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बधाई हो! एमपी के कूनो में नामीबिया से लाई गई मादा चीता आशा ने तीन शावकों को जन्म दिया

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि जंगल में शावकों की आवाज गूंजी. यह जानकारी साझा कर खुशी हो रही है कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान तीन नए सदस्यों का स्वागत कर रहा है.

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में तीन शावकों का जन्म हुआ/ फोटो:भूपेंद्र यादव

नई दिल्ली: अफ्रीकी देश नामीबिया से लाई गई मादा चीता आशा ने मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में तीन शावकों को जन्म दिया है. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को यह जानकारी दी.

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘जंगल में शावकों की आवाज गूंजी. यह जानकारी साझा कर खुशी हो रही है कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान तीन नए सदस्यों का स्वागत कर रहा है. शावकों को नामीबिया से लाई गई मादा चीता आशा ने जन्म दिया है.’’

वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबियाई मादा चीता आशा द्वारा तीन शावकों के जन्म पर हर्ष व्यक्त करते हुए चीता परियोजना से जुड़े लोगों, वन्य जीव प्रेमियों और नागरिकों को बधाई दी है.

डॉ. यादव ने कहा, “एक समय था जब एशिया की धरती से चीता समाप्त हो गया था. आज तीन नन्हें मुन्ने चीता शावकों ने जन्म लिया है. यह विश्व की विशेष घटना है.”

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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में चीता परियोजना की सफलता इन तीन शावकों के जन्म से स्थापित होती है. इसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने पारिस्थितिकी संतुलन के उद्देश्य से की थी. मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि यह परिकल्पना साकार होते हुए देखना रोमान्चकारी है. चीता परियोजना में सभी स्तर के अधिकारियों-कर्मचारियों और विशेषज्ञों ने परिश्रम से कार्य किया है. तीन शावकों का जन्म इस परियोजना की सार्थकता को बढ़ाएगा.

वहीं यादव ने इस घटना क्रम को ‘परियोजना चीता की शानदार सफलता करार दिया जिसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पारिस्थितिकी संतुलन बहाल करने के लिए की थी.

यादव ने पोस्ट किया, ‘‘परियोजना से जुड़े सभी विशेषज्ञों, कूनों राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों और पूरे देश के वन्यजीव प्रेमियों को मेरी ओर से शुभकामनाएं.’’

इससे पहले मार्च 2023 में मादा चीता सियाया ने चार शावकों को जन्म दिया था, लेकिन एक ही शावक जिंदा बच पाया.

सियाया का नाम बाद में ज्वाला रखा गया था. ज्वाला को भी नामीबिया से लाकर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाया गया था.

बता दें कि पिछले साल नामीबिया से मध्यप्रदेश के कूनों में चीते लाए गए थे. मार्च से अगस्त 2023 तक लगभग नौ चीतों की मौत हो गई थी. जिसमें छह वयस्क चीतों और तीन शावकों की मौत हो चुकी है. उसके बाद पशु चिकित्सकों की एक टीम ने केएनपी में सभी 15 जीवित चीतों (सात नर, सात मादा और एक शावक) को स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए अगस्त 2023 से बाड़ों में रखा था.


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