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किसान यूनियनों ने कहा, 2-3 दिनों में अगला कदम तय करेंगे, पीएम को खत में लिखा- नहीं है राजनीतिक दल से संबंध

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों कहना है कि वे अपना अगला कदम अगले दो तीन दिनों में तय करेंगे.

किसान आंदोलन में महिलाएं भी बढ़-चढ़ कर भाग ले रही हैं/फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

नई दिल्ली: अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर कहा कि वर्तमान में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं हैं.

मोदी और तोमर को हिंदी में अलग-अलग लिखे गए पत्रों में समिति ने कहा कि सरकार की यह गलतफहमी है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को विपक्षी दलों द्वारा प्रायोजित किया जा रहा है. किसान संगठन की तरफ से ये पत्र तब लिखे गए जब एक दिन पहले प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों पर किसानों को तीन कृषि कानूनों को लेकर गुमराह करने का आरोप लगाया था.

समिति उन लगभग 40 किसान संगठनों में से एक है, जो पिछले 23 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

इसने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘सच्चाई यह है कि किसानों के आंदोलन ने राजनीतिक दलों को अपने विचार बदलने के लिए मजबूर किया है और आपके (प्रधानमंत्री) आरोप कि राजनीतिक दल इसे (विरोध प्रदर्शन) पोषित कर रहे हैं, वह गलत है.’

समिति ने पत्र में कहा, ‘विरोध करने वाली किसी भी किसान यूनियन और समूह की कोई भी मांग किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं है.’

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दो तीन दिन में तय करेंगे अगला कदम क्या हो

यही नहीं तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों ने यह भी कहा कि वे अपना अगला कदम अगले दो तीन दिनों में तय करेंगे. इस सप्ताह के शुरू में उच्चतम न्यायालय ने उल्लेखित किया था कि वह गतिरोध के समाधान के लिए कृषि विशेषज्ञों और किसान यूनियनों का एक ‘निष्पक्ष और स्वतंत्र’ समिति गठित करने पर विचार कर रहा है.

किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि रणनीति तय करने के लिए यूनियनों के बीच वर्तमान में चर्चा चल रही है. उन्होंने कहा कि वे इस मामले पर कानूनी राय भी ले रहे हैं.

कक्का ने कहा, ‘हमारी बैठकें अगले कदम के लिए हो रही हैं. हम उम्मीद करते हैं कि अगले दो-तीन दिनों में, हमारे समक्ष यह स्पष्टता होगी कि हमें अदालत द्वारा सुझाई गई समिति का हिस्सा होना चाहिए या नहीं.’

एक अन्य नेता बलबीर सिंह ने कहा कि किसान तब तक अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त नहीं करेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती.

उन्होंने कहा, ‘हम एक लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं. हम अपने अधिकारों के लिए यहां हैं. हम अदालत के आदेश के बाद अपना रुख तय करने की प्रक्रिया में हैं.’

नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर हजारों किसान पिछले 23 दिनों से दिल्ली सीमा पर कई स्थानों पर डटे हुए हैं.

इस बीच, ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) ने शनिवार को दावा किया कि 26 नवंबर से जारी विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने वाले 33 किसानों की मौत दुर्घटनाओं, बीमारी और ठंड के मौसम की वजह से हुई है.

एआईकेएस के अनुसार, जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए रविवार को देश के विभिन्न हिस्सों में ‘श्रद्धांजलि दिवस’ मनाया जाएगा.

इस सप्ताह की शुरुआत में, उच्चतम न्यायालय ने किसानों के अहिंसक विरोध प्रदर्शन के हक को स्वीकारते हुए सुझाव दिया कि केन्द्र फिलहाल इन तीन विवादास्पद कानूनों पर अमल स्थगित कर दे क्योंकि वह इस गतिरोध को दूर करने के इरादे से कृषि विशेषज्ञों की एक ‘निष्पक्ष और स्वतंत्र’ समिति गठित करने पर विचार कर रहा है. हालांकि, केंद्र ने इस सुझाव का विरोध किया और कहा कि अगर इन कानूनों का अमल स्थगित रखा गया तो किसान बातचीत के लिए आगे नहीं आएंगे.


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