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दावोस बैठक का विश्वास बहाली के आह्वान के साथ समापन, भारत रहा चर्चा के केंद्र में

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

(बरुण झा)

(तस्वीरों के साथ)

दावोस, 19 जनवरी (भाषा) विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की शुक्रवार को संपन्न हुई सालाना बैठक में भारत ने खुद को एक ‘विश्वसनीय राष्ट्र और मजबूत अर्थव्यवस्था’ के रूप में पेश किया।

इस बैठक में वैश्विक नेताओं से विश्वास की बहाली, अर्थव्यवस्था में नई जान डालने, भू-राजनीतिक संघर्षों को खत्म करने और जलवायु परिवर्तन, सामाजिक विभाजन एवं एआई (कृत्रिम मेधा)-जनित भ्रामक सूचना और दुष्प्रचार से उत्पन्न जोखिमों से लड़ने में सहयोग का आह्वान किया गया।

स्विट्जरलैंड के इस खूबसूरत पर्वतीय शहर में लगभग 3,000 वैश्विक दिग्गजों ने तमाम वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर पांच दिनों तक गहन चर्चा की। लगातार बर्फबारी और बूंदाबांदी के बीच यहां का तापमान शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला गया था लेकिन इसका समापन एक चमकीली धूप वाली दोपहर को हुआ।

इसके साथ यह उम्मीद मजबूत हुई है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए साल 2024 बेहतर रहेगा और कई वैश्विक संकट भी खत्म होंगे।

भारत ने इस सालाना बैठक में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज की। तीन केंद्रीय मंत्रियों और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा तमाम कारोबारी दिग्गज भी इस बैठक का हिस्सा बने। इस दौरान भारत ने खुद को एक भरोसेमंद और मजबूत साझेदार के रूप में पेश करते हुए दुनिया भर की कंपनियों को आकर्षित करने की कोशिश की।

रेल, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत को सबसे भरोसेमंद देश और एक लचीली अर्थव्यवस्था बताया जबकि महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इसके समावेशी विकास का परिदृश्य पेश किया। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत पहले ही इस मौके का फायदा उठा चुका है।

इस बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अगले वित्त वर्ष के लिए सात प्रतिशत जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि का अनुमान लगाया।

दावोस बैठक में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना सहित कई राज्य सरकारों ने अपने मंडप स्थापित किए और लाखों करोड़ रुपये के निवेश समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।

डब्ल्यूईएफ ने समापन के मौके पर कहा कि बढ़ते सामाजिक विभाजन और ध्रुवीकरण के दौर में इस बैठक ने बातचीत, सहयोग और कार्य-उन्मुख साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में काम किया।

इसमें 125 से अधिक देशों के शासन, व्यापार एवं नागरिक समाज के लगभग 3,000 दिग्गज शामिल हुए। इस दौरान 450 से अधिक सत्र और कार्यशालाएं हुईं। यूक्रेन के लिए शांति योजना पर चर्चा के लिए 80 से अधिक देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक भी इस दौरान हुई।

डब्ल्यूईएफ के संस्थापक और कार्यकारी चेयरमैन क्लॉस श्वाब ने कहा, ‘हमें अपने भविष्य में विश्वास की बहाली करनी चाहिए, चुनौतियों से पार पाने की अपनी क्षमता पर भरोसा करना चाहिए और सबसे अहम बात, एक-दूसरे पर भरोसा करना चाहिए।’

उन्होंने कहा कि जलवायु, संघर्ष और एआई के अलावा भारत दावोस में चर्चा के मुख्य विषयों में से एक के रूप में उभरा। उन्होंने चुनावी वर्ष होने के बावजूद इतना मजबूत प्रतिनिधिमंडल भेजने के लिए भारत को धन्यवाद भी दिया।

डब्ल्यूईएफ के अध्यक्ष बोर्ज ब्रेंडे ने कहा, ‘‘इस बार की सालाना बैठक महत्वपूर्ण और जटिल समय पर हुई। वैश्विक स्तर पर बढ़ते तापमान, नाजुक अर्थव्यवस्था और सीमाओं से बाहर सुरक्षा चुनौतियों से पता चलता है कि अकेले आगे बढ़ पाना संभव नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इन चुनौतियों की वजह से विश्वास की बहाली बेहद अहम हो जाती है। हम एक साथ काम करके ही ऐसा कर सकते हैं। सहयोग हमेशा परिणाम देता है।’’

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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