सत्यापन का सवाल है, यह एक नियमित प्रक्रिया है जो पुलिस करती है, लेकिन पंचायत को लोगों के धर्म के आधार पर उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है.”

यह पूछे जाने पर कि क्या पुलिस ने पंचायत को अवैधता के बारे में सूचित किया था, एसआई ने दावा किया कि इस संबंध में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई थी.


यह भी पढ़ें: नूंह हिंसा ने पूरे भारत का ध्यान अपनी ओर खींचा, लेकिन मेवात हमेशा से सांप्रदायिक क्षेत्र नहीं था


‘मुसलमानों के हित में’

राजवीर सिंह के मुताबिक, ”सभी ग्रामीण इस बात पर एकमत थे कि पंचायत इस प्रस्ताव को पारित करे.”

उन्होंने आगे कहा, “ग्रामीणों ने नूंह में हिंसा के वीडियो देखे हैं, और वे कोई भी जोखिम लेने को तैयार नहीं हैं. संकल्प का उद्देश्य गांव में अमन-चैन बरकरार रखना है. हमारे गांव में मुस्लिम समुदाय से कोई नहीं है और हम नहीं चाहते कि मेवात के लोग, जो यहां कपड़े बेचने या मवेशियों की बिक्री और खरीद के लिए आते हैं, हमारे गांव में आएं.”

यह पूछे जाने पर कि क्या गांव में चोरी की घटनाएं उन लोगों के कारण हुई हैं जो वहां मवेशियों को बेचने या उनका व्यापार करने आते हैं, उन्होंने कहा कि चोरी की घटनाएं होती रहती हैं लेकिन यह पता नहीं चल पाता है कि उनके पीछे कौन है.

राजवीर सिंह ने जोर देकर कहा कि यह प्रस्ताव “मुस्लिम समुदाय के हित में” भी है.

उन्होंने कहा, ”नूंह हिंसा के बाद जिस तरह से हिंदू समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं, अगर ग्रामीण आते हैं तो उन पर हमला कर सकते हैं.” उन्होंने कहा कि अगर आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार होता है, तो पंचायत मुस्लिम समुदाय के लोगों को गांव में प्रवेश करने की अनुमति देने का निर्णय ले सकती है.

उन्होंने यह भी बताया कि जैनाबाद की पंचायत हरियाणा में एकमात्र ऐसी पंचायत नहीं है जिसने इस तरह का प्रस्ताव पारित किया है.

दिप्रिंट को इस महीने की शुरुआत में महेंद्रगढ़ जिले के गोमला और बिहाली की पंचायतों के अलावा, रेवाड़ी जिले के चिमनावास की ग्राम पंचायतों द्वारा पारित लगभग समान प्रस्तावों की प्रतियां मिलीं.

चिमनावास गांव के सरपंच नरेंद्र यादव ने कहा कि प्रस्ताव पारित करना एक गलती थी और पंचायत ने अब इसे वापस लेने का फैसला किया है. यह पूछे जाने पर कि क्या पंचायत ने अपने फैसले से उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को अवगत कराया है, जिन्हें मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव संबोधित किया गया था, उन्होंने कहा कि प्रस्ताव को एसडीएम के कार्यालय ने स्वीकार नहीं किया था.

गोमला के सरपंच वेद प्रकाश ने कहा कि उन्होंने ऐसे किसी प्रस्ताव पर कभी हस्ताक्षर नहीं किए और हो सकता है कि उनकी जगह किसी और ने इस पर हस्ताक्षर किए हों, जबकि बिहाली गांव की सरपंच वीना देवी ने कॉल का जवाब नहीं दिया.

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने कहा कि अतीत में स्वयंभू पंचायतों द्वारा बहिष्कार के ऐसे आह्वान जारी किए गए थे, लेकिन यह पहली बार था कि विधिवत निर्वाचित पंचायत द्वारा एक प्रस्ताव जारी किया गया था.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पूर्व राज्य सचिव ने इसे अगले साल के चुनावों से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की “मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की चाल” करार देते हुए कहा कि बहिष्कार के ऐसे आह्वान से “बहुत खतरनाक सामाजिक प्रभाव” हो सकते हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: अलमिना खातून)


यह भी पढ़ें: ‘तोड़फोड़ को तुरंत रोका जाए’, नूंह में हिंसा के बाद अवैध निर्माण पर चलाए जा रहे बुलडोजर पर HC ने लगाई रोक


 

Exit mobile version