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सहकारी बैंकों के लिये व्यक्तिगत आवास ऋण सीमा दोगुना हुई

मुंबई, आठ जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को मकान की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए सहकारी बैंकों के लिये व्यक्तिगत आवास ऋण की मौजूदा सीमा को दोगुना कर 1.40 करोड़ रुपये कर दिया है।

सहकारी बैंकों के लिये इससे पहले कर्ज सीमा को लेकर संशोधन 2011 में किया गया था।

इसके अलावा ग्रामीण सहकारी बैंकों को अब रिहायशी परियोजनाओं से जुड़े बिल्डरों को कर्ज देने की अनुमति दी गयी है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुए कहा कि शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) को अब 1.40 करोड़ रुपये तक का आवास ऋण देने की अनुमति होगी। अबतक यह सीमा 70 लाख रुपये थी। वहीं ग्रामीण सहकारी बैंक 75 लाख रुपये तक का कर्ज दे सकेंगे जो अबतक 30 लाख रुपये था।

दास ने कहा, ‘‘पिछली बार कर्ज सीमा को संशोधित किये जाने के बाद से घरों की कीमतों में वृद्धि और ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सहकारी बैंकों के लिये व्यक्तिगत आवास ऋण की मौजूदा सीमा को बढ़ाने का निर्णय किया गया है।’’

उन्होंने कहा कि इस बारे में विस्तृत परिपत्र अलग से जारी किया जाएगा।

दास ने कहा कि शहरी सहकारी बैंक को दो श्रेणी…टियर 1 और टियर दो…में रखा गया है। अधिकतम कर्ज सीमा इस बात पर निर्भर करेगी कि बैंक कौन सी श्रेणी में आते हैं।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण सहकारी बैंक (राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक) और उनका नेटवर्थ अधिकतम स्वीकार्य कर्ज सीमा का निर्धारण करेगा।

जिन बैंकों का नेटवर्थ 100 करोड़ रुपये तक है, वे प्रत्येक व्यक्तिगत आवास ऋण मद में 50 लाख रुपये तक कर्ज दे सकते हैं जबकि पहले यह सीमा 20 लाख रुपये थी। वहीं अन्य 75 लाख रुपये तक का कर्ज दे सकते हैं।

दास ने यह भी कहा कि ग्रामीण सहकारी बैंकों को अब रिहायशी परियोजनाओं से जुड़े बिल्डरों को कर्ज देने की अनुमति होगी। अबतक इसकी मंजूरी नहीं थी।

दास ने कहा कि देश में सस्ते मकान की जरूरतों और आवास क्षेत्र को कर्ज सुविधा उपलब्ध कराने की क्षमता को देखते हुए यह निर्णय किया गया है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिये कुल आवास वित्त सीमा उनकी कुल संपतति के पांच प्रतिशत पर बरकरार रखी गयी है। बैंक वाणिज्यिक रियल एस्टेट…रिहायशी आवास ऋण के लिये सकल सीमा के अंदर कर्ज दे सकेंगे।

दास ने कहा कि इसके आलावा, आरबीआई ने बुजुर्गों और दिव्यांगों की मदद के लिये शहरी सहकारी बैंकों को अनुसूचित बैंकों की तरह अपने ग्राहकों को घर तक बैंक से जुड़ी सुविधाएं देने की अनुमति दे दी है।

भाषा

रमण अजय

अजय

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