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पंजाब-हरियाणा के किसानों ने धरने के साथ मनाई कृषि विरोध की तीसरी वर्षगांठ- MSP, कर्जमाफी रहे मुख्य एजेंडा

किसान उन 700 से अधिक किसानों के परिजनों के लिए मुआवजे और नौकरियों की भी मांग कर रहे हैं, जिन्होंने दिल्ली में साल भर चले किसानों के विरोध प्रदर्शन (2020-21 से शुरू) के दौरान कथित तौर पर अपनी जान गंवाई थी.

रविवार को धरना स्थल पर हरियाणा के किसान | फोटो: विशेष व्यवस्था द्वारा

चंडीगढ़: पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और उनके हरियाणा समकक्ष बंडारू दत्तात्रेय ने मंगलवार को अपने-अपने राज्यों के प्रदर्शनकारी किसानों को, केंद्र को संबोधित एक ज्ञापन लेने के लिए आमंत्रित किया. दोनों राजभवनों के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि यह सभी ज्ञापन फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी और वृद्ध किसानों को मासिक पेंशन देने की मांगों पर है.

राज्यपलों से मुलाकात करने के बाद दोनों राज्य के किसान नेताओं ने घोषण की कि अब किसान अपने अपने घर लौट जाएंगे.

तीन दिवसीय आंदोलन जो रविवार से शुरू हुआ था और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) द्वारा बुलाया गया, 32 किसान संगठनों का एक संगठन है, जो मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 में किसानों द्वारा शुरू किए गए, “दिल्ली चलो” मार्च की तीसरी वर्षगांठ है.

रविवार को हरियाणा और पंजाब के किसानों ने चंडीगढ़ के बाहरी इलाके में धरना शुरू कर दिया. हालांकि इस महीने के विरोध का शुरुआती आह्वान केवल तीन दिनों के लिए था. दिप्रिंट के साथ बातचीत में किसान नेताओं ने संकेत दिया कि अगले साल के लोकसभा चुनावों से पहले के महीनों में, एक लंबा आंदोलन देखने को मिल सकता है.

सोमवार को दिप्रिंट से बात करते हुए एसकेएम और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल), पंजाब के प्रवक्ता गुरविंदर सिंह कुमकलन ने अपनी कुछ मांगों को सूचीबद्ध किया, जिसमें सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला कानून, एमएसपी पर स्वामीनाथन पैनल की सिफारिशों को लागू करना, कृषि ऋण माफी योजना, 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को 10,000 रुपये की मासिक पेंशन और इस साल बाढ़ में भारी नुकसान झेलने वाले किसानों को मुआवजा देना शामिल है.

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किसान उन 700 से अधिक किसानों के परिजनों के लिए मुआवजे और नौकरियों की भी मांग कर रहे हैं, जिन्होंने दिल्ली में साल भर चले किसानों के विरोध प्रदर्शन (2020-21 से शुरू) के दौरान कथित तौर पर अपनी जान गंवाई थी. साथ ही उस आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को रद्द करना और उस आंदोलन के बीच हुई लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय देना भी इसमें शामिल हैं.

भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी), पंजाब के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फुल ने सोमवार को दिप्रिंट को फोन पर बताया कि, एसकेएम के आह्वान के अनुसार, किसान अपने तीन दिवसीय धरने के बाद घर लौट आएंगे. लेकिन वे लंबे आंदोलन की तैयारी के लिए आए थे.

फुल ने बताया, “भले ही हम मंगलवार के बाद लौट जाएंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे आंदोलन का अंत है. यह हमारे लिए सबसे अधिक उपयुक्त समय है कि हम अपने विरोध को तेज करें. गेहूं की फसल बोई गई है और अप्रैल तक, जब इसे काटा जाएगा, तो हमारे पास खाली समय होगा. मई में संसदीय चुनावों के साथ, हम अपने विरोध को तेज करना चाहते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि सरकारें चुनावों से पहले लोगों की मांगों को स्वीकार करती हैं.”

हालांकि, हरियाणा के भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष रतन मान ने कहा कि राज्य के किसान, पंजाब के लोगों के संपर्क में थे, लेकिन अभी तक हरियाणा के किसानों की धरने को मंगलवार के बाद आगे बढ़ाने की कोई योजना नहीं है.

मान ने कहा, “हम 72 घंटे बैठने के लिए योजनाओं और उपाय के साथ यहां आए हैं. यदि अधिकारी पंचकुला में हमारे ज्ञापन को यहां स्वीकार करते हैं, तो हम इसे प्रस्तुत करेंगे और मंगलवार दोपहर तक अपना आंदोलन समाप्त कर देंगे.”

उन्होंने कहा कि अगर किसानों के संगठनों ने एक नया आंदोलन शुरू करने का फैसला किया, तो “हम इसमें भाग लेंगे”.

दिप्रिंट ने इस बैठक पर टिप्पणी के लिए व्हाट्सएप पर कृषि और किसान कल्याण विभाग के मीडिया और संचार प्रभाग के संयुक्त निदेशक, सुधीर सिंह से संपर्क किया है, प्रतिक्रिया मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


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‘पीछे नहीं हटेंगे’

रविवार को, पंजाब के 32 संगठनों से जुड़े किसान लगभग 3,000 वाहनों में आए और IISER (इंडियन इंस्टीटूट्स ऑफ़ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च) के पास मोहाली-चंडीगढ़ सीमा पर इकट्ठा हुए. जबकि हरियाणा के 17 किसान संगठनों और ट्रेड यूनियनों के लोगों ने पंचकुला के सेक्टर 5 परेड ग्राउंड में धरना शुरू कर दिया.

फुल ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर मोहाली में धरना स्थल पर किसानों की सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा कि किसानों ने तीन साल पहले इसी दिन (26 नवंबर) अपना आंदोलन शुरू किया था और एक साल बाद उनकी मांग स्वीकार होने के बाद ही उन्होंने अपना विरोध खत्म किया था. उन्होंने कहा, “हमने अपने संघर्ष से स्पष्ट संदेश दिया था कि किसान अपनी मांगें पूरी होने तक संघर्ष के रास्ते से पीछे नहीं हटेंगे.”

एक्स पर एक अन्य अकाउंट, Tractor2Twitter ने पंजाबी संडे में एक पोस्ट किया, जिसमें कहा गया कि फसलों और श्रम की सही कीमत किसानों का अधिकार है. पोस्ट में कहा गया कि, “अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वे बातचीत के जरिए अधिकार देना चाहते हैं या लंबे आंदोलन के जरिए.”

आंदोलन के भविष्य के बारे में बात करते हुए कुमकलन ने कहा, “हम यहां राजभवन के सामने धरना देने और राज्यपालों को अपना ज्ञापन सौंपने आए थे, लेकिन हमें यहां मोहाली में रोक दिया गया है. किसानों की समन्वय समिति, जिसमें 32 संगठनों के नेता शामिल हैं, मंगलवार को बैठक करेगी और आंदोलन पर फैसला लिया जाएगा.”

कुमकलन के मुताबिक, किसान कम से कम 10 दिनों के लिए पर्याप्त राशन लेकर चंडीगढ़ आए हैं. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो अधिक राशन और लोगों को लाया जाएगा.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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