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डूइंग बिजनेस रैंकिंग में वर्ल्ड बैंक की हेरफेर किए जाने की खबरें ‘हैरान’ करने वाली : कौशिक बसु

बसु ने ट्वीट किया, ‘विश्वबैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में हेरफेर की खबर काफी परेशान करने वाली है. 2012 से 2016 के दौरान कारोबार सुगमता रैंकिंग का काम मेरे तहत आता था. हमारे ऊपर दबाव पड़ता था, लेकिन हम दबाव में नहीं आते थे.

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वर्ल्ड बैंक ऑफिस का फाइल फोटो | मिनस्वयाज. आरयू

नई दिल्ली:  वर्ल्ड बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने बहुपक्षीय संस्थान की कारोबार सुगमता रैंकिंग में जोड़-तोड़ या गड़बड़ी के आरोपों पर ‘हैरानी’ जताई है. बसु ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान भी सरकारों की ओर से दबाव आता था, लेकिन वर्ल्ड बैंक कभी दबाव में नहीं आया. इस तरह की खबरें परेशान करने वाली हैं.

अनियमितता के आरोपों के बाद विश्वबैंक ने किसी देश में निवेश के माहौल पर कारोबार सुगमता रैंकिंग का प्रकाशन बंद करने का फैसला किया है.

वर्ष 2017 में चीन की रैंकिंग बढ़ाने के लिए बैंक के शीर्ष अधिकारियों पर दबाव की वजह से आंकड़ों में अनियमितता का मामला सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया है.

बसु ने ट्वीट किया, ‘वर्ल्ड बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में हेरफेर की खबर काफी परेशान करने वाली है. 2012 से 2016 के दौरान कारोबार सुगमता रैंकिंग का काम मेरे तहत आता था. हमारे ऊपर दबाव पड़ता था, लेकिन हम दबाव में नहीं आते थे. दुख की बात है कि यह बदल गया है. मैं भारत को इस बात का श्रेय दूंगा कि न तो पिछली सरकार और न ही मौजूदा सरकार ने इस तरह का कोई दबाव डाला था.’

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बसु 2012 से 2016 तक विश्वबैंक के मुख्य अर्थशास्त्री रहे थे.

वर्ल्ड बैंक समूह ने बृहस्पतिवार को बयान जारी कर कहा था, ‘कारोबार सुगमता पर उपलब्ध सभी सूचनाओं की समीक्षा, निष्कर्षों के ऑडिट और बैंक कार्यकारी निदेशकों के बोर्ड की ओर से आज जारी रिपोर्ट के बाद वर्ल्ड बैंक समूह प्रबंधन ने कारोबार सुगमता रैंकिंग का प्रकाशन रोकने का फैसला किया है.’

कारोबार सुगमता रैंकिंग-2020 में भारत 14 स्थानों की छलांग से 63वें पायदान पर पहुंच गया था. 2014 से 2019 के दौरान भारत की रैंकिंग में 79 स्थानों का सुधार हुआ है.


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