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भाजपा की वित्तमंत्री को अर्थव्यवस्था का ज्ञान नहीं है, यही समस्या है: सुब्रह्मण्यम स्वामी

अर्थव्यवस्था को सुस्ती से उबारने के लिए सरकार की तरफ से हाल में उठाए गए कदमों के आलोचक स्वामी ने भाजपा सरकार के पिछले पांच वर्षो को मैक्रो-इकोनॉमी के लिए बुरा बताया.

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सुब्रमण्यम स्वामी, फाइल फोटो | फेसबुक

नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बुधवार को कहा कि सरकार ने पिछले पांच सालों में मैक्रो-इकोनॉमिक प्रणाली को गड़बड़ कर दिया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में मांग पैदा करने के लिए सरकार को आयकर खत्म करना चाहिए था, क्योंकि कॉरपोरेट कर घटाने से अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं होगा.

पूर्व केंद्रीय कानून और वाणिज्य मंत्री स्वामी ने अपनी ताजा किताब ‘रीसेट – रिगेनिंग इंडियन्स इकोनॉमिक लीगेसी’ लांच की और भारत की अर्थव्यवस्था पर बात की. उन्होंने इसे वापस गति देने के तरीके भी सुझाए.

स्वामी की इस किताब का विमोचन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया.

अर्थव्यवस्था को सुस्ती से उबारने के लिए सरकार की तरफ से हाल में उठाए गए कदमों के आलोचक स्वामी ने भाजपा सरकार के पिछले पांच वर्षो को मैक्रो-इकोनॉमी के लिए बुरा बताया.

स्वामी ने इस मौके पर कहा, ‘सरकार पांच सालों में ऐसी चीजें करती रही है, जो मैक्रो-इकोनॉमी के लिए बुरी हैं. प्रधानमंत्री ने ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराकर उज्जवला के जरिए मैक्रो-इकोनॉमी में अच्छा काम किया है.. लेकिन मैक्रो-इकोनॉमिक्स पूरी प्रणाली है.. और पूरी प्रणाली को गड़बड़ कर दिया गया है, जिसे दुरुस्त करने की जरूरत है और इसे कॉरपोरेट सेक्टर के लिए कर घटाने जैसे किसी एक उपाय से नहीं दुरुस्त किया जा सकता है.’

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स्वामी ने कहा, ‘आयकर घटाना एक बहुत ही प्रशंसनीय कदम होता, मध्य वर्ग बहुत खुश होता और वे पैसे बचाते. कॉरपोरेट सेक्टर के साथ दिक्कत यह है कि मांग कम है, इसलिए मांग तभी बढ़ सकती है, जब आम जनता सशक्त होती. आम जनता को सशक्त करने का मतलब आयकर को खत्म किया जाना चाहिए था. कॉरपोरेट कर घटाना निर्थक है. क्योंकि वे सिर्फ आपूर्ति बढ़ा सकते हैं, लेकिन जब उसका कोई खरीददार नहीं है, फिर आपूर्ति बढ़ाने का कोई परिणाम नहीं मिलने वाला है.’

इसके पहले अपनी किताब के बारे में अपनी बात रखते हुए स्वामी ने कहा, ‘हमें हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक नई शुरुआत की जरूरत है. हमने मैक्रो वृद्धि स्तर पर परफार्म नहीं किया. बचत को सही तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया. यदि हमें बेरोजगारी समाप्त करनी है तो देश को अगले 10 वर्षो तक 10 प्रतिशत विकास दर की जरूरत.’

कई सारे कदमों के बाद भी आखिर स्थिति में सुधार क्यों नहीं हुआ? मांग क्यों नहीं बढ़ी? इस सवाल के जवाब में स्वामी ने कहा, ‘क्योंकि हमारी भाजपा सरकार में जो वित्तमंत्री हैं, उन्हें अर्थव्यवस्था का ज्ञान नहीं है. यही समस्या है.’

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