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ओएनडीसी वित्तीय सेवाओं, कृषि, विनिर्माण, ई-वाणिज्य क्षेत्रों में वृद्धि के अवसर प्रदान करता है:डेलॉयट

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

नयी दिल्ली, 31 अगस्त (भाषा) सरकारी पहल ओएनडीसी वित्तीय सेवाओं, कृषि, विनिर्माण और ई-वाणिज्य खुदरा सहित चार प्रमुख क्षेत्रों की वृद्धि के लिए एक बड़ा मंच प्रदान कर रही है। डेलॉयट की एक रिपोर्ट में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गई।

‘ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स’ (ओएनडीसी) वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय की एक पहल है। इसका मकसद एक खुला तथा अंतर-संचालित नेटवर्क बनाना है, जिसपर खरीदार और विक्रेता एक ही मंच पर उपस्थित होने की आवश्यकता के बिना लेनदेन कर सकते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, ओएनडीसी वित्तीय संस्थानों को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) खंड के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करता है जो मुख्य रूप से ‘क्रेडिट’ (कोष) के लिए सरकारी योजनाओं तथा गैर-बेकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर निर्भर है क्योंकि उन्हें मुख्यधारा के वित्तीय संस्थानों द्वारा ‘क्रेडिट’ योग्य नहीं माना जाता है।

‘कॉमर्स@भारत: रिडिफाइनिंग बिजनेस मॉडल एंड सप्लाई चेन’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ ओएनडीसी पारिस्थितिकी तंत्र से वित्तीय प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाताओं की मदद से एसएमई पर उपलब्ध डेटा (लेन-देन डेटा का उपयोग करके) को डिजिटल बनाने की उम्मीद है… डिजिटलीकृत डेटा वित्तीय संस्थानों को उत्पादों तथा सेवाओं को तैयार करने के लिए इस ग्राहक खंड की बेहतर समझ विकसित करने में सक्षम करेगा। ’’

रिपोर्ट में कहा गया कि छोटे शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में ओएनडीसी को अपनाने से बैंकों के लिए नए खंड खुलेंगे और इस खंड की जरूरतों को पूरा करने वाले उत्पादों तथा सेवाओं को भी बढ़ावा मिलेगा।

एमएसएमई पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) समिति की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में अनुमानित 20-25 लाख करोड़ रुपये का ‘क्रेडिट’ अंतर है।

विनिर्माण क्षेत्र पर रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान तथा उसके बाद भू-राजनीतिक तनाव के कारण विनिर्माण वातावरण अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। इससे व्यापार परिदृश्य में बदलाव, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और घटकों की कमी और जिंस की कीमतों में उतार-चढ़ाव आया है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ ओएनडीसी विनिर्माण समुदाय को इनमें से कुछ अवसरों का दोहन करने और मूल्य श्रृंखला में चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम बनाने की संभावना है।’’

भाषा निहारिका

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