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सऊदी अरब से 35% कम कच्चा तेल खरीदेगा भारत, पश्चिम एशिया के बाहर से आपूर्ति बढ़ाने पर जोर

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और तीन अन्य रिफाइनरी कंपनियों ने मई में सऊदी अरब से 1.5 करोड़ बैरल के मासिक औसत की तुलना में सिर्फ 65 प्रतिशत की खरीद का फैसला किया है.

सऊदी अरब में तेल की एक रिफाइनरी | विकीमीडिया कॉमन्स

नई दिल्ली : भारतीय रिफाइनरी कंपनियां अगले महीने सऊदी अरब से कम कच्चे तेल की खरीद करेंगी. कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़ने के बीच ईंधन की मांग घटी है. कच्चे तेल की खरीद में विविधीकरण के लिए भारतीय कंपनियां पश्चिम एशिया के बाहर से आपूर्ति बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं.

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और तीन अन्य रिफाइनरी कंपनियों ने मई में सऊदी अरब से 1.5 करोड़ बैरल के मासिक औसत की तुलना में सिर्फ 65 प्रतिशत की खरीद करने का फैसला किया है. इस मामले की जानकारी रखने वाले तीन लोगों ने यह सूचना दी है.

भारत ने सऊदी अरब से कीमतों पर अंकुश रखने के लिये कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था. सऊदी अरब ने भारत के इस आग्रह को नजरअंदाज कर दिया था. इसके बाद भारत सरकार ने पिछले महीने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से पश्चिम एशिया से बाहर से आपूर्ति पर ध्यान देने को कहा.

सूत्रों ने बताया कि आईओसी और अन्य रिफाइनरी कंपनियां सऊदी अरब या ओपेक देशों से निश्चित मात्रा के अनुबंध के स्थान पर हाजिर या मौजूदा बाजार से अधिक कच्चा तेल खरीदने का प्रयास कर रही हैं.

अपने इन प्रयासों के तहत कंपनियों ने गुयाना से लेकर नॉर्वे से नया कच्चा तेल खरीदा है. इसके अलावा खरीद बढ़ाने के लिए भारतीय कंपनियों की निगाह अमेरिका पर भी है. सूत्रों ने बताया कि आईओसी ने पश्चिम अफ्रीका, अमेरिका और कनाडा से कच्चे तेल की खरीद के लिए हाजिर निविदा निकाली है.

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भारत की अप्रैल, 2020 से फरवरी, 2021 के दौरान ओपेक देशों से कच्चे तेल की खरीद घटकर 74.4 प्रतिशत रह गई है. एक साल पहले समान अवधि में यह 79.6 प्रतिशत थी.

भारत अपनी कच्चे तेल की 85 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरा करता है. फरवरी में पेट्रोल और डीजल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं जिससे महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ा है.

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ओपेक और ओपेक से जुडे देशों से कीमतों पर अंकुश के लिए कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने की अपील करते रहे हैं. लेकिन सऊदी अरब ने इसके बजाय भारत को सलाह दी है कि वह उस तेल का इस्तेमाल करे जो एक साल पहले उसने दाम काफी नीचे आने पर खरीदा था और उसका भंडारण किया था.

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