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आठ माह में स्टाम्प, पंजीकरण शुल्क संग्रह एक लाख करोड़ रुपये के पार : रिपोर्ट

मुंबई, 20 मार्च (भाषा) महाराष्ट्र की अगुवाई में सभी राज्यों का सामूहिक रूप से स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क संग्रह चालू वित्त वर्ष के पहले आठ माह में 1,00,100 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।

बीते 2020-21 के पूरे वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 1,27,700 करोड़ रुपये रहा था।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज द्वारा राज्यवार आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-नवंबर की अवधि में 28 राज्यों का औसत मासिक संग्रह 12,500 करोड़ रुपये रहा। यह महामारी-पूर्व के 12,800 करोड़ रुपये के स्तर से कुछ कम है। लेकिन यह 2020-21 के 10,600 करोड़ रुपये के आंकड़े से अधिक है।

रिपोर्ट में हालांकि, 2020-21 की समान अवधि के तुलनात्मक आंकड़े नहीं दिए गए हैं, क्योंकि उस समय देश में महामारी का संकट जारी था।

आंकड़ों के अनुसार, मुंबई और पुणे के बूते महाराष्ट्र का स्टाम्प और पंजीकरण शुल्क संग्रह पहले आठ माह में 17,097 करोड़ रुपये रहा। कुल संग्रह में महाराष्ट्र का हिस्सा 17.1 प्रतिशत रहा। उसके बाद क्रमश: उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक का स्थान रहा। इन राज्यों का संग्रह क्रमश: 12,800 करोड़ रुपये, 8,700 करोड़ रुपये और 8,400 करोड़ रुपये रहा।

वित्त वर्ष 2020-21 में महाराष्ट्र का कुल संग्रह 25,427 करोड़ रुपये रहा था। यह देश के सभी राज्यों के कुल संग्रह का 19.9 प्रतिशत बैठता है। इसके बाद उत्तर प्रदेश 16,475 करोड़ रुपये के संग्रह के साथ दूसरे स्थान पर रहा। कुल संग्रह में उसका हिस्सा 12.9 प्रतिशत रहा। तमिलनाडु 11,675 करोड़ रुपये या 9.1 प्रतिशत के साथ तीसरे और कर्नाटक 10,576 करोड़ रुपये या 8.3 प्रतिशत के साथ चौथे स्थान पर रहा।

इन राज्यों के बाद क्रमश: गुजरात (7,390 करोड़ रुपये या 5.8 प्रतिशत),तेलंगाना (5,243 करोड़ रुपये या 4.1 प्रतिशत) और हरियाणा 5,157 करोड़ रुपये या चार प्रतिशत का स्थान रहा।

भाषा अजय अजय पाण्डेय

पाण्डेय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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