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आपके टीवी से बाबा रामदेव की पंतजलि के विज्ञापन गायब क्यों हो रहे हैं?

Indian yoga guru Baba Ramdev (L) and Patanjali Ayurveda Managing Director, Acharya Balkrishna, pose for a photo during a press conference in New Delhi on January 16, 2018. India's hugely popular yoga guru on January 16 announced a tie-up of his Patanjali brand with a clutch of e-commerce majors including Amazon, eyeing a slice of the lucrative $1 billion online market for consumer goods. / AFP PHOTO / MONEY SHARMA (Photo credit should read MONEY SHARMA/AFP/Getty Images)
बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण (फोटो साभार: Money Sharma/AFP/Getty Images)

बाबा रामदेव की पंतजलि आयुर्वेद देश में टीवी विज्ञापन देने वाली तीन शीर्ष कंपनियों में शुमार थी, लेकिन इस साल वह 10वें नंबर पर आ गई है.

नई दिल्ली: क्या आपने यह बात नोटिस की है कि अपनी टीवी पर आप जितने पंतजलि के विज्ञापन देखते थे, अब उतने नहीं दिखाई पड़ते हैं? बाबा रामदेव की आयुर्वेद और एफएमसीजी कंपनी के टीवी विज्ञापनों में भारी कमी देखी गई है और यह फर्म देश के शीर्ष तीन विज्ञापनदाताओं की सूची में से बाहर हो गई है.

टैम मीडिया रिसर्च की एक ईकाई एडएक्स इंडिया के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, पतंजलि, जो विज्ञापनदाताओं की सूची में एफएमसीजी के दिग्गजों हिंदुस्तान यूनिलीवर और रेकिट बेनकीसर (डेटॉल के निर्माता) के साथ प्रतिस्पर्धा कर चुकी है. वह 2018 की पहली छमाही में 10वें स्थान पर आ गई है. इस सूची में अभी आईटीसी लिमिटेड शीर्ष स्थान पर है.

हरिद्वार स्थित पतंजलि ने पिछले साल शीर्ष विज्ञापनदाताओं की सूची से चॉकलेट निर्माता कैडबरी को विस्थापित कर दिया था. पतंजलि प्रिंट विज्ञापन सूची में भी पिछले एक साल में सातवें से दसवें स्थान पर आ गई है.

कंपनी का कहना है कि यह निर्णय जानबूझकर लिया गया है. उनका कहना है कि बाज़ार में अपने उत्पादों की कमी के चलते ऐसा किया गया है. कंपनी ने इसके लिए अपनी सप्लाई चेन को ज़िम्मेदार बताया है.

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लेकिन विश्लेषकों और खुदरा विक्रेताओं को यह भी लगता है कि पतंजलि के उत्पादों को खरीदने वाले लोगों में कमी के चलते विज्ञापन खर्च में कटौती की गई है.

देश की एकमात्र टीवी ऑडियंस मापन इकाई बार्क (बीएआरसी) इंडिया के मुताबिक, एक साल पहले चैनलों में एक हफ्ते में पतंजलि के लगभग 25,000 विज्ञापन स्पॉट्स का औसत था, वहीं अब यह घटकर औसतन 16,000 स्पॉट प्रति सप्ताह या इससे भी कम है.

25 मार्च 2016 को समाप्त हुए सप्ताह में पतंजलि में टीवी पर 24,050 प्रविष्टियां थीं जबकि रामदेव स्वयं एक ही सप्ताह में 2,34,934 बार विभिन्न चैनलों पर दिखाई देते थे. यहां दिखाई देने का मतलब विभिन्न चैनलों पर लगभग 30 सेकंड की उपस्थिति से है.

वहीं, इसकी तुलना इस साल 29 सितंबर से 5 अक्टूबर के सप्ताह से करें तो पतंजलि टेलीविज़न पर शीर्ष 10 विज्ञापनदाताओं में कहीं भी नहीं है.

बदलती रणनीति

पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने दिप्रिंट को बताया कि कंपनी ने अपने टीवी विज्ञापनों को जानबूझ कर कम कर दिया है.

