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‘नहीं पहुंच सका खाना, सब वापस आ गया’, उत्तरकाशी सुरंग में फंसे मज़दूरों तक सुबह नहीं शाम को पहुंची खिचड़ी

दिप्रिंट ने देखा है कि घटनास्थल के पास खिचड़ी से भरी बोतलें खाली और साफ की जा रही थीं. पका हुआ भोजन भेजने की नई कोशिशें शुरू होने पर भी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी.

सुरंग के पास फंसे हुए मजदूरों के लिए भेजी गई खिचड़ी की बोतलों को धोया जा रहा है | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

उत्तरकाशी: उत्तराखंड में निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की मुश्किलें कम करने की कोशिशों में रुकावट आती दिख रही है. दिप्रिंट को पता चला है कि मज़दूरों के लिए बोतलों में पैक किया गया पका हुआ भोजन 6 इंच के पाइप में रुकावट के कारण उन तक नहीं पहुंचाया जा सका, जिसके जरिए उन्हें ये भेजा जाना था.

दिप्रिंट ने देखा कि साइट के पास पैक की गई बोतलों को खाली और साफ किया जा रहा था, जिसमें एक कर्मचारी को यह कहते हुए फिल्माया गया था, “खाना नहीं गया था, सब वापस आ गया है.”

उत्तराखंड की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे हुए मज़दूरों को आज 10वां दिन हो गया है और अधिकारियों ने सोमवार शाम को सफलतापूर्वक मलबे को भेदते हुए 53 मीटर तक लंबा पाइप आर-पार कर दिया.

लेकिन, दिप्रिंट को मिली एक एक्सक्लूसिव वीडियो में उन खिचड़ी से भरी बोतलों जिनमें श्रमिकों तक खाना भिजवाने की बात की गई थी, को धोते हुए देखा जा सकता है.

पहली बार पका हुआ भोजन (खिचड़ी) मज़दूरों तक नहीं जा पाने की बात को कबूल करते हुए एनएचआईडीसीएल के डायरेक्टर (ए एंड एफ) अंशू मनीष खाल्को ने कहा कि पहले पाइप में ब्लॉकेज आ गई थी, जिस कारण से पका हुआ भोजन अंदर नहीं जा पाया था, लेकिन शाम को दोबारा खाना भेजा गया था.

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उन्होंने कहा, ”खिचड़ी और दलिया भेजे जाने की सलाह दी गई थी, लेकिन वो पाइप में कुछ चीज़ें होने के कारण वो जा नहीं सकी. अब हमने पाइप को पूरी तरह से साफ कर लिया है.”

उन्होंने कहा कि जो पैकिंग आई थी, चूंकि वो हार्ड थी, इसलिए उसे भेजा जाना पॉसिबल नहीं था. इसलिए आज हमने संतरे, केले, मौसंबी और कुछ दवाईयां भेजी हैं.

श्रमिकों ने उनसे नमक की डिमांड की थी. मज़दूरों की मांग पर टेट्रा पैक भेजा जा रहा है. और इसके बाद रोटी-सब्ज़ी और पुलाव भेजेंगे. अब ये प्रक्रिया चालू है.

हालांकि, मंगलवार तक रुकावट दूर कर ली गई और पका हुआ भोजन अंततः श्रमिकों तक पहुंचाया गया.

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि पाइप में कोई समस्या थी और अब केवल सूखे मेवे ही अंदर जा रहे हैं.

इस बीच छह इंच व्यास वाली पाइपलाइन के जरिए सोमवार रात को मज़दूरों तक खिचड़ी भेजी गई, खिचड़ी को चौड़े मुंह वाली प्लास्टिक की बोतलों में पैक करके अंदर पहुंचाने की कोशिशें की गई थीं, लेकिन दोपहर तक वो खाना उन्हें रिसीव नहीं हो पाया था. हालांकि, यह स्थापित नहीं किया जा सका कि चट्टानों के कारण आई रुकावट से पहले कुछ बोतलें बाहर आई थीं या नहीं.

आधिकारिक प्रतिक्रिया के लिए बचाव अभियान में शामिल अधिकारियों से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, केवल इतना कहा कि कैमरे अंदर पहुंच गए हैं और सभी लोग सुरक्षित हैं.

53 मीटर लंबे 6 इंच के पाइप ने घटनास्थल पर बचाव कर्मियों को 10 दिन से मलबे में फंसे 41 मज़दूरों के साथ ऑडियो-विज़ुअल संपर्क बनाने में मदद की. मज़दूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए फिलहाल बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाया जा रहा है.

बचाव कर्मियों ने सोमवार को पका हुआ भोजन भेजने की कोशिश की, जिसमें चौड़े मुंह वाली प्लास्टिक की बोतलों में खिचड़ी पैक की गई थी. मज़दूर अब तक सूखे मेवों पर अपना गुज़ारा कर रहे हैं, जिन्हें पहले एक संकीर्ण – 4-इंच – पाइप के माध्यम से भेजा जा रहा था.

मज़दूरों से उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछने वाले डॉक्टर प्रेम पोखरियाल ने बचावकर्मियों को सलाह दी थी कि मंगलवार को उन्हें भोजन में मूंग दाल की खिचड़ी भेजी जाए, जिसमें सोया बड़ी और मटर शामिल हों. लेकिन इस वीडियो में उसी खिचड़ी के बोतलों को धोते हुए देखा जा सकता है और वर्कर्स को कहते सुना जा सकता है कि ‘‘नहीं गया खाना वापिस आ गया.”

मंगलवार दोपहर तक, मज़दूरों को पका हुआ भोजन भेजने की नई कोशिश की जा रही थी.

इस बीच, अमेरिकी ऑगर मशीन के जरिए बड़े व्यास के माइल्ड स्टील पाइप डालकर होरिजोंटली ‘एस्केप पैसेज’ बनाने का काम तीन दिन बाद फिर शुरू हो गया.

सोमवार देर शाम दिल्ली से एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरा आने के बाद इसे सुरंग के अंदर भेजा गया. जारी किए गए वीडियो में पीले और सफेद रंग के हेलमेट पहने श्रमिक पाइपलाइन के माध्यम से एक-दूसरे से बात करते हुए दिखाई दे रहे थे.

इससे पहले, चार इंच के पाइप के जरिए भोजन, पानी, दवाइयां और ऑक्सीजन भेजी जा रही थी.

इस बीच, सिल्क्यारा सुरंग की ओर से ‘एस्केप पैसेज’ बनाने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग फिर शुरू कर दी गई है. शुक्रवार को दोपहर में ड्रिलिंग के दौरान किसी कठोर सतह से टकराने के बाद जबरदस्त आवाज़ आने के बाद काम को रोक दिया गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पुन: फोन कर निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव एवं राहत कार्यों की जानकारी ली.

मुख्यमंत्री धामी ने सोशल मीडिया पर कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को छह इंच व्यास की पाइपलाइन के सफलतापूर्वक मलबे के आरपार डाले जाने एवं इसके माध्यम से भोजन एवं अन्य आवश्यक सामान श्रमिकों तक पहुंचाने के बारे में जानकारी दी.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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