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आईआईटी के छात्रों की आत्महत्या को रोकने के लिए सरकार खोलेगी वेलनेस सेंटर

देश के अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए मंत्रालय ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए 300 काउंसलर्स शामिल करने की योजना बना रहा है.

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आईआईटी दिल्ली । कॉमन्स

नई दिल्ली: उच्च शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए और विद्यार्थियों की मानसिक सेहत को बेहतर बनाने के लिए मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय एक काउंसलिंग की योजना लेकर आया है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार इस योजना के अंतर्गत देश के आईआईटी के साथ कई संस्थान शामिल होंगे.

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मंत्रालय ने सभी आईआईटी को कहा है कि वो अपने यहां वेलनेस सेंटर खोले और अच्छे काउंसलर्स को बुलाए और उनकी मदद लें. देश के आईआईटी में टेंशन भरे वातावरण को देखते हुए यह फैसला लिया गया है.

अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि पिछले सप्ताह हुए आईआईटी काउंसिल की बैठक में देश के सभी प्रीमीयर संस्थानों को इस फैसले के बारे में जानकारी दे दी गई है.

मीटिंग में शामिल अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि इस बारे में चर्चा की गई है. आईआईटी काउंसिल की बैठक में सभी आईआईटी को कहा गया है कि वो सुनिश्चित करें कि उनके यहां वेलनेस सेंटर हो और उसमें काउंसलर्स आएं.

काफी सारे आईआईटी में वेलनेस सेंटर चलते हैं. इनमें से दिल्ली, मुम्बई और मद्रास शामिल हैं. लेकिन मंत्रालय ने सभी 23 आईआईटी में वेलनेस सेंटर खोले जाने का आदेश दिया है.

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देश के अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए मंत्रालय ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए 300 काउंसलर्स शामिल करने की योजना बना रहा है. अधिकारी ने बताया कि इसमें बच्चों को काउंसलिंग देने वाले प्राइवेट पार्टनर भी शामिल होंगे. अधिकारी ने बताया कि नवंबर तक इस योजना को लागू करने की कोशिश है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2014 से 2016 के बीच देश भर में 26,467 बच्चों ने आत्महत्या की थी.

यह योजना कैसे आई

मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय द्वारा यह योजना उस वक्त आई है. जब एक महीने पहले आईआईटी हैदराबाद के एक विद्यार्थी ने आत्महत्या कर ली थी. इस छात्र ने 8 पन्ने का सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें अकादमिक प्रेशर के कारण आत्महत्या करने का फैसला करने की बात लिखी थी.

इस घटना के बाद मंत्रालय ने आंतरिक समिति का गठन किया था. इस समिति में आईआईटी के भी कुछ सदस्य शामिल थे. इस समिति को बनाने के पीछे कारण यह था कि कैंपस में सुसाइड को रोकने के लिए तरीके खोजे जाए. आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर ने दिप्रिंट को बताया कि आईआईटी में हर क्षेत्र से बच्चे आते हैं. इनमें से कई विद्यार्थी अकादमिक प्रेशर को नहीं झेल पाते हैं. कुछ बच्चे हिंदी मीडियम से आते हैं जिसकी वजह से वो भाषाई तौर पर खुद को नहीं बदल पाते हैं और वो अवसाद में चले जाते हैं.

प्रोफेसर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि बच्चे पहले ही हाई प्रेशर वातावरण से आते हैं जहां बच्चे कोचिंग लेते हैं, फिर जेईई के लिए कोचिंग लेते हैं. इसके वजह से ही वो काफी प्रेशर में आ जाते हैं.


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उन्होंने कहा, इस स्थिति से निपटने के लिए यह जरूरी है कि सभी आईआईटी बच्चों को काउंसलिंग की सुविधा दें. हालांकि, आईआईटी दिल्ली पहले से ही ये सुविधा देती है. दूसरे आईआईटी में भी ये सविधा मिलनी चाहिए.

मद्रास आईआईटी के डीन (स्टूडेंट्स) प्रोफेसर एसएम शिवकुमार ने ई-मेल के जरिए दिप्रिंट द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा, उनके संस्थान के पास इससे निपटने के लिए पहले से ही मजबूत प्रक्रिया है. मद्रास आईआईटी में पहले से ही वेलनेस सेंटर की सुविधा उपलब्ध है.

शिवकुमार ने कहा, आईआईटी मद्रास में एलजीबीटीक्यू ग्रुप , फैक्लटी मेंटर, रेसिडेंशियल वार्डन और स्टूडेंट ग्रुप है जो यहां पढ़ने वाले बच्चों की मदद करते हैं. मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश में यह भी कहा गया है कि संस्थान फैक्लटी मेंबर के जरिए ऐसे लोगों को चिन्हित करें जिन्हें काउंसलिंग की जरूरत है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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