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जाट आंदोलन से लेकर नूंह हिंसा तक, पिछले 8 सालों में हरियाणा में 55 बार मोबाइल इंटरनेट हुआ बंद

नूंह विधायक और कांग्रेस नेता आफताब अहमद के एक प्रश्न के उत्तर में, इस सप्ताह की शुरुआत में प्रश्नकाल के दौरान अनिल विज द्वारा हरियाणा विधानसभा में डेटा प्रस्तुत किया गया.

नूंह में हिंसा के बाद ड्यूटी पर तैनात हरियाणा पुलिस की फाइल फोटो | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

गुरुग्राम: भाजपा शासित हरियाणा में जनवरी 2021 से 30 बार मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं निलंबित की गई हैं – लगभग हर महीने एक बार – जबकि जनवरी 2015 से अंबाला, पंचकुला, रोहतक, झज्जर और गुरुग्राम जिलों में 200 से अधिक बार धारा 144 लागू की गई है, और यमुनानगर, कुरूक्षेत्र, करनाल, पानीपत, सिरसा, फतेहाबाद, रेवाडी और नूंह में 100 से अधिक बार.

नूंह विधायक और कांग्रेस नेता आफताब अहमद के एक प्रश्न के उत्तर में, गृह मंत्री अनिल विज ने सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान हरियाणा विधानसभा में यह डेटा प्रस्तुत किया.

अहमद ने पूछा था, “क्या गृह मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे – ए) उन स्थानों के विवरण के साथ जहां 2015 से आज तक कितनी बार धारा 144 लागू की गई है , और बी) उन स्थानों के विवरण के साथ कितनी बार धारा 144 लागू की गई है जहां इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध हैं और उपरोक्त अवधि के दौरान बंद कर दिया गया है और उसका ब्यौरा क्या है?

अहमद ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने सदन में यह सवाल “लोगों को यह बताने के लिए किया था कि भाजपा की विभाजनकारी राजनीति उनके जीवन को कैसे प्रभावित कर रही है.”

उन्होंने आरोप लगाया, “2014 में हरियाणा में भाजपा के सत्ता में आने के बाद दंगों और आगजनी की घटनाओं की संख्या पहले कभी इतनी अधिक नहीं थी. भाजपा ने अपनी विभाजनकारी राजनीति के माध्यम से जो नफरत का माहौल बनाया है, उसका व्यापार और उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और गरीब श्रमिकों के जीवन पर भी असर पड़ रहा है.”

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“हरियाणा में पिछली सरकारों के दौरान धर्म के आधार पर लोगों में कोई नफरत नहीं थी.”

उन्होंने कहा, ”ज्यादा से ज्यादा, किसी ने दलितों पर अत्याचार की छिटपुट शिकायतें सुनीं, जिन्हें सरकार ने बहुत सख्ती से संभाला,” लेकिन अब, सरकार खुद चुनावी लाभ के लिए लोगों को धर्म के आधार पर विभाजित करने का एजेंडा चला रही है.”

अहमद ने आरोप लगाया, “यही कारण है कि सरकार को धारा 144 लागू करने और मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बार-बार निलंबित करने की जरूरत पड़ती है.”

जब दिप्रिंट ने संजय शर्मा से संपर्क किया, तो हरियाणा भाजपा के प्रवक्ता ने तर्क दिया कि धारा 144 एक निवारक उपाय के रूप में लागू की गई थी, और इसका मतलब यह नहीं था कि कोई गंभीर कानून और व्यवस्था का मुद्दा था.

उन्होंने समझाया, “आम तौर पर, प्रावधान परीक्षा केंद्रों के पास भी लागू किया जाता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई समस्या है,इसी तरह, मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं को निलंबित करने के पीछे का उद्देश्य फर्जी खबरों और अफवाहों को फैलने से रोकना है ताकि बेईमान तत्व माहौल खराब न कर सकें.”

शर्मा ने भाजपा पर “विभाजनकारी राजनीति में लिप्त” होने के अहमद के आरोप का भी खंडन किया.

उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हाल ही में संपन्न मानसून सत्र के दौरान विधानसभा को सूचित किया था कि नूंह सांप्रदायिक हिंसा में “कांग्रेस की भूमिका सामने आई है”, और पार्टी के एक विधायक को पूछताछ के लिए बुलाया गया था.

जाट आंदोलन के कारण कई दिनों तक पानीपत, सोनीपत, सिरसा, फ़रीदाबाद और झज्जर में भी सेवाएं निलंबित रहीं.

सरकार के आंकड़ों में यह भी कहा गया है कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम द्वारा महिलाओं के यौन शोषण मामले में फैसले के मद्देनजर 24 अगस्त, 2017 से 27 अगस्त, 2017 तक चार दिनों के लिए राज्य भर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं.

सेवाओं का निलंबन दो दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था, क्योंकि सजा की मात्रा पर फैसला 25 अगस्त से 28 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया था. डेरा प्रमुख को दोषी ठहराए जाने के बाद 30 अगस्त को कुरूक्षेत्र, कैथल, सिरसा, जिंद, हिसार, फतेहाबाद और अंबाला में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहीं.

किसान आंदोलन के दौरान 26 से 29 जनवरी, 2021 तक सोनीपत, झज्जर और पलवल में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं.

निलंबन आदेश को पंचकुला, गुरुग्राम, नूंह और फरीदाबाद को छोड़कर 17 जिलों में दो और दिनों के लिए बढ़ा दिया गया. इसके बाद खट्टर सरकार इसे 6 फरवरी तक बढ़ाती रही, हालांकि आंकड़ों से पता चला कि प्रभावित जिलों की संख्या घटती रही.

जून 2022 में सेना भर्ती रैली के कारण पलवल, फरीदाबाद, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ में दो दिनों तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहीं.

हाल ही में, 31 जुलाई की हिंसा के बाद नूंह में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं निलंबित कर दी गईं. प्रतिबंध के आदेश 13 अगस्त को वापस ले लिए गए, लेकिन विश्व हिंदू परिषद की रैली के मद्देनजर 26 अगस्त से इसे तीन दिनों के लिए जारी रखा गया.

आंकड़ों में कहा गया है कि धारा 144 के तहत जनवरी 2015 से अब तक पंचकुला में 203, अंबाला में 228, यमुनानगर में 165, कुरूक्षेत्र में 183, करनाल में 178, पानीपत में 129, रोहतक में 212, झज्जर में 200, गुरुग्राम में 201, कैथल में 64, सोनीपत में 37,भिवानी में 46, चरखी दादरी में 24,हिसार में 78,जींद में 81,सिरसा में 112,फतेहाबाद में 123,रेवाड़ी में 113,पलवल में 84,महेंद्रगढ़ में 31,फरीदाबाद में 98 और 110 नूंह जिले में, मौकों पर निषेधाज्ञा लागू की गई है.

सरकार की प्रतिक्रिया से यह भी पता चला कि कई मौकों पर किसान आंदोलन, जाट आंदोलन और नूंह हिंसा के दौरान कानून व्यवस्था की चिंताओं के कारण धारा 144 लागू की गई थी. अन्य अवसरों पर, नए साल के दिन, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस आदि जैसे आयोजन के लिए आदेश जारी किए गए थे.

जब 2015 में राम रहीम सिंह की फिल्म ‘एमएसजी: द मैसेंजर ऑफ गॉड’ रिलीज होनी थी, तो “कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए” 18 जनवरी से 16 मार्च तक दो महीने के लिए हरियाणा के कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई थी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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