नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में गठित सोलहवें वित्त आयोग की बुधवार को पहली बैठक संपन्न हुई।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, इस बैठक में आयोग ने भारत की राष्ट्रपति के आदेश और 31 दिसंबर, 2023 को जारी वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुरूप अपने नियमों एवं शर्तों के बारे में चर्चा की।
मंत्रिमंडल ने संविधान के अध्याय एक, 12वें खंड के तहत संघ और राज्यों के बीच शुद्ध कर आय का वितरण और संबंधित राज्यों की हिस्सेदारी के आधार पर कर आवंटन से संबंधित नियमों एवं शर्तों को मंजूरी दी थी।
इसके अलावा 16वां वित्त आयोग भारत की संचित निधि से राज्यों को राजस्व सहायता अनुदान देने और राज्यों को सहायता अनुदान के जरिये दी जाने वाली राशि तय करने वाले सिद्धांतों पर भी गौर करेगा।
निर्धारित नियम एवं शर्तों के अनुसार आयोग पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों को लेकर राज्य की संचित निधि बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय भी सुझाएगा।
आयोग ने राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों, केंद्रीय मंत्रालयों और विशेषज्ञों सहित विभिन्न पक्षों के साथ व्यापक परामर्श की आवश्यकता को स्वीकार किया।
सोलहवें वित्त आयोग ने माना कि वह एक विस्तृत विश्लेषणात्मक कार्य करेगा और इसके लिए प्रमुख शोध संगठनों सहित विभिन्न पक्षों से जरूरी राय लेगा।
आयोग 31 अक्टूबर, 2025 तक अपनी सिफारिशें देगा। इसमें एक अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए केंद्रीय करों में हिस्सेदारी से संबंधित सिफारिशें शामिल होंगी।
बयान के मुताबिक, आयोग के सचिव ऋत्विक रंजनम पांडे और अन्य अधिकारियों ने चेयरमैन एवं अन्य सदस्यों का स्वागत किया।
पूर्व व्यय सचिव अजय नारायण झा, सेवानिवृत्त नौकरशाह एनी जॉर्ज मैथ्यू और ‘अर्थ ग्लोबल’ के कार्यकारी निदेशक निरंजन राजाध्यक्ष आयोग के पूर्णकालिक सदस्य हैं, जबकि एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष अंशकालिक सदस्य हैं।
भाषा
रमण प्रेम
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