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पाकिस्तान के पूर्व विधायक बलदेव सिंह ने मांगी भारत में शरण, मार्च में लिया था देश छोड़ने का फैसला

इमरान खान की पार्टी के पूर्व विधायक बलदेव सिंह ने कहा भारत एक 'धर्मनिरपेक्ष' मुल्क है और पूरी उम्मीद है कि यहां मुझे समर्थन मिलेगा.

बलदेव कुमार और इमरान खान | फोटो : ब्लूमबर्ग/एएनआई

नई दिल्ली: अल्पसंख्यकों के साथ पाकिस्तान में अत्याचार होना कोई नई बात नहीं है. बच्चियों के साथ धर्म-परिवर्तन कराने की बात हो या फिर ज़बरदस्ती शादी कराने की बात, पाकिस्तान के विभिन्न प्रांतों से दिल दहला देने वाली खबरें आती रहती हैं. लेकिन जब पाकिस्तान में मौजूदा सरकार के पूर्व विधायक देश छोड़ने को मजबूर हो जाएं तो वहां के हालात के बारे में आसानी से समझा जा सकता है. तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बारीकोट, स्वात इलाके से विधायक रह चुके बलदेव सिंह भारत आ गए हैं और वह मोदी सरकार से भारत में राजनैतिक शरण मांग रहे हैं.

बलदेव से जब दिप्रिंट ने टेलीफोन के ज़रिए बात की तो उन्होंने बताया, ‘पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत लगातार खराब होती जा रही है.’

उन्होंने यह भी कहा, ‘भारत एक ‘धर्मनिरपेक्ष’ मुल्क है और पूरी उम्मीद है कि यहां मुझे पूरा समर्थन मिलेगा. बलदेव 43 वर्ष के हैं उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यकों के साथ हिंदू, सिख के भी हाल पाकिस्तान में ठीक नहीं हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इमरान खान पाकिस्तान को नया बनाने वाले थे लेकिन उन्होंने तो मुसलमानों के लिए भी पाकिस्तान को ठीक नहीं रहने दिया है तो अल्पसंख्यकों के हालात के बारे में कौन पूछे.’

वह कहते हैं, ‘पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहा अत्याचार किसी से छिपा नहीं है. चाहे फिर बात सिंध की करें या फिर बलूचिस्तान की, ये सच्चाई दुनिया का हर देश अच्छे से जानता है. उनका कहना है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक खौफ के माहौल में रह रहे हैं.

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वह कहते हैं, ‘उन्हें इमरान खान से काफी उम्मीदें थीं. लेकिन उनके सत्ता में आते ही हालात और भी ज्यादा बिगड़ते चले गए. उनके कार्यकाल के दौरान हिंदुओं और सिखों पर जुल्म बढ़ा है.’

बलदेव बताते हैं कि पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों के लिए लंबी लड़ाई लड़े जाने की ज़रूरत है और यह पाकिस्तान में रहकर संभव नहीं था, इसलिए मैं यहां आया हूं. और वहां के लोगों की आवाज़ उठाउंगा.

जब दिप्रिंट ने उनसे पूछा, अगर आपको सरकार ने शरण नहीं दिया तो आप क्या करेंगे?

बलदेव कहते हैं, ‘जो नसीब में होगा.’

‘मैं यहां खुद की नहीं बल्कि पाकिस्तान में रह रहे पूरे अल्पसंख्यक समाज के लिए इंसाफ मांग रहा हूं.’

‘पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ बहुत जुल्म हो रहा है और उसके लिए आवाज़ उठाने की ज़रूरत है.’

बता दें कि पाकिस्तान के स्वात में बलदेव सिंह के दो भाई, उनका पूरा परिवार, बहन, मामा के परिवार वाले सभी रह रहे हैं. पंजाब के खन्ना में उनका ससुराल है और वह बीते 12 अगस्त से भारत में ही रह रहे हैं. बलदेव की बेटी थैलिसीमिया की मरीज हैं और उनका यहां इलाज चल रहा है. पेशे से बिज़नेसमैन बलदेव सिंह का स्वात में लंबा चौड़ा गाड़ियों और कपड़ों का कारोबार है.

उन्होंने दिप्रिंट से बातचीत में बताया, ‘उन्होंने मार्च महीने में ही तय कर लिया था कि वह अब पाकिस्तान में नहीं रहेंगे और उन्होंने यह निर्णय लेने के बाद ही अपनी पत्नी और दोनों बच्चों को भारत भेज दिया था. वह कहते हैं यह लड़ाई सिर्फ हमारी नहीं, हमारी आने वाली पीढ़ियों की भी है. अगर आज हम लड़ेंगे तो कल बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा.

इमरान खान के बारे में वह कहते हैं, ‘उन्हें सिर्फ अपनी शादियां करनी है. इसलिए वह पाकिस्तान पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.’ इमरान ने नए पाकिस्तान का जो वादा देशवासियों से किया था उन्होंने वैसा कुछ भी नहीं किया है. यहां तक की जब वह चुनाव लड़ने जा रहे थे तो उन्होंने कहा था कि हमारी पार्टी में कोई दूसरी पार्टी का नेता नहीं आएगा लेकिन वह यह नहीं बताते कि वज़ीरे खजाना (वित्त मंत्री पाकिस्तान), डिप्टी और मुख्यमंत्री भी दूसरी पार्टी के आए नेताओं को बनाया है.

बता दें कि बलदेव सिंह पाकिस्तान में दो साल जेल की सज़ा भी काट चुके हैं. 2016 में उनके विधानसभा क्षेत्र के एक विधायक की हत्या के बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया था लेकिन उनपर आरोप साबित नहीं होने के बाद उन्हें 2018 में बरी कर दिया गया था. यह भी विडंबना ही है कि वह महज़ 36 घंटे तक ही विधायक के पद पर रहे. बलदेव बताते हैं कि इमरान खान से उन्हें और देश को काफी उम्मीदें थीं कि वह एक नया पाकिस्तान बनाएंगे लेकिन वो अपनी जनता, खासतौर पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में नाकाम रहे हैं.

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