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ट्रिब्यूनल का निर्देश, सिंगूर में भूमि विवाद से टाटा मोटर्स को हुए नुकसान पर 766 cr. का मिलेगा मुआवजा

इस विवाद के कारण टाटा मोटर्स को अक्टूबर, 2008 में अपने संयंत्र को पश्चिम बंगाल के सिंगूर से गुजरात के साणंद ले जाना पड़ा था.

मुम्बई में टाटा मोटर्स कंपनी के एक शो रूम के बाहर लगा टाटा मोटर्स का लोगो | रायटर्स

नई दिल्ली : घरेलू वाहन विनिर्माता टाटा मोटर्स ने सोमवार को कहा कि सिंगूर संयंत्र में हुए नुकसान की भरपाई के लिए उसे 766 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा. एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने सोमवार को यह मुआवजा देने का निर्देश पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम को दिया.

टाटा मोटर्स को भूमि विवाद होने से अक्टूबर, 2008 में अपने संयंत्र को पश्चिम बंगाल के सिंगूर से स्थानांतरित कर गुजरात के साणंद ले जाना पड़ा था. उस समय तक टाटा मोटर्स सिंगूर में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश कर चुकी थी. इस संयंत्र में उसकी छोटी कार नैनो का उत्पादन होना था.

टाटा मोटर्स ने शेयर बाजार को दी गई सूचना में कहा कि तीन-सदस्यीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया है. इसके मुताबिक, कंपनी प्रतिवादी पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (डब्ल्यूबीआईडीसी) से 765.78 करोड़ रुपये की राशि 11 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वसूलने की हकदार है. ब्याज की गणना एक सितंबर, 2016 से मुआवजा चुकाने की तारीख तक होगी.

टाटा मोटर्स ने सिंगूर संयंत्र बंद होने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए डब्ल्यूबीआईडीसी से मुआवजा मांगा था. इसमें पूंजी निवेश पर हुई नुकसान समेत अन्य मदों में दावा किया गया था.

कंपनी ने कहा, ”तीन-सदस्यीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने 30 अक्टूबर, 2023 को आम सहमति से दिए अपने फैसले में यह मामला टाटा मोटर्स के पक्ष में निपटा दिया है.”

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कंपनी ने यह भी कहा कि फैसले के तहत टाटा मोटर्स डब्ल्यूबीआईडीसी से कानूनी कार्रवाई में खर्च हुए एक करोड़ रुपये पाने की भी हकदार है.

टाटा मोटर्स ने सिंगूर परियोजना बंद होने के बाद जून, 2010 में अपनी छोटी कार नैनो के विनिर्माण के लिए साणंद में एक नया संयंत्र चालू किया था. हालांकि कुछ साल पहले कंपनी नैनो का निर्माण बंद कर चुकी है.

साणंद संयंत्र का उद्घाटन गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने किया था.


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