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मशहूर लेखिका और कार्यकर्ता सादिया देहलवी का निधन, इतिहासकार इरफान हबीब सहित लेखकों ने किया याद

सादिया ने उर्दू महिलाओं की पत्रिका ‘बानो’ का सम्पादन किया. दिल्ली की पाक कला के इतिहास पर 2017 में ‘जैस्मीन एंड जिन्स: मेमोरिज एंड रेस्पी ऑफ माय देहली’ लिखा था.

मशहूर लेखिका और कार्यकर्ता सादिया देहलवी | विकीपीडिया

नई दिल्ली: दिल्ली की मशहूर लेखिका एवं कार्यकर्ता सादिया देहलवी का कैंसर से लंबी जंग लड़ने के बाद शहर के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 63 वर्ष की थी.

सादिया ने बुधवार को अंतिम सांस ली. हाल ही में उन्हें शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

प्रख्यात इतिहासकार एस. इरफान हबीब ने ट्वीट किया, ‘सादिया देहलवी के निधन की खबर सुनकर दुखी हूं. दिल्ली की एक प्रसिद्ध सांस्कृतिक शख्सियत, मेरी अच्छी दोस्त और एक बेहतरीन इंसान. भगवान आपकी आत्मा को शांति दे.’

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लेखिका राना सैफवी ने याद करते हुए ट्वीट किया है, ‘सादिया देहलवी को शांति मिले. अल्लाह जन्नत नसीब करें’

कॉलमिस्ट और डॉक्टर मोहम्मद तकी ट्वीट कर सादिया को याद करते हुए लिखते हैं कि ‘सादिया देहलीवी को शांति मिले, हमारी चिश्ती की बहन और सूफीमत को कालबद्ध करने वाली. वह युसुफ़ देहलवी की पोती थीं जिन्होंने उर्दू फिल्म पत्रिका शमा प्रकाशित की और बाद में पिता यूनुस देहलवी द्वारा संपादित सदिया का सूफीमत:इस्लाम का दिल अवश्य पढ़ना चाहिए.’

लेखक मयंक आस्टेन सूफी ने भी उन्हें याद किया है.

शाही ‘शमा’ परिवार से ताल्लुक रखने वाली सादिया ने उर्दू महिलाओं की पत्रिका ‘बानो’ का सम्पादन किया.

उन्होंने दिल्ली की पाक कला के इतिहास पर 2017 में एक किताब लिखी थी, जिसका शीर्षक है ‘जैस्मीन एंड जिन्स: मेमोरिज एंड रेस्पी ऑफ माय देहली’ था.

उनके परिवार में उनका बेटा अरमान अल देहलवी है.

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