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आर्थिक सर्वेक्षण 2019 : भारत को 5 वर्षों में 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लिया संकल्प

आर्थिक सर्वे में कहा है कि भारत को 2025 तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचाने के लिए जीडीपी ग्रोथ की दर 8 फीसदी रखनी होगी.

economic survey
2019-20 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश करती वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा गुरुवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा है कि भारत को 2025 तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचाने के लिए जीडीपी ग्रोथ की दर 8 फीसदी रखनी होगी. यह ग्रोथ तभी संभव है जब कई तरह की बचत, निवेश और निर्यात के लिए कदम उठाएं. भारत का वित्त वर्ष 2018-19 में वित्त घाटे को 5.8 प्रतिशत पर रखा गया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण रखा कि सरकार फिस्कल कंसोलिडेशन के रास्ते पर चलेगी. आम सरकारी घाटे की व्याख्या सरकार की कमाई और खर्च, जिसमें कैपिटल इंकम और एक्सपेंडिचर भी शामिल है, होती है. फरवरी में 2019-20 के सालाना बजट को पेश करते हुए सरकार ने वित्त घाटे को ध्येय को पुनर्लक्षित कर जीडीपी का 3.4 प्रतिशत कर दिया था. पिछला ध्येय 3.3 प्रतिशत था.

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निर्मला सीतारमण ने पहले राज्यसभा में फिर लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया. बता दें कि वित्त वर्ष 2019 के दौरान सामान्य वित्तीय घाटा 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि वित्तवर्ष 2018 में यह आंकड़ा 6.4 फीसदी था. बता दें कि यह आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने तैयार किया है, उन्होंने ट्वीट कर इसकी जानकारी भी दी है.

वित्त मंत्री ने 2019-20 में ग्लोबल क्रूड ऑयल की दरों में गिरावट की संभावना के साथ भारतीय निर्यात कमजोर रहने की संभावना जताई है. 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ रेट सात फीसदी रहने की उम्मीद है. सीतारमण ने यह भी कहा कि वास्तविक ऋण दरों में कटौती के लिए समायोजनकारी मौद्रिक नीति की आवश्यकता होती है जिसकी वजह से निवेश दर कम रहती है.

बता दें कि कल यानि शुक्रवार 5 जुलाई को बजट पेश किया जाना है. उससे एक दिन पहले सदन में आज आर्थिक सर्वे पेश किया गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वे को राज्यसभा में पेश किया और वर्ष 2019-20 में वास्तविक आर्थिक वृद्धि दर सात फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है. आर्थिक सर्वे अर्थव्यवस्था के पिछले एक साल का रिपोर्ट होता है जिसमें आने वाले वित्त वर्ष की नीति निर्णयों के संकेत दिखाई दे रहे होते हैं.

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