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करनाल में किसानों का धरना ‘अनिश्चितकाल’ तक जारी, मोबाइल इंटरनेट निलंबन का समय बढ़ाया

राज्य के गृह विभाग द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक आदेश में कहा गया है, ‘करनाल जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं सुबह 7 बजे से रात 12 बजे तक निलंबित रहेंगी.’

करनाल में सचिवालय के बाहर धरने पर बैठे किसान | फोटो- @_YogendraYadav

चंडीगढ़: करनाल में जिला मुख्यालय में प्रदर्शनरत किसानों का धरना ‘अनिश्चितकाल’ तक के लिए जारी रहने के बीच हरियाणा सरकार ने बृहस्पतिवार आधी रात तक जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं का निलंबन बढ़ा दिया है.

राज्य के गृह विभाग द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक आदेश में कहा गया है, ‘करनाल जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं सुबह 7 बजे से रात 12 बजे तक निलंबित रहेंगी.’

करनाल में पिछले महीने पुलिस के लाठीचार्ज पर जिला अधिकारियों और प्रदर्शनरत किसानों के बीच बुधवार को एक अन्य दौर की वार्ता विफल रही. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे जिला मुख्यालय पर अपना धरना ‘अनिश्चितकाल’ तक जारी रखेंगे.

इससे पहले छह सितंबर को रात साढ़े 12 बजे से सात सितंबर को रात 11 बजकर 59 मिनट तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद की गयी थीं और स्थिति के ‘अब भी संवेदनशील’ होने के कारण यह निलंबन बुधवार आधी रात तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

अब ताजा आदेश में कहा गया है कि स्थिति की समीक्षा की गयी और इसे अब भी तनावपूर्ण माना गया है. आदेश में प्रदर्शनकारियों के ‘अनिश्चितकाल’ तक धरना करने के आह्वान का जिक्र करते हुए कहा गया है, ‘हरियाणा के एडीजीपी (सीआईडी) नौ सितंबर को मेरे संज्ञान में लेकर आए कि स्थिति की समीक्षा की गयी है और हालात अब भी तनावपूर्ण हैं और कभी भी स्थिति बिगड़ सकती है जिससे करनाल जिले में जन सुरक्षा और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.’

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अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजीव अरोड़ा द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि करनाल जिले में वॉयस कॉलिंग के अलावा मोबाइल नेटवर्क पर मुहैया कराए जाने वाली सभी सेवाएं निलंबित रहेगी. इसमें कहा गयाा है कि मोबाइल फोन पर सोशल मीडिया मंचों जैसे कि व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्वीटर के जरिए गलत सूचनाओं और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन का आदेश दिया गया.

इस बीच, धरने के तीसरे दिन प्रदर्शनकारी करनाल में लघु सचिवालय परिसर के प्रवेश द्वार पर डटे हुए हैं. किसान संघ के नेताओं ने कहा कि अधिकारियों और आम जनता को प्रवेश करने से नहीं रोका जाएगा.

उनकी मुख्य मांग आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा से संबंधित है. सिन्हा को किसानों के 28 अगस्त के प्रदर्शन के दौरान एक टेप में पुलिसकर्मियों को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि अगर प्रदर्शनकारी सुरक्षा तोड़ते हैं तो उनका ‘सिर फोड़ देना’.

भारतीय जनता पार्टी की एक बैठक स्थल की ओर मार्च करने की कोशिश के दौरान पुलिस के साथ झड़प में करीब 10 प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे.

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