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सरकार ने संसद में बताया- जून 2022 से ईंधन के दाम नहीं बदले लेकिन तेल के दामों में एक तिहाई गिरावट

लोकसभा में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि ईंधन की कीमतें तेल विपणन कंपनियां तय करती हैं. लेकिन पिछले एक साल में भारत के कच्चे तेल के आयात बास्केट की कीमत में 32% की गिरावट आई है.

नई दिल्ली में एक पेट्रोल पंप कर्मचारी की प्रतीकात्मक तस्वीर | एएनआई

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने एक बार फिर कहा है कि ईंधन की कीमतें बाजार द्वारा निर्धारित और तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा निर्धारित की जाती हैं, साथ ही यह भी कहा है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जून 2022 से कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. ऐसा तेल की कीमतों में एक तिहाई गिरावट के बावजूद है.

सरकार ने यह भी स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि ऐसा क्यों है. सरकार द्वारा अपनाई गई मौजूदा गतिशील मूल्य निर्धारण नीति के अनुसार, उस दिन तेल की कीमत के आधार पर ईंधन की कीमतों को दैनिक रूप से संशोधित किया जाना है.

गुरुवार को लोकसभा में ईंधन की कीमतों के बारे में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने नवंबर 2021 और मई 2022 में दो चरणों में ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की है और यह कटौती उपभोक्ताओं तक पहुंचाया गया, जिसके परिणामस्वरूप पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में गिरावट आई.

अपने जवाब में, पुरी ने अप्रैल 2020 से पेट्रोल और डीजल की मासिक कीमत में बदलाव पर डेटा भी दिया. हालांकि, उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि जून 2022 से ईंधन की कीमतें अपरिवर्तित क्यों बनी हुई हैं.

चित्रण: प्रज्ञा घोष/दिप्रिंट

पुरी ने अपने लिखित उत्तर में कहा, “पेट्रोल और डीजल की कीमतें क्रमशः 26.06.2010 और 19.10.2014 से बाजार-निर्धारित की गई हैं.” उन्होंने कहा कि तब से, “सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) पेट्रोल और डीजल के मूल्य निर्धारण पर उचित निर्णय लेती हैं.”

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जून 2010 और अक्टूबर 2014 में सरकार के फैसले भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत को तेल की कीमत के बराबर करने और उन्हें दैनिक रूप से संशोधित करने के उद्देश्य से लिए गए थे, जो कि पिछली नीति के विपरीत है जिसके तहत उन्हें पाक्षिक आधार पर संशोधित किया गया था.

दिप्रिंट ने दिसंबर 2022 में रिपोर्ट दी थी कि कैसे, ईंधन की कीमतों के इस प्रत्यक्ष विनियमन के बावजूद, डेटा से पता चला है कि विधानसभा चुनावों से पहले ईंधन की कीमतें रहस्यमय रूप से अपरिवर्तित रहीं लेकिन मतदान खत्म होने के तुरंत बाद इसमें बदलाव कर दिए गए.

मई 2023 में, दिप्रिंट ने बताया था कि कैसे ईंधन की कीमतें एक साल से अधिक समय से अपरिवर्तित बनी हुई हैं. वे कीमतें अभी भी नहीं बदली हैं.

इसे संदर्भ में रखने के लिए, कच्चे तेल की भारतीय बास्केट (संदर्भ मूल्य जो भारत उपयोग करता है) के अनुसार तेल की कीमतें जून 2022 से 32 प्रतिशत गिर गई हैं, जबकि उस समय से ईंधन की कीमतें शून्य प्रतिशत ही गिरी हैं.

पुरी ने अपने जवाब में कहा, “केंद्र सरकार ने नवंबर 2021 और मई 2022 में दो किश्तों में पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में क्रमशः 13 रुपये प्रति लीटर और 16 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है.” उन्होंने कहा कि “उत्पाद शुल्क में कटौती का लाभ पूरी तरह से उपभोक्ताओं को दिया गया और परिणामस्वरूप खुदरा कीमतें गिर गईं.”

मंत्री ने कहा, “इस उपाय का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को और गति देना और खपत को बढ़ावा देना और मुद्रास्फीति को कम रखना है, जिससे गरीबों और मध्यम वर्ग को मदद मिलेगी.” साथ ही मंत्री ने यह भी कहा कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेोशों ने भी पेट्रोल और डीजल पर वैट दरों में कटौती की.

दिप्रिंट ने कॉल के माध्यम से टिप्पणी के लिए तीन तेल विपणन कंपनियों- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन से संपर्क किया, लेकिन खबर प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं मिला. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

हालांकि, अतीत में, इन कंपनियों ने तेल की कीमतों पर सभी प्रश्नों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था और इसके बजाय उन्हें पेट्रोलियम मंत्रालय को भेज दिया था.

(संपादन: कृष्ण मुरारी)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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