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वर्कप्लेस पर महिलाओं के साथ यौन शोषण के 50 फीसदी मामले प्राइवेट सेक्टर में

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार शी बॉक्स पोर्टल पर 2017 से लेकर अब तक कार्यस्थल पर यौन शोषण के 612 मामले दर्ज हुए. इनमें 196 मामले केंद्र सरकार और 103 राज्य सरकारों से जुड़े हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर। दिप्रिंट

नई दिल्ली : महिलाओं की सुरक्षा की बात की जाय तो उन्हें हर जगह मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं. लेकिन जब बात निजी क्षेत्र की हो तो यहां उनके लिए हालात काफी खराब नजर आते हैं. संसद में पूछे गये सवालों से जो आंकड़े सामने आए हैं वे निजी क्षेत्र में उनके हालात को काफी ज्यादा खराब दिखाते हैं बजाय अन्य जगहों के.

कार्यस्थल पर बढ़ते यौन उत्पीड़न के मामलों के मद्देनज़र गुरुवार को संसद में वर्कप्लेस पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार के उठाए गए कदमों के बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इसका जवाब देते हुए बताया कि 2017 में कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन शोषण से बचाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शी बॉक्स यानी सेक्सुअल हैरेसमेंट इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स बनाया था. इसको लॉन्च करने के पीछे सरकार का उद्देश्य था कि सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं, केंद्र और राज्य सरकारों, संगठित या असंगठित सेक्टर में महिलाओं को किसी भी तरह के यौन शोषण से बचाया जा सके.

दो साल बाद महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस पोर्टल पर दर्ज हुई शिकायतों का आंकड़ा जारी किया है. इन आंकड़ों के मुताबिक 2017 से लेकर अब तक कार्यस्थल पर यौन शोषण के 612 दर्ज हुए. इनमें 196 मामले केंद्र सरकार और 103 केस राज्य सरकारों जुड़े सामने आए हैं. प्राइवेट संस्थानों में ये आंकड़ा 313 रहा. यानी कि करीब 50 फीसदी मामले प्राइवेट सेक्टर में हुए.


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मीटू आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने बनाई कमेटी

गौरतलब है कि साल 2018 मीटू आंदोलन को समर्पित रहा. कामकाजी महिलाओं ने अपने खिलाफ हो रहे यौन शोषण पर आवाज उठाई. भाजपा नेता एमजे अकबर पर उनकी पत्रकारिता के दिनों की महिला सहकर्मियों ने यौन उत्पीड़न के कई आरोप लगाए. केंद्र सरकार ने इस आंदोलन पर संज्ञान लेते हुए अक्टूबर 2018 में कुछ मंत्रियों की एक कमेटी बनाई. जिसका जिम्मा गृह मंत्रालय को सौंपा गया था. लोकसभा 2019 चुनाव के बाद बनी नई सरकार ने फिर से इसे गठित किया है. इस कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी शामिल हैं.

इससे पहले कार्यस्थल पर यौन शोषण की रोकथाम के लिए एसएच (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 बनाया गया था. इसका उद्देश्य महिलाओं को कार्यस्थल पर संरक्षण प्रदान करना है फिर वो चाहे किसी भी पद पर कार्यरत हो. इसमें घरेलू महिला श्रमिकों को भी शामिल किया गया. जो महिलाएं अपने खिलाफ हुए यौन शोषण की शिकायत एसएच अधिनियम के तहत दर्ज करा चुकी हैं, वे शी बॉक्स भी पर शिकायत कर सकती हैं.


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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने उठाए ये कदम

इस अधिनियम के सेक्शन 22 के तहत संस्थानोंं को अपने यहां हुए मामलों की वार्षिक रिपोर्ट तैयार करनी होती है. इसके अलावा यौन शोषण के मामलों में संस्थानों ने क्या उचित कदम उठाए, की भी रिपोर्ट बनानी होती है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ये भी बताया कि मंत्रालय के अनुरोध पर कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने कंपनीज़ (अकाउंट्स) रूल्स, 2014 में जुलाई 2018 संशोधन भी किया जिसके मुताबिक निदेशक मंडल की रिपोर्ट में कंपनी को ये भी बताना पड़ता कि उन्होंने एसएच अधिनियम 8 (5) के तहत आंतरिक समिति का गठन किया और इससे संबंधित सभी ज़रूरी प्रावधानों का भी पालन किया.

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