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RBI गवर्नर बोले- ग्लोबल डेवलेपमेंट में दक्षिण एशियाई क्षेत्रों की 15% भागीदारी

दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) परीक्षण चरण में है और RBI डिजिटल रुपये को लेकर बहुत ही सतर्कता बरत रहा है.

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास | एएनआई

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि भारत और बांग्लादेश के नेतृत्व में दक्षिण एशियाई क्षेत्रों ने ग्लोबल डेपलेपमेंट में 15 प्रतिशत का योगदान दिया है.

गवर्नर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में दक्षिण एशियाई क्षेत्र की व्यापक आर्थिक चुनौतियों और नीतिगत प्राथमिकताओं की तर्ज पर संबोधित कर रहे थे.

दास ने यह भी कहा, ‘भारत सहित दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए प्राथमिकता मुद्रास्फीति को कम करना है. मुद्रास्फीति के उच्च रहने पर विकास के लिए जोखिम बढ़ सकता है.’

उन्होंने कहा, ‘दुनिया में व्यापार की प्रगति पर दक्षिण एशियाई क्षेत्र का बहुत बड़ा प्रभाव है. वर्तमान में, इस क्षेत्र में दुनिया की आबादी का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा है.’


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डिजिटल रुपये के लिए सरकार सतर्क

उन्होंने कहा कि रुपये में सीमा-पार व्यापार के लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक की दक्षिण एशियाई देशों से बात चल रही है.

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दास ने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) परीक्षण चरण में है और आरबीआई डिजिटल रुपये की पेशकश को लेकर बहुत ही सतर्कता तथा ध्यानपूर्वक आगे बढ़ रहा है.

थोक डिजिटल रुपये के लिये आरबीआई की केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) की पायलट परियोजना की सफल शुरुआत के बाद पिछले वर्ष एक दिसंबर को उसने खुदरा सीबीडीसी की पायलट परियोजना शुरू की थी.

गवर्नर ने आईएमएफ के हवाले से कहा कि भारत और बांग्लादेश के नेतृत्व में दक्षिण एशियाई क्षेत्र ने ग्लोबल डेवलेपमेंट में 15 प्रतिशत का योगदान दिया है.

उन्होंने कहा, ‘1960 के दशक में खाद्य संकट के बाद, दक्षिण एशियाई क्षेत्र ने हरित क्रांति को सफलतापूर्वक लागू किया. इससे क्षेत्र के कई हिस्सों में आत्मनिर्भरता का एक बड़ा हिस्सा आया और अन्य क्षेत्रों से आयात पर शुरुआती निर्भरता काफी कम हो गई.’

केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा, ‘1970 के दशक में तेल के झटकों के बाद, दक्षिण एशिया से पश्चिम एशिया में आप्रवासन सबसे बड़ा बाजार संचालित श्रम प्रवाह बन गया.’

आईएमएफ के अनुसार, सम्मेलन इस बात पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगा कि कैसे दक्षिण एशिया अपनी क्षमता हासिल करने के लिए कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक तनाव के बाद अपनी विकास सफलता पर निर्माण कर सकता है.

सम्मेलन उन क्षेत्रों पर केंद्रित था जिन्हें मध्यम अवधि में उच्च गुणवत्ता वाले विकास को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. सम्मेलन दक्षिण एशिया क्षेत्र से उच्च स्तरीय प्रतिभागियों को एक साथ लाया.


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रोजगार के अवसर बढ़ेंगे

दास ने कहा कि 2022-23 के लिए वैश्विक व्यापार दृष्टिकोण के साथ, दक्षिण एशियाई क्षेत्र में व्यापक अंतर-क्षेत्रीय व्यापार से वृद्धि और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.

दास ने कहा, ‘केंद्रीय बैंक के स्तर पर, सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण आयाम है साझा लक्ष्यों और चुनौतियों पर एक दूसरे से सीख लेना…सीमा पार व्यापार में रुपये को बढ़ावा देना और सीबीडीसी जिसकी दिशा में आरबीआई ने पहले ही आगे बढ़ना शुरू कर दिया है, इन क्षेत्रों में भी सहयोग को और बढ़ाया जा सकता है.’

उन्होंने कोविड, मुद्रास्फीति, वित्तीय बाजार में सख्ती और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए जो छह नीतिगत प्राथमिकताएं हैं उन्हें रेखांकित किया.

इसी बीच, केंद्रीय बैंक ने कहा कि ग्राहकों को अब केवाईसी अपडेट करवाने के लिए बैंक शाखा को जाने की जरूरत नहीं होगी.

आरबीआई ने कहा है कि बैंक के खाताधारकों ने यदि अपने वैध दस्तावेज जमा करवा दिए हैं और उनके पते में कोई बदलाव नहीं हुआ है तो ‘अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी)’ को अपडेट करवाने के लिए उन्हें बैंक शाखा में जाने की कोई ज़रूरत नहीं है.

इसमें कहा गया कि यदि केवाईसी विवरण में कोई बदलाव नहीं है तो खाताधारक अपनी ईमेल आईडी, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर, एटीएम या किसी भी अन्य डिजिटल माध्यम के जरिए स्व-घोषणा पत्र जमा करवा सकते हैं.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि बैंकों को केवाईसी अपडेट करने के लिए ग्राहकों पर बैंक शाखा में आने का दबाव नहीं बनाना चाहिए.

इस बारे में आरबीआई ने गुरुवार को दिशा-निर्देश जारी किए.

इसमें कहा गया, ‘मौजूदा दिशा-निर्देशों के मुताबिक, यदि केवाईसी विवरण में कोई बदलाव नहीं है तो दोबारा केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए ग्राहक का स्व-घोषणा पत्र पर्याप्त है.’


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