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वित्तीय आसूचना इकाई ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ाया

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

(नीलाभ श्रीवास्तव)

नयी दिल्ली, पांच मई (भाषा) भारत की वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) ने देश के आर्थिक चैनलों में धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) और आतंकवाद के वित्तपोषण जैसे अपराधों की जांच के लिए अपनी सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली को बेहतर बनाया है।

इसके तहत एफआईयू ने कृत्रिम मेधा (एआई) और मशीन लर्निंग को अपनाते हुए अत्याधुनिक 2.0 संस्करण को चालू किया है।

वित्त वर्ष 2022-23 की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि तकनीकी ढांचे को बेहतर बनाने की जरूरत थी, क्योंकि बैंकों और विभिन्न अन्य वित्तीय संस्थानों की तरफ से विश्लेषण और जांच के लिए भेजे जाने वाले डेटा (संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट) की मात्रा बढ़ रही है।

इस एजेंसी की स्थापना 2004 में धन शोधन रोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के खतरे के खिलाफ भारत की लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए हुई थी।

हाल में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय आसूचना नेटवर्क (फिननेट) 2.0 की परिकल्पना इसलिए की गई, क्योंकि देश का विनियामक वातावरण बदल रहा है, प्रौद्योगिकी परिदृश्य विकसित हो रहा है।

पीटीआई-भाषा के पास उपलब्ध इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘फिननेट 2.0 बेहतर विश्लेषणात्मक क्षमताओं, डेटा गुणवत्ता में सुधार, व्यापक अनुपालन निगरानी और अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों के लिए उभरती हुई प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाता है।’’

इसकी मदद से तत्काल कार्रवाई के लिए उच्च जोखिम वाले मामलों, संस्थाओं या रिपोर्टों को चिह्नित किया जा सकता है। यह जोखिम विश्लेषण का उपयोग करके मामलों को प्राथमिकता देता है।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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