उन्होंने कहा, ‘हम कमज़ोर आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के कारण मांग की तुलना में उत्पादों की आपूर्ति में वृद्धि करने में असमर्थ हैं. अगर हम यह जानकर कि हम मांग पूरी नहीं कर पा रहे हैं, अपने विज्ञापनों को जारी रखेंगे, तो यह धन की भारी बर्बादी होगी.’

उन्होंने आगे कहा,‘कुछ उत्पाद बाज़ार में कम आपूर्ति में हैं. स्टॉक प्रबंधन के मुद्दों को तब तक नियोजित करना आसान था जब तक हम हरिद्वार में एक इकाई के माध्यम से विनिर्माण कर रहे थे. हालांकि, विनिर्माण आधार के विस्तार और बिक्री की मात्रा में वृद्धि के साथ, हमने अपनी आपूर्ति श्रृंखला चुनौतियों को हल करने के लिए पेशेवरों की मदद ली है.’

बालकृष्ण ने कहा, ‘हमारी योजना में एकमात्र परिवर्तन आउटडोर और डिजिटल मीडिया पर अधिक ध्यान केंद्रित करना है. पिछले साल तक, हमारे खर्चों का लगभग 90 प्रतिशत टेलीविज़न विज्ञापनों पर थे. हालांकि, धीरे-धीरे हम कुछ महीनों में डिजिटल माध्यम पर भी खर्च बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.’

बालकृष्ण ने यह भी कहा कि पतंजलि जल्द ही ज़बर्रदस्त तरीके से टीवी पर वापस आ जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘हमारा विज्ञापन बजट वही रहेगा. एक बार जब हम आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों को हल कर लेंगें तो फिर रफ्तार पकड़ेंगे और हमारे सभी प्रतिद्वंद्वियों को एक बार फिर विज्ञापन दौड़ में पछाड़ देंगे.’

भविष्य की योजनाओं को लिए पैसा बचाना

विज्ञापन एजेंसियों का कहना है कि मीडिया में अपने ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए पतंजलि 500 करोड़ रुपये या अपने कारोबार का करीब 5 फीसदी खर्च करता है. उद्योग के अनुमानों के अनुसार, पतंजलि ने 2017-18 में विज्ञापन पर 570 करोड़ रुपये खर्च किए हैं और इस वित्त वर्ष में भी 560 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है.

मीडिया पर नज़र रखने वाली एजेंसी टेम्पपस के सीईओ साईं नागेश के अनुसार, पतंजलि उन बहुत कम एफएमसीजी कंपनियों में से एक है जो समाचार चैनलों पर विज्ञापन बजट बहुत अधिक मात्रा में खर्च करती है.

वे कहते हैं, ‘समाचार चैनलों, विशेष रूप से हिंदी समाचारों पर भारी निवेश करना पतंजलि की मीडिया रणनीति में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह एक बुद्धिमानी भरा कदम है क्योंकि सामान्य मनोरंजन चैनल महंगे हैं और परिवारों तक पहुंचते हैं. लेकिन समाचार चैनल बहुत सस्ता है और व्यापारियों और स्टाकिस्टों तक पहुंचते हैं, जो पतंजलि की व्यावसायिक योजना का हिस्सा हैं.’

विज्ञापन एजेंसियां यह भी कहती हैं कि पतंजलि टीम साल के अंत में नए उत्पादों के लॉन्च को बढ़ावा देने के लिए विज्ञापन में संभालकर पैसे खर्च कर रही है.

पतंजलि ने महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के लिए पैक किए गए पेयजल, दूध और दूध उत्पाद, सैनिटरी नैपकिन और कपड़ों में प्रवेश करने की योजना बनाई है.

उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि इन श्रेणियों में उन्हें ढेरों चुनौतियों और विभिन्न उपभोक्ता समूहों पर ध्यान केंद्रित करना होगा. उनका कहना है कि इसके लिए पतंजलि को विज्ञापनों में बहुत सारे निवेश की आवश्यकता हो सकती है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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