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‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के 7 साल बाद भी एक चौथाई परियोजनाओं पर अब तक शुरू नहीं हुआ काम

‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के लिये अलग से कोई आवंटन नहीं किया जाता है और सांसदों को सांसद निधि (एमपीलैड) के कोष से ही इसका विकास करना होता है.

फोटो: पीएमओ वेबसाइट

नई दिल्ली: मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के शुरू होने के सात वर्ष बाद भी एक चौथाई से अधिक परियोजनाओं पर काम शुरू नहीं हुआ है.

सांसद आदर्श ग्राम योजना की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, ‘नौ अक्टूबर 2021 तक योजना के तहत 2314 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है और ग्राम विकास की योजनाबद्ध 82,918 परियोजनाओं में से 53,352 परियोजनाएं एवं गतिविधियां पूरी हुई हैं जबकि 6,416 ग्राम विकास परियोजनाओं पर काम चल रहा है.’

इस प्रकार से, योजना के तहत ग्राम विकास की 23,110 परियोजनाओं एवं गतिविधियों पर काम शुरू नहीं हुआ है जो कुल कार्यों का एक चौथाई से कुछ अधिक (28 प्रतिशत) होता है. सांसद आदर्श ग्राम योजना के आंकड़ों के अनुसार, योजना के लिये चयनित 2314 ग्राम पंचायतों में से 1,717 ग्राम पंचायतों ने पोर्टल पर ग्राम विकास परियोजना का ब्योरा अपलोड किया है.

गौरतलब है कि गांवों के विकास के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना का उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में किया था. 11 अक्टूबर 2014 को यह योजना शुरू की गई थी. इसके तहत सांसदों को अपने क्षेत्र में एक ‘आदर्श ग्राम’ का चयन करके उसका विकास करना था.

योजना के तहत 2014 से 2019 के बीच चरणबद्ध तरीके से सांसदों को तीन गांव गोद लेने थे और 2019 से 2024 के बीच पांच गांव गोद लेने की बात कही गई है. योजना के तहत मुख्य रूप से चार वर्गों- वैयक्तिक विकास, मानव विकास, आर्थिक विकास और सामाजिक विकास- को बढ़ावा देकर ग्राम विकास करने की बात कही गई है. इसके तहत स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, कौशल विकास, बुनियादी सुविधाएं, सामाजिक न्याय व सुशासन आदि कार्यों को शामिल किया गया है.

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‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के लिये अलग से कोई आवंटन नहीं किया जाता है और सांसदों को सांसद निधि (एमपीलैड) के कोष से ही इसका विकास करना होता है.

योजना की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, इस योजना के तहत तमिलनाडु (94.3 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (89.8 प्रतिशत), गुजरात (84.2 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (79.67 प्रतिशत), कर्नाटक (76.68 प्रतिशत), उत्तराखंड (76.66 प्रतिशत), केरल (69.78 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (68.4 प्रतिशत), मणिपुर (67.57 प्रतिशत), मिजोरम (66.32 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (65.25 प्रतिशत), हरियाणा (61.16 प्रतिशत) में आदर्श ग्राम योजना के कार्यों का क्रियान्वयन अच्छा पाया गया है. इन राज्यों में ग्राम विकास की परियोजनों का 60 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा हो गया है.

इस योजना के तहत राजस्थान, झारखंड, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब, असम में 60 प्रतिशत से कम कार्य पूरा हुआ है. योजना के तहत राजस्थान में 55.06 प्रतिशत, झारखंड में 52.63 प्रतिशत, तेलंगाना में 50.38 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 45.46 प्रतिशत, ओडिशा में 43.7 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 42.11 प्रतिशत, बिहार में 38.68 प्रतिशत, पंजाब में 36.97 प्रतिशत ग्राम विकास का कार्य पूरा हुआ है.


